तूने मेरे भ्रष्टाचार की ED को सुनाई कविता …, अब कहीं कवि न बन जाऊँ ऐ कविता
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तूने मेरे भ्रष्टाचार की ED को सुनाई कविता …,
अब कहीं कवि न बन जाऊँ ऐ कविता
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You narrated my corruption to ED in the form of POEM..,
May I not become a poet now, oh KAVITHA
शराबियों की अठखेलियों में एक अनोखी “K” ने कही एक कविता तो ED विभाग से “NIA” के होश उड़ें…
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