देश का हैवान विदेशी शक्ति से हाथ मिलाकर किसान के छद्म चोलों से देश के
जवानों की हत्या कर लाल क़िले से करे हुंकार.. अबभी केन्द्रीय प्रशासन क्यों लाचार…!!!
हैवानों के हौसले बुलंद थे व इस बार पंजाब सरकार ने अपने को पंजा छाप बनाकर इन
हैवानों के इस कुकृत्य के लिए 2 लाख रुपये के पुरस्कार की घोषणा की थी
यदि सरकार सही समय पर नही जागती तो प्रधानमंत्री के हाल के रोड से पंजाब दौरे में
पुनः खलल डालने की इन हैवानों की चाल व विदेशी दुश्मनों के सहयोग से सफल नही हुई अन्यथा
यह लालबहादुर की 11 जनवरी 1966 की हत्या की
पुनरावृति को दोहराने का काला खेला होता
अब भी पाँच राज्यों के विधानसभा के चुनावों में इन हैवानों की मिलीभगत की बू आ रही है, व देश
को विध्वंशकारी ताकतों द्वारा देश के विघटन का खेल खेलने की सुनियोजित साजिश चल रही
है यदि समय रहते इसे नष्ट नही किया गया तो यह आतंकवाद की पुनरावृति से देश को जकड़ कर
पंगु बना देगा
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