कृपया पढ़े …, मंथन करें…!!!
देश की उन्नति का आधार जब देश के अंतिम व्यक्ति का उसमें सहयोग नही होगा तो उसे विश्व को कोई शक्ति भी नही ढहा सकती है
वही यह विकास कृत्रिम विदेशी हाथों से होगी तो विदेशी इशारों से दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्था डूबती है
देश के अंतिम व्यक्ति जो शोषण जातिवाद भुखमरी से मरता है जिसे / यदि उसे देश की मुख्य धारा में न लाकर जो शासन मुफ़्त के राशन से देश के शीर्ष माफिया लूट के खेल से झूठी आबादी के गुणा भाग का आधार बताकर , राशन के खेल से अपने प्रशासन पर अपनी पकड़ मज़बूत कर देश को पंगु बनाने का यह खेल ७७ सालों से बदस्तूर खेल रहें है
इसका उदाहरण
देश के अंतिम व्यक्ति की शक्ति V/s चींटी की तुलना
१ - चींटी अपने वजन से तीन गुना वजन उठातीं है व उनके जाती में कार्य प्रबन्धन व दिशा ज्ञान से भटकने से भी अपने गंतव्य स्थान पर पहुँचना व अन्न का श्रोत पता चलने से अपने अनन्य मज़दूर साथियों की सेना को एक माला / Chain प्रबंधन से अपने बिलों तक पहुँचाना व मिट्टी के टीलों में शिल्पकारी से अपने भवन व भंडार गृह के रचना से अपने राजा रानी के साज सज्जा से अपने संपूर्ण समूह की खाद्य सुरक्षा से निर्स्वार्थ भावना से जीवन यापन करते है
यदि विश्व के देश इनका अनुसरण करें तो यह हड़प्पा मोहनजोदड़ो का मिलन दिखता है व इसमें “ वसुधैव कुटुंबकम “ का संदेश समाहित है
दोस्तों बड़े दुख के साथ लिखना पड़ रहा है देश का अन्न दाता आत्महत्या कर रहा है व फसल व्यापारी . भ्रष्टाचार की लम्बीं पारी से व माफ़ियागिरी से देश को डुबोने का घिनौना कार्य कर रहें हैं
अंत में मोदीजी को धन्यवाद जिन्होंने अपने जन्म दिवस को विश्वकर्मा दिवस से १५ हज़ार करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान से ग़रीबों के सुध लेने के लिए राष्ट्र कृतज्ञ है
प्रयत्न व साभार
www.meradeshdoooba.com
————————
मोदी का जन्म दिवस , विश्व का कर्म दिवस
मोदीजी आपके जन्मदिवस से “विश्वकर्मा वर्ग” को उन्नत बनाने के प्रोत्साहन लिए कृतज्ञ है.
हमारी क़ौमे जो ७७ सालों से उपेक्षित थी , अब हमारे अति कार्य कुशल कर्म पथ से “विश्व कर्मा” की सिद्धी का आधुनिक विज्ञान भी लोहा मानेगा
————-
Modi's Birthday, World's Karma Day
Modiji is grateful to you for your encouragement to upgrade the “Vishwakarma class” on your birthday.
Our community, which was neglected for 77 years, will now be able to achieve the accomplishment of “Vishwa Karma” through our highly efficient path of work, even modern science will accept.
No comments:
Post a Comment