अतिथी देव भव: (डोनाल्ड ट्रम्प) के स्वागत दर्शन में.., अतिथी वोट भव:
का आक्रमण से दुनिया को चेताने का खुला खेल.., रोक सको तो रोको.., ट्रम्प सरकार को इसकी एक झलक दिखाकर ,मोदी सरकार
को खुली चुनौती अब देश के विरोधी पार्टियों के गठबंधन व विदेशी वोट बैंक का देश
में भण्डारण अब एक नए रण से रोहिग्या
बांगलादेशी व ISI का संगठन सक्रिय ढंग से देश में नए प्रयोग कर रहा है .
शक्ती ही शक्ती का सम्मान करती है अब नरेन्द्र मोदी भी देश की ऊर्जा भरकर सुपर
पावर ट्रम्प से दबंग बन गए हैं उन्होंने
बता दिया है कि देश के आत्मसम्मान से झुकना एक बेईमान राजनेता की तरह नहीं हैं
देश में सैकड़ों धमाकों व आतंकवाद से धमाकों का कोई धर्म
नहीं होता है की गूँज से राजनेता जश्न मना रहे थे ...
बाटला आतंकवादी कांड में सोनिया
गांधी आंसू छलका कर रात भर रोई. व ऑस्ट्रेलिया में एक मुस्लिम को आतंकवाद गतिविधि
में गिरफ्तार होने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह रात भर नहीं सोये.
जबकि “हिन्दू, भगवा आतंकवाद” खतरनाक ,
और इसका राजनैतिकरण कर विश्व में प्रचार से देश को नीचा दिखाने के
प्रयास में कांग्रेस सरकार अग्रणी थी. विकीलीक्स को भी इसका खुलासा करना पड़ा की एक
अवार्ड वापसी गैंग की तरह राजनैतिक बुद्धीजीवियों की भारत तेरे टुकड़े होंगें की
तरह की सुनियोजित प्रचार था.
इन राजनेताओं ने भगवा आतकवाद के
प्रचार का जिम्मा ATS मुख्या हेमंत
करकरे के कन्धों पर दे रखा था. वे भी मीडिया व अखबारों में अपनी PUBLICITY से गदगद होकर .., राजनेताओं से प्रेरित होकर एक कदम
और बढ़कर,अपनी प…
वीर सावरकर की उक्ती “शक्ती ही शक्ती
का सम्मान करती है” , विश्व में दुर्बल बनकर देश का इतिहास
नहीं संवारा जा सकता है .इसका उदहारण किम जोंग व ट्रम्प की तीसरी मुलाक़ात USA
में नहीं उत्तरी कोरिया में हुई जो इतिहास बन गया कि कैसे USA
समझौते के लिए मान मनोव्वल
के लिए उतावला है.
पकिस्तान दुनिया में अपना ईमान खो चुका है,
अब इमरान खान, जो पकिस्तान, अमेरिका के ३३ बिलियन डॉलर डकार कर अपने देश के आतंकवादी संगठनों को
मालामाल करने का खेल खेल रहा है पाकिस्तानी रुपया गर्त में चला गया है अमेरिकन
डॉलर के मुकाबले अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है
जी हाँ ..,
वीर सावरकर की ४० से अधिक भविष्यवाणियां सार्थक हुई है ..,१९४७ में देश आजाद होने पर वीर सावरकर ने आवाहन किया की देश को सुपर पॉवर
बनाने के लिए भारत को हाइड्रोजन बम के साथ ध्वनि बम भी बनाना चाहिए
१९४५ में विश्वपटल पर कोरिया को
खंडित कर दक्षिण कोरिया पर अमेरिका व उत्तर कोरिया पर रूस का अधिकार हुआ,
दोनों कोरिया अपने अपने शुभचिंतकों पर आश्रित व केवल शतरंजी मोहरे
बनाकर आपस में लड़ाने का खेल खेल रहे थे .
दक्षिण कोरिया तो संपन्न था ,
उत्तर कोरिया की अर्थव्यस्था कमजोर होने के बावजूद उसने अपनी सीमा व
देश की सुरक्षा व बदला लेने की भावनाओं से परमाणु तकनीकी चोरी छुपे खरीद कर किम
जोंग के कार्यकाल में हाइड्रोजन बम का परिक्षण कर दुनिया को अचंभित कर सुपर पावर
देशों में दहशत पैदा कर दी की कैसे एक छोटा देश दुनिया को बर्बाद कर सकता है..
.
खासकर इसके निशाने पर अमेरिका
है , इसे जानकार अमेरिका के होश
फाक्ता / उड़ गए ..
और जानकार कि इसके परदे के पीछे
चीन की महत्वपूर्ण भूमिका है.
दक्षिण कोरिया का हाथ थामने के
लिए ट्रम्प ने सिंगापूर में एक निस्पक्ष्य जगह सिंगापूर में किम जोंग से मुलाक़ात
की ताकि वह अपने परमाणु हथियार की बलि दे.. लेकिन किम जोंग ने अमेरिका को टरका
दिया लेकिन कोई नए परमाणु हथियार का परिक्षण नहीं किया और अमेरिका सरकार को (अंध)
विश्वास में लेकर गुमराह किया
अब अमेरिका सरकार को अपने तले
जमीन सरकते देख , वियतनाम में
ट्रम्प सरकार ने किम जोंग को उकसाया की यदि आप परमाणु हथियार को छोड़ दे तो आप को
विश्व में एक नंबर की शक्ती बनाने का विश्वास अमेरिका देगा ..अब देखना है की
अमेरीकी सरकार इस जाल में किम जोंग को फंसाकर अपना हित साधने में सफल होती है क्या
!!!!!
इस लेख का निचोड़ यही है की दुनिया
को झुकाने के लिए राष्ट्रवाद ही देश की आत्मा है जिसे गीता में कहा गया कि इसको
दुनिया की कोई ताकद भेद नहीं सकती है.
साभार
About
Let's not make a party but
become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil
of the country be sold.
Description
आओं,
पार्टी नहीं देश का पार्ट बने, “मैं देश के
लिए बना हूँ””, देश की माटी बिकने नहीं दूंगा , “राष्ट्रवाद की खाद” से भारतमाता के वैभव से, हम देश को गौरव से भव्यशाली बनाएं
No comments:
Post a Comment