लेकिन, अफसोस...,
देश फिर से 75 सालों के अंग्रेजों के कानून में कागज के घोड़ों को दौड़ाने वालों की बपौती है के गिरफ्त में आ गया है
और माफियाओं के संगठन ने धनबल के तीरों से संविधान को छिद्रित कर दिया है
त्रिमूर्ति स्वरूप कागजी घोड़ों पर अब जज शाही ने देश के बाज की हत्या कर कानून
के दरिंदों को जमानत देकर अपराध के पौधे को विशाल वट वृक्ष बनाकर भ्रष्टाचार की
छांव से देश को अंधकार में डालने की 200 सालों की गुलामी का भरण पोषण से देश पुनः
गर्त में जा रहा है
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