यदि आज २ अक्टूबर (देश का शोक दिवस) को
गांधी का जन्म नहीं होता तो देश प्रथम विश्व युध्ह के पूर्व आजाद हो जाता..,
गाँधी की गन्दी राजनीती जवाहर के जहर व
जिन्ना के जिन से प्रधानमंत्री के दौड़ व बापू के संत बनने की अभिलाषा ने देश को
खंडित करने का दंश आज भी देश भुगत रहा है
प्रथम विश्व युद्ध में १ लाख से अधिक , द्वितीय में २ लाख से अधिक सेना के जवान व देश के बटवारे में २५ लाख से अधिक हिन्दुस्तानी गाँधी के छद्म अहिंसा के खड़ग से गाजर मूली की तरह काटे / मारे गए.
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