सरदार
भगत सिंग,
राजगुरू , सुखदेव की पुण्य तिथी पर विशेष लेख
..,
अगर
सरदार भगत सिह को तुम कब्र से उठाओं तो तुम उसे दुखी पाओगे, क्योंकि जिस आजादी के लिए बेचारे ने जान गवाई , वह आजादी दो कौड़ी की साबित हुई , तुम
शहीदों को उठाओं कब्रों से और “पूछों”. क्या इसी आजादी के लिए तुम मरे थे , इतने
प्रसन्न हुए थे ...??, इन राजनीतिज्ञों के हाथ में ताकत
देने के लिए तुमने कुरबानी दी थी ..?????, तो भगत सिह
छाती पीट-पीट कर रोयेगा कि हमें क्या पता था , जिंदगी
का...,
गांधी
तो ज़िंदा थे – आजादी आई और आजादी आने के बाद गांधी छाती पीटने लगे थे , गांधी बार-बार कहते थे मेरी कोई सुनता नहीं , मैं खोटा सिक्का हो गया हूँ , मेरा कोई
चलन नही है गांधी दुखी है, गांधी सोचते थे : एक सौ
पच्चीस साल जीऊंगा , लेकिन आजादी के नौ महीने बाद
उन्होंने कहा अब मेरी एक सौ पच्चीस साल जीने की कोइ इच्छा नहीं है , यह बड़ी हैरानी की बात है , शहीदों की
चिताओं पर भले मेले भर रहे हों , लेकिन शहीदों के
चिताओं के भीतर आंसू बह रहें हैं
दिल्ली में तो सुभाष चन्द्र बोस के नाम पर कोई सड़क या गलियारा भी
नहीं है
सौ
बार जनम लेंगे, सौ बार फ़ना होंगे
ऐ जाने वफ़ा फिर भी हम तुम ना जुदा होंगे
किस्मत
हमें मिलने से रोकेगी भला कब तक
इन प्यार की राहों में भटकेगी वफ़ा कब तक
कदमों के निशाँ खुद ही मंजिल का पता होंगे
सौ बार जनम लेंगे...
लेकिन
क्रांतीकारियों के मसून्बों पर पानी डालकर आज सभी सरकारों ने उन्हें “देशद्रोहियों” के प्रथम कतार में रखा गया है...,
काश नरेन्द्र मोदी कम से कम ७ रेस कोर्स का नाम .., जो प्रधानमंत्री पद के घोड़े का व्यापार (HORSE TRADING ) से ही विख्यात है....
यदि इस मार्ग का नाम वीर सावरकर / सरदार भगत सिंग / सुभाष चन्द्र
बोस के नाम से रखा जाता तो देश में इंकलाब आ जाता ..., नई
पीढी को देश की आजादी के नीव रखने वाले फ़कीर से प्रेरणा मिलती.., जिनके भगुर को अंग्रेजों द्वारा जब्त घर को वीर सावरकर के जीते जी भी
नेहरू ने नहीं दिया
इस सन्दर्भ जब उनसे पूछा गया कि आप अपने जब्त घर के लिए सरकार से
क्यों नहीं लड़ते हो.., तो वीर सावरकर ने जवाब दिया की
भले ही हमें खंडित भारत मिला है .., ऊंची हिमालय की
चोटिया.., विशाल खंडित, भारतमाता
के शरीर को खंडित का तांडव से.., उसके सामने मेरा छोटा
घर की मांग करना तुच्छ है....
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