बापू को लाठी के सहारे मार्गदर्शन करने वाले इस डाक्यूमेंट्री फ़िल्म से जब
मैं सन १९६७ में ४थी कक्षा में पढ़ता था
इस बच्चे से बहुत प्रभावित था… जब युवा अवस्था में बापू के चरित्र पर अध्ययन करने पर ज्ञान
हुआ की ब्रह्मचर्य का प्रयोग भ्रम- चर्य से नारी शोषण से गाँधी के चरित्र की दुहाई
हो रही है…!!!!
ब्रह्मचर्य के प्रयोग के आड़ में इस नन्हे बालक को लाठी पकड़कर राह जानने के
छद्म खेल से
वाह वाही लूटने वाले बापू रवींद्रनाथ टैगोर की भतीजी सरला देवी के यौन संबंध
से जकड़े थे जो लौह पुरुष सरदार पटेल भी इस कृत्य से ख़फा थे…
व बापू को इस कृत्य
से सुधरने
की सलाह से कामना कर कांग्रेस पार्टी
के साख पर धब्बा न लगने की चिंता से व्यथित थे…
आख़िर यह देश का महात्मा का चोला पहने महा यौन ठग का अंत “नाथूराम गोडसे” द्वारा वैलेंटाइन दिवस के लगभग १५ दिवस पहिले हत्या कर देश
से मोक्ष दिलाकर भरी अदालत में भारी मन से १५० कारण से भारत के भविष्य का मंत्र
समझाकर फाँसी के फ़ंधे में झूल गये…
आज आजादी के झाँसे की ७५ वीं अमृत वर्ष में बापू नाम के ज़हर से देश को पंगु
बनाने के बेबाक़ खेल बादस्तूर जारी है
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