जी
हाँ .., क्रिकेट के भगवान् की राज्यसभा में
अनुपस्थिती से..., पूरी पगार.., क्योंकि हमारा संविधान है दिलदार..., दागी बागी की लोबी से लोभी भी हैं..., इसके दावेदार....
पिछले
दरवाजे (राज्य सभा) के नेता , अभिनेता, खिलाड़ी से धन बल के मसीहा भी बने सदाबहार..., रिश्वत से राजनीती के सफर , रिश्ता भी है..., अभी बरकरार...,
महान
फक्कड़ समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने कांग्रेस से लोहा लेते कहा था , राज्य सभा देश के संविधान का भार है..., इसे भंग किया जाय..,
पहले
दिन..., अपनी अनुपस्थिती के इस विवाद पर सचिन
तेंदुलकर,खामोश..., दूसरे दिन बड़े भाई के ऑपरेशन का
बहाना..., तीसरे दिन बेबाक कहना..., “ मैं विज्ञापनों व अन्य अनुबंधों की वजह
से राज्यसभा नहीं आ सका”...,
लेकिन भविष्य में कब आऊँगा इस बारे में
कुछ नहीं कहा ...
हाल
ही मैं सचिन तेंदुलकर का ,
दिल्ली के विज्ञान भवन में आगमन .., लेकिन राज्यसभा से हुआ उनका मोह भंग...
आज
से २० साल पहिले एक सीनीयर भारोत्तोलन की महिला खिलाड़ी ने कहा था, क्रिकेट की वजह से सचिन को जल्द ही
अर्जुन पुरूस्कार मिला , मैं, तो वर्षों से देशी- विदेशी गोल्ड मेडल लेते आई हूं ..., मुझे तो पुरुस्कार के लिए, खेल मंत्रालय में मंत्रणा चल रही है..., दूसरे खेलों के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय
पुरूस्कार देना, मतलब खिलाड़ी पर परोपकार करना...
याद
रहे क्रिकेट के कप्तान महेंद्र सिंग धोनी , अपने
शुरूवाती खेल जीवन में..,
जो फ़ुटबाल में अपना जीवन सवारने के लिए
,५० रूपये कमाने के लिए कई किलोमीटर की
पैदल यात्रा करते थे..,
८
साल पहिले भारत सरकार ने क्रिकेट में महेंद्र सिंग धोनी व हरभजन सिंग को पद्मश्री
से सम्मानित किया तो ,वे विज्ञापन एजेंसी में, शूटिंग से, धन की लालसा से , राष्ट्रपति भवन में पुरुस्कार समारोह
में नहीं गए .., बाद में झारखण्ड सरकार ने इनके इस
कृत्य का बचाव कर, राजभवन में बुलाकर पुरूस्कार दिया
आज
देश में क्रिकेट ने अन्य खेलों के वजूद को खा लिया है... अन्य खेलों के देश में
हजारों खेल रत्न जो अन्तराष्ट्रीय मंचों पर गोल्ड मैडल जीत चुके हैं..., आज वे दुर्गती भरा जीवन जी रहें/रहीं
हैं.., कोई मंनरेगा में मजदूरी, कोइ सब्जी बेचकर...,कोई भूखमरी से ..., और देश की प्रतिभा ख़त्म हो रही है...,
राख
के तले चिंगारी (गरीबों की प्रतिभा) को तो सरकार ने , राख पर भ्रष्टाचार का पानी डालकर .., बुझा दिया है...
दूसरी
बड़ी खबर..., बॉडी बिल्डर खामकर, सरकारी बाबूओं की चमक बड़ा-कर , भ्रष्टाचार के मलखंभ से अब दसवी बार , दस नम्बरी के दंश से भ्रष्टाचार के
मिस्टर इंडिया के खिताब से नवाजा जा चुका है...,
तीसरी
खबर, सरकारी श्री की पद्मता से सैफ अली भी दबंगी
दिखाकर , मल खंभ के खेल से, संविधान से सुशोभित है..
याद
रहे.., सैफ अली के पिता , क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी ,दुर्लभ जाती के हिरन ह्त्या के आरोप
में, अग्रिम जमानत से क़ानून को अमानत बनाकर
अल्लाह को प्यारे हो गये .., वे
ही नहीं इस तरह के लाखों अमीर सफेद्पोसों ने क़ानून को प्यास बनाकर अपनी सेहत बढ़ाई
है...,
क्या
अल्लाह को प्यारे इस तरह के लोगों को.., अल्लाह
भी प्यार देगा...???, यह सवाल हमारे देश के संविधान के क़ानून
की अनबूझ पहेली है...!!!!!!!,
((((वोट बैंक के भगवानों ने सत्तापरिवर्तन
(१९४७) को आजाद भारत कहकर,
क्रिकेट के दीवानों को वोट बैंक से
भरमाने के लिए क्रिकेट के बिकाऊ/दुकानदार को भारत रत्न का सम्मान से सत्कार व मेजर
ध्यानचंद को दुत्कार, व गुलाम भारत के खेल के भगवान, ध्यानचंद,जिन्होंने विश्व को नक़्शे में भारत का
ध्यान दिलाकर.., हिटलर ने भी जर्मन के फील्ड मार्शल की
बोली लगाई.., राष्ट्रवाद को कोई खरीद नहीं सकता है.., यह सिद्ध करने वाले ध्यानचंद.., के पुतले की धूल साफ़ करने का
कांग्रेसीयों को ध्यान तक नहीं आया.. ध्यानचंद आज तक बेखबर व सचिन को तो लोकतंत्र
के मंदिर का भगवान् बना दिया ))))
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