इंदिरा गांधी के मंत्रीमंडल में बैल से भी निम्न स्तर के गृहमंत्री
ज्ञानी जैल सिंह ने इंदिरा गांधी की डगमगाती कुर्सी से इंदिरा को सुर्ख़ियों में बने रखने के लिए, व एक ऐसा मुध्हा बने जो पकिस्तान
पर विजय से बंगलादेश बनाना से अपने को
दुर्गा समझने वाली ने ज्ञानी जैल सिंह की निम्न बुध्ही का इस्तेमाल कर भिंडरावाले से
पंजाब को अलग देश बनाकर खालिस्तान राष्ट्र
बनाने के लिए जल्द से जल्द खालिस्तानी सेना बनाने के लिए उकसाया...
(ज्ञानी जैल सिंह व अन्य नेताओं के टेलीफोन टेप हमारी खुफिया विभाग RAW के पास आज भी मौजूद है जिसे राष्ट्र की जनता को सार्वजनिक करवाना चाहिए ताकि ऐसा खेल कोई पार्टी या नया नेता खेल न सके )
दोस्तों बड़े दुःख के साथ लिखना पद पड़ रहा है की इंदिरा गांधी के
चाटुकार राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने
“आपातकाल” देश पर थोपकर राष्ट्रपति पद को कलंकित किया वहीं राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने इंदिरा गांधी की
राष्ट्र विरोधी नीती को उकसाकर , एक ऐसी नीति का निर्माण बन गया जो की आतंकवाद देश
को निगलने की स्तिथि बन गई कि स्वर्ण
मंदिर पर गोलाबारी कर देश का इतिहास कलंकित हो गया
याद रहे पंजाब में खालिस्तान
से आतंकवाद की बुनियाद कांग्रेस के इशारे से ही हुई , जब भिंडरावाले को खालिस्तान कमांडो फ़ोर्स की सेना
बनाने के लिए इंदिरा गांधी के इशारे से गृह मंत्री ज्ञानी जैल सिंग ने प्रेरित किया जो बाद में स्वर्ण मंदिर
में भिंडरावाले की मुठभेड़ में मौत से.., ऐसा माहौल बना की
इंदिरा गाँधी के सिख सुरक्षा रक्षको द्वारा उनके आवास में ह्त्या कर दी , तब पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने बेबाकी से उनके शोक संदेश में कहा
“इंदिरा गांधी अपने कर्मों से मरी है "
१९८४ में इंदिरा गांधी की ह्त्या से, सहानुभूति की सुनामी लहर से, देश भर में १० हजार से अधिक सिखों के नरसंहार ने राजीव गांधी के “कलंक” को भी धो दिया उन्होंने ताल ठोक कर कहा ,
“जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तब धरती हिलती है “
और लोकसभा में ४१४ सीटें जीतकर , अपनी नाना
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का कीर्तीमान तोड़ दिया.
राजीव गाँधी को सत्ता खुले हाथ मिली थी.., तथा चंडाल चौकडियों की फ़ौज में हरकिशन भगत, सज्जन कुमार, जगदीश टाइटलर व अन्य लोगों की सूची से सत्ता में लूट की खुली छूट से बोफोर्स घोटालों के शुभारम्भ से A-Z घोटालों के MULTIFORCE घोटालों से, इसमें “हिन्दू आतंकवाद” का घोल डालकर अंततः सत्ता से हाथ धोना पडा.
राजीव गाँधी को सत्ता खुले हाथ मिली थी.., तथा चंडाल चौकडियों की फ़ौज में हरकिशन भगत, सज्जन कुमार, जगदीश टाइटलर व अन्य लोगों की सूची से सत्ता में लूट की खुली छूट से बोफोर्स घोटालों के शुभारम्भ से A-Z घोटालों के MULTIFORCE घोटालों से, इसमें “हिन्दू आतंकवाद” का घोल डालकर अंततः सत्ता से हाथ धोना पडा.
अब २०१९ में कांग्रेस के ५
साल के सत्ता निर्वासन के बाद राहुल बाबा के गुरू सैम (असली नाम – सत्यनारायण गंगाराम) पित्रोदा ने सिख नर संहार का
समर्थन करते हुए कहा “जो हुआ वो हुआ” के
बयान ने कांग्रेस के पंजाब के वोट बैंक में आग में घी का काम किया है .
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