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UP: राममंदिर
आंदोलन के नायक कल्याण सिंह ही है भले कोई इसका झूठा श्रेय लेकर अपनी सत्ता चमकाने
का स्वांग करे
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राम सीता को 14 साल का वनवास मिला लेकिन उनके जन्म के
अवशेष को 1527 - 1992 के लगभग 400 सालों से
कब्र में अवशेष बनाकर रखा व टेंट में मर्यादा पुरुषोत्तम को एक चुसपैठीया के समान व्यवहार
कर एक उपहास कर वर्षों तक टेंट में रखकर देश की अस्मिता से खिलवाड़ किया
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कल्याण सिंह उतरप्रदेश के
राजनीति में हिन्दुत्व के एक ऐसे चेहरे थे
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इनके मुख्यमंत्री रहते 6 दिसंबर 1992 को बाबरी
मस्जिद विध्वस की घटना हुयी थी. घटना के बाद कल्याण सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था. और इसमें कोई संकोच नही किया
उत्तरप्रदेश के राजनीति में हिन्दुत्व की चमक पूरे
देश मैं फैली व ध्वस्त बाबरी मंदिर की 25 वर्षों से अधिक की अदालत में लड़ाई लड़कर मंदिर
की खुदाई से स्पष्ट हो गया की इसकी नीव को
तोड़कर राम व उनकी परिवार की मूर्तिया डालकर उसके ऊपर बाबर ने मस्जिद का रूप देकर निर्माण
किया फलवरूप मुस्लिम पक्ष ही नही विश्व को भी अचंभित होकर मानना पड़ा की इस देश में
धर्मवाद की आड़ मे इस्लाम की क्रूरता का संदेश
विश्व ने समझा
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गत
वर्ष 2021 में कल्याण सिंह की 89 वर्षो में मृत्यु हुयी व रक्षा
बंधन के दिन वे पंचत्व में विलीन हुये थे ..., माँ सीता को भी मानना पड़ा की उनकी
रक्षा की सूत्रधार व राम मंदिर की नींव का कर्ण धार केवल व केवल कल्याण सिंह ही थे
इस उपलक्ष्य में उन्हे रक्षा बंधन का धागा बांधकर स्वर्ग के द्वार की सुगम सीढ़ी प्रदान की है...
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कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को हुआ था.
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1991 में पहली बार उतरप्रदेश के
मुख्यमंत्री बने.
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कल्याण सिंह दूसरी बार 1997-99
दूसरी बार मुख्यमंत्री बने.
उतरप्रदेश के राजनीति में हिन्दुत्व के चेहरे थे कल्याण सिंह.
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इनके मुख्यमंत्री रहते 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वस की घटना हुयी
थी. घटना के बाद इस्तीफा देना पड़ा था.
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कल्याण सिंह जी एक स्टेट्समैन, वरिष्ठ प्रशासक, ज़मीनी नेता और एक महान इंसान थे. उत्तर प्रदेश के विकास में उनका अमिट
योगदान है.
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वे दो बार यूपी के सीएम रहे और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे. वे ऐसे नेता
थे जिन्होंने बीजेपी को हाशिए से फलक तक पहुंचाने का काम किया
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सांस्कृतिक
राष्ट्रवाद के एक सच्चे उपासक के रूप में उन्होंने जीवनभर देश व जनता की सेवा की.''
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कल्याण
सिंह: वो दिग्गज जो आज बुलंदी पर पहुंच चुकी बीजेपी की बुनियाद था ,
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