१९८४
में इंदिरा गांधी की ह्त्या से, सहानुभूति की सुनामी लहर से, देश भर में १० हजार से अधिक सिखों के नरसंहार ने
राजीव गांधी के “कलंक” को भी धो दिया उन्होंने ताल थोक ठोक कर कहा , “जब कोई बड़ा
पेड़ गिरता है, तब धरती हिलती है “ और लोकसभा में ४१४ सीटें जीतकर , अपने नाना प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का कीर्तीमान
तोड़ दिया.
याद
रहे पंजाब में खालिस्तान से आतंकवाद की बुनियाद कांग्रेस के इशारे से ही हुई , जब
भिंडरावाले को खालिस्तान कमांडो फ़ोर्स की सेना बनाने के लिए इंदिरा गांधी के इशारे
से गृह मंत्री ज्ञानी जैल सिंग ने प्रेरित किया जो बाद में स्वर्ण मंदिर में भिंडरावाले
की मुठभेड़ में मौत से.., ऐसा माहौल बना की इंदिरा गाँधी के सिख सुरक्षा रक्षको
द्वारा उनके आवास में ह्त्या कर दी , तब पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने
बेबाकी से उनके शोक संदेश में कहा “इंदिरा गांधी अपने कर्मों से मरी है “
राजीव
गाँधी को सत्ता खुले हाथ मिली थी.., तथा चंडाल चौकडियों की फ़ौज में हरकिशन भगत, सज्जन
कुमार, जगदीश टाइटलर व अन्य लोगों की सूची से सत्ता में लूट की खुली छूट से
बोफोर्स घोटालों के शुभारम्भ से A-Z घोटालों के MULTIFORCE घोटालों से, इसमें “हिन्दू
आतंकवाद” का घोल डालकर अंततः सत्ता से हाथ
धोना पडा.
अब २०१९
में कांग्रेस के ५ साल के सत्ता निर्वासन के बाद राहुल बाबा के गुरू सैम (असली नाम
– सत्यनारायण गंगाराम) पित्रोदा ने सिख नर संहार का समर्थन करते हुए कहा “जो हुआ
वो हुआ” के बयान ने कांग्रेस के पंजाब के वोट बैंक में आग में घी का काम किया है
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