Friday, 30 July 2021

यह चित्र मोदीजी, भारतमाता व राष्ट्र को समर्पित अब अंग्रेजी नही बनेगी राष्ट्र के युवाओं को रोटी देने वाली भ्रम की भाषा..., देश को जकड़ने वाली अंग्रेजी भाषा की देशी व क्षेत्रीय भाषाओं के प्रभुत्व से अब देश की बेड़ियाँ टूटेगी.... अब देश में उच्च शिक्षा 11 देशी भाषाओं में


 यह चित्र मोदीजी, भारतमाता व राष्ट्र को समर्पित

अब अंग्रेजी नही बनेगी राष्ट्र के युवाओं को रोटी देने वाली भ्रम की भाषा..., देश को जकड़ने वाली अंग्रेजी भाषा की  देशी व क्षेत्रीय भाषाओं के प्रभुत्व से अब देश की बेड़ियाँ टूटेगी....

अब देश में उच्च शिक्षा 11 देशी भाषाओं में

याद रहे .....

भारतेंदु हरिश्चंद्र मात्र 34 साल जीवन जीने वाले जो साहित्यकारपत्रकारकवि और नाटककार थे  1850 के आसपास के भारत में भ्रष्टाचारप्रांतवादअलगाववादजातिवाद और छुआछूत जैसी समस्याएं अपने चरम पर थीं. तब उन्होने देश भर  में अपने नाट्य मंचों को हिन्दी व क्षेत्रीय भाषाओं से समाज की आँखें खोलने मेँ एक अहम भूमिका निभाई

 

जिन्होने विश्व को यही सार्थक उक्ति कही थी   संदेश दिया था कि मातृभाषा से ही देश की उन्नती है  

निज भाषा उन्नति अहैसब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान केमिटत न हिय को सूल।।
विविध कला शिक्षा अमितज्ञान अनेक प्रकार।
सब देसन से लै करहूभाषा माहि प्रचार।।

निज यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव हैक्योंकि यही सारी उन्नतियों का मूलाधार है।
मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं है।

विभिन्न प्रकार की कलाएँअसीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान,
सभी देशों से जरूर लेने चाहियेपरन्तु उनका प्रचार मातृभाषा के द्वारा ही करना चाहिये।

 

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