Thursday, 29 August 2019


जरूर पढ़े, कैसे... राष्ट्र का खेल दिवस या खिल्ली दिवस
ध्यानचंद का जन्म दिवस...!!!,
दुनिया जिसकी कायल वह देश में सम्मान के नहीं क़ाबिल सत्ता के लुटेरों ने भारत रत्न ध्यान चंद से चुराकर सचिन तेंदुलकर को दे दिया 



वोट बैंक के जादूगरों ने (ध्यान)से
हॉकी के जादूगर का भारत रत्नका पुरूस्कार ,(चंद ) दिनों में देश के भ्रष्टाचारीयों ने जादू से चुराकर सचिन तेंन्दुड़कर को दे दिया...

सचिन एक सेल्समैन , ध्यानचंद एक ईमानदार के साथ... ईनामदार राष्ट्रवादी खिलाड़ी. हिटलर ने भी उन्हें अपने से हिट मानकर, अपने दर्श की टीम से खेलने पर जर्मनी सेना में फील्ड मार्शल के ओहदे को ध्यानचंद ने ठुकरा दिया , आज सोने की चैन सचिन को .भष्टाचार के खाल मंत्रालय ने को भारत रत्न और ध्यानचंद की प्रतिभा को प्रतिमा बना... बनी बदरंग के साथ राष्ट्रीय खेल पर कलंक .....

क्रिकेट (भ्रष्टाचार) को राष्ट्रीय धर्म व सचिन को उसका भगवान् कहकर, देश के २५ लाख करोड़ से कही ज्यादा के काले धन को फिक्स कर , सफ़ेद धन में परिवर्तित कर , विदेशों में चला गया है... यह, खेल अब राष्ट्रवाद नहीं... भ्रष्टवाद की आड़ में खेल कर .....दर्शको के समय व पैसे की लूट का खेल खेला जा रहा ...

याद रहे आज किसी भी विज्ञापन के लिए ... जो उत्पादक कंपनिया खिलाडियों को १ करोड़ रूपये देती है तो वह जनता से १०० करोड़ रूपये लूटती है....,और विज्ञापनों से सचिन व अन्य खिलाडियों ने देश व दुनिया की जनता को भारी चूना लगाया है.... याद रहे सचिन से बड़े भारत रत्न के दावेदार”, शतरंज के महा....महारथी विश्वनाथ आनंद है, वे विज्ञापनों में लगभग नहीं के बराबर आते है...वे भारत सरकार के रवैये, से उदासीन है... और तो और मीडिया की करतूत... जो १०० नम्बर के ऊपर की रैंकिग की सानिया मिर्जा को जो तवज्जुब देती है वह विश्व के १ नम्बर के महारथी विश्वनाथ आनंद को नहीं ...याद रहे प्रथम बार वाईल्ड कार्ड के जरिये जब विम्वेल्डन के महिला सिंगल में सानिया मिर्जा को प्रवेश मिला तो... उसकी प्रतिद्वंदी सेरेना विलियम्स ने कहा , मैंने उसका आज तक नाम नहीं सुना है, और सानिया मिर्जा को पहले राउंड में बाहर/चलता कर दिया....
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सचिन के अलविदा टेस्ट में ९०% टिकट बड़ी हस्तियों को दे दिया गया, जो बाद में ३ हजार रूपये के टिकट २० हजार रूपये से ज्यादा कीमतों में कालाबाजार में बिक रहे थे... सचिन के शतक पर ५ हजार करोड़ का सटटा हुआ था , शतक न जमाने पर क्रिकेट के पंडित कह रहे थे, भारत को पारी घोषित करनी चाहिए थी ताकि उन्हें दुबारा शतक बनाने का मौक़ा मिलता ...क्या यह टेस्ट मैच देश के लिए खेला जा रहा था, या सचिन को माफियाओं की अपने सोने की चैन बनाने के लिए.....
आज तक किसी भी भारत रत्न से अलंकृत हस्तियों ने राष्ट्रीय संदेशोके अलावा किसी नीजी कम्पनी के विज्ञापनों से धन नहीं कमाया है ...
याद रहे... १९८३ के विश्वकप के विजेता खिलाड़ियों के ईनाम के लिए बी.सी.सी.आई. के पास पैसे नहीं थे ...तब लता मंगेशकर ने एक प्रोग्राम कर, उससे अर्जीत आय से प्रत्येक खिलाड़ी को २ लाख रूपये ईनाम के तौर पर दिये, तब तक क्रिकेट में राष्ट्रवाद की भावना थी, आज भी जनता में उस खेल की एक-एक क्षण याद है जब ....??????, खेल मंत्रालय ने तो मेजर ध्यानचंद के नाम पर मुहर लगाई थी ,
लेकिन ऐसी क्या ख़ास घोषणा हुई, जैसे...अजमल कसाब की फांसी की खबर प्रधानमंत्री तक को भी नहीं दी गयी थी....???, खेल मंत्रालय ने भ्रष्टाचार के खाल का मंत्रालय से देश को चौका दिया....?????, जो ध्यानचंद को मिलनेवाला भारत रत्नका सम्मान मास्टर ब्लास्टर को दे दिया गया ...... सचिन को खेलते देखने राहुल गाँधी मैदान मे उपस्थित थे. व मुम्बई से दिल्ली वापिस जाकर अपनी माँ , सोनिया से बात की... क्या आप जानते है कि सचिन को भारत रत्नसे नवाजे जाने की घोषणा एक दिन के भीतर आनन फानन में राहुल गांधी के पहल पर कर दी गई
एक तो सचिन को सांसद के पिछले दरवाजे से (राज्यसभा) कांग्रेस का सांसद बनाकर , व चुनावी प्रचार में हांमी भरने से , सचिन के प्रशंसको का हालिया चुनावी वोट हथियाने का अस्त्र बनाया...
एक बेबाक धावक मिल्खा सिंग को भी सचिन को भारत रत्न मिलाने पर खेल मंत्रालय व सरकार को लताडा था .
आईये जाने ध्यान चंद को.....
१९७९ में ,अपनी म्रूत्यु के दो महीने पहले ध्यानचंद ने कहा था ...मेरी मौत की खबर से , दुनिया के लोगों में रोना होगा , लेकिन भारत के लोग मेरे लिए एक आंसू भी नहीं बहायेगा...

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