११ जुलाई - World Population Day 2021
मनमोहन सिंग सरकार के काल कीं पोस्ट आज भी सार्थक पोस्ट है और जनसंख्या
विस्फोट में भुखमरी के कगार से युवकों में धर्मवाद / धर्म परिवर्तन / लव जिहाद
आतंकवाद अलगाववाद का खून डालकर देश को
टुकड़े टुकड़े गैंग की एक नई समानांतर आर्मी बनाने का इस खेला से देश को घुन
लगाकर ख़त्म करने की गहरी साजिस चल रही है
बाल-दिवस... या भूखमरी से बलि दिवस... देश में सालाना ३ करोड़ बालकों की..,
कुपोषण से मृत्यु
...
उफ्फ.. 'कंडोम' का पैसा भी खा गयी यूपीए की मनमोहन सरकार,
एडस (aids-सहायता) भी भ्रष्टाचारियों के लिए एक सहायकता का सार्थक बन
कर घोटालों की बलि चढ़ गया और प्रधान मंत्री ने भी इस कंडोम घोटाले की निंदा (condemn)
करते हुए अपना पल्ला
झाड लिया.
दोस्तों .., हर घोटाले से लेकर आतंकवादी,
भुखमरी व किसान
आत्महत्या से जवान हत्या तक सिर्फ निंदा (condemn) का मलहम लगाकर देश का ईलाज किया जा रहा है...????,
बाल दिवस से ..,अभी ३ दिन पहिले..., छत्तीसगढ़ की ताजा घटना में..,
कंडोम के बढ़ते
भाव व बदतर गुणवत्ता..,
से बचने के लिए गरीब
महिलाओं ने नसबंदी का रूख अपनाया, छत्तीसगढ़ सरकार ने उनकी बलि लेकर ... भष्टाचार के ६ X
६= ३६,
६ छक्के लगाकर...,
भष्टाचार के नकली
इंजेक्शन के एक्शन से ३६ X २ =७२ महिलाओं की अर्ध-बलि लेकर...,
देश के माफिया
सत्ताखोरों के गठजोड़ से, भ्रष्टाचार के favorate से flowrate के प्रवाह से favicol का मजबूत गठजोड़ से UNO (सयुक्त राष्ट्र महासंघ) भी भौचक्का रह गया है कि भारत में
यह चक्का कितनी तेजी से दौड़ रहा है...
UNO ने तो भारत सरकार से इस बारे में...,
रिपोर्ट भी माँगी
है...
आज, प्रधान
पति, सत्ता
पति, उद्योग
पति, पति
उद्योग, घुसपैठीये
ये पंचशील (गुण) इस देश को डूबाने के हत्यार हैं..
सरकार ने एड्स जैसे भयानक संक्रमित रोग की रोकथाम के लिए देश भर में 22 हजार कॉन्डम वेंडिंग मशीनों लगाने के लिए 21 करोड़ रुपये खर्च किए,
लेकिन इनमें से 10 हजार मशीनें गायब हैं और करीब 1,100 मशीनें काम नहीं कर रही हैं।
यह घोटाला भले ही २१ करोड़ का जरूर है... लेकिन इस घोटाले की आड़ में जो जनसख्या
बेतहासा बढ़ी है, उसकी भयावहता देखें तो राष्ट्र की जिम्मेदारी की खर्च की
राशी, अगले
२० साल में १०० गुना बढ़कर २१ लाख करोड़ तक हो जाएगा...
देश के डूबने का कारण “पति उद्योग” , “उद्योग पति” , वोट बैंक की आड़ में “घुसपैठीयों का योग” ...
आज सीमा पार से ६०० रूपये प्रति व्यक्ति की औसत दर से “घुसपैठीयों” का आयात हो रहा है , जबकि देश में प्रति व्यक्ती पर ६० हजार का कर्ज है,,,
यदि यह खेल बेरोकटोक
चलता रहे तो...., अब आने वाले पांच सालों में यह कर्ज राशी प्रति व्यक्ती पर
१ लाख से भी ज्यादा हो जायेगी.
कहते हैं , ब्याज, मूल धन को खा जाता है...,
हमारी सरकार विश्व
बैंक व विदेशों से कर्ज लेकर , योजनाओं को भोजनाए बनाकर एक सुनियोजित ढंग से माफियाओं के
डकार कर उनकी बड़ी बढ़ी तोंद को “भारत निर्माण “ के नारों से जनता को भरमा रही है...,
और देश कर्ज के गर्त
में डूब रहा है ..
No comments:
Post a Comment