तीन
तलाक, गौ
ह्त्या , वन्देमातरम को राष्ट्रगान का मुद्दा १९४७ में ही
निदान हो जाता यदि देश की जनता ने नेहरू , गांधी व जिन्ना
की तिकड़ी से अंग्रेजों की नीती के खाल में छुपकर , एक
सुरक्षा द्वार (safety Valve) के छलावे से अखंड भारत के
मुद्दे पर चुनाव जीतकर , देश को खंडित कर देश की जनता को
धोखा देकर ऐश करने की नीति थी जिसमें राष्ट्रवाद की तिलांजली दी थी.
,
१८५७, एक क्रांती की लहर.., गौ और वन्देमातरम ही
इसकी नींव थी .., अंग्रेजों ने इस क्रांती को ग़दर/विद्रोह
के स्वरुप में प्रचार कर .., इसे समाप्त .करने का बीड़ा उठाया
था., जब तक गौ और वन्देमातरम का जज्बा देश के सभी धर्मों
में रहा देश को गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने का देशवासियों में ध्येय “अखंड भारत” के रूप में रहा..,
१९४७ में इस धारा को तोड़कर सत्ता परिवर्तन को आजादी
कहकर .., आज आजादी एक “कहकहा-मजाक” बन गई है.., देश कर्ज से गर्त में जा रहा है.
१९५२ के चुनाव जीतने पर प्रथम लोकसभा में ९९% संसद
सांसद गौ ह्त्या के विरोध व वन्देमातरम को राष्ट्रगान की सहमती थी ..., जब-जब, नेहरू
पर सांसदों का दबाव पड़ता तो हर बार.., अपने सांसदों को
धमकी देते कि यदि यह बिल पारित हुआ तो मैं प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर
कांग्रेस को तोड़ दूंगा.., और कांग्रेसी सांसदों को अपनी
गद्दी खोने के डर से उन्हें लगता था कि “नेहरू के बाद कौन”
,
१९६२
में चीन के हाथों से पराजय ने जनता को इस नग्नता का भान हो गया
१९६१ में पाकिस्तान ने तीन तलाक को ख़ारिज कर दिया व
१९७१ बांग्लादेश के उदय के बाद उसने भी पाकिस्तान की यह नीती जारी रखी
अपने को शांती के मसीहा की आड़ में राष्ट्रवाद को डूबोकर, विदेशी हाथ व विदेशी संस्कृति को अपनी कृति मानकर संसद में नेहरू ने कहा “मैं जन्म से हिन्दू , गौ मांस के भक्षण से मुस्लिम व पाश्चात्य संस्कृति की अय्याशी से इसाई हूँ..”
यही स्तिथी १९७५ में इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर, “इंडिया इज इंदिरा” के नाम से स्वयंभू घोषित किया जिसकी करारी हार से इंदिरा गांधी को अपनी अवकाद मालूम पड़ी…
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