Tuesday, 15 August 2023

१५ अगस्त १९४७ .., देश का वीभत्स दिवस

 १५ अगस्त १९४७ .., देश का वीभत्स दिवस .., 




(प्रधान मोदीजी भी बार -बार संबोधित कर चूकें है )


सीमा से देश के भीतर २५ लाख सनातनी  की हत्या से पशुओं के कसाई खाने का साक्षात दृश्य का नज़राना दिखाई दे रहा था 


Direct - Action के नारे से जिन्ना हावी था इसलिए हिंदुस्तान से एक दिन पहिले आजादी ली 




बिना खड्ग बिना ढाल मोहनदास गाँधी ने अपना खड्ग व ढाल भी हिंसा करवाने वाले को देकर स्वन्य को महापंडित कर ,पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं का तिरस्कार उन्हें शरणार्थी मानने से इंकार कर उन्हें पाकिस्तान जाने का आदेश दिया व अनशन की धमकी दी 


नेहरू जो गाँधी के कहने पर उतावली से प्रधानमंत्री पद की 

कुर्सी से चिपक गये 


यह बेगुनाह २५ लाख लोगों के रक्तरंजित  खून से कराहती भारतमाता के कटे अंगों का साक्ष्यात प्रमाण था


अंत में हमने ब्रिटिश सरकार से याचना कर द्वितीय विश्व युद्ध में देश एक लाख हिंदुस्तान की हत्या करवाकर Transfer of Power से ९९ साल के सत्ता का करार से आज़ादी के नाम से आज ७६ सालो बाद भी जनता को गुमराह किया जा रहा है 


दोस्तों एक चिंतन करने वाली प्रेरणा है की  द्वितीय युद्ध में भी २५ लाख सैनिक नही मारे गये.जितने देश में मारे गये थे 


यदि क्रांति से यह ,स्वतंत्रता  मिली होती तो हमें १९१५ में प्रथम 

विश्वयुद्ध में अखंड विशाल भारत …, बर्मा श्रीलंका से हिन्दूकुश का भू- भाग मिलता 


इस का एक ही निचोड़ है कि देश के कालें अंग्रेजों ने अहिंसा के नाम से safety valve बनकर क्रांतिकारियों की हत्या से यू कहे अशोक स्तंभ के शेरों के दाँत तोड़कर उन्हें असहाय कर अपने को सुरक्षित कर सत्ता पर ९९ साल के कारगर से क़ब्ज़ा  कर लिया…


साभार 

www.meradeshdoooba.com

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१५ अगस्त १९४७ - देश का वीभत्स रक्त रंजित दिवस

August 15, 1947 - country's gruesome blood-stained day


इस अखंड भारत के विशालकाय बरगदी वृक्ष को काटना ही होगा , नही तो हमारा अस्तित्व ख़तरे में आ जायेगा

मेरा अखंड भारत का सपना चूर - चूर , 

देश अमानवता के खूनी खेल से खंडित व क्रूरता करने वाले महापमंडित


Shattered my dream of united India

The country divided by the bloody game of inhumanity and brutality

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