Saturday, 23 March 2019

गांधीजी को तो अंग्रेजों से जलपान मिल रहा था.., इसलिए जलियांवाला बाग़ के भीषण हत्याकांड का विरोध नहीं किया था.., उन्होंने तो इन क्रांतीकारियों के कार्य की निंदा कर, अंग्रेजों को एक नया शक्तिबल देकर देशवासियों का दमन करने का पुख्ता इंतजाम कर दिया था , वे तो.., अंग्रेजों के सेफ्टी वाल के लिए अंग्रेजों के सुरक्षा कवच बने.., जब भी क्रांतीकारियों का आन्दोलन, ज्वलंत होने लगता था.., तब गांधीजी से अहिंसा की बारिश करवाकर.., उनके मंसूबों पर पानी फेर देते थे.., अब तो मैं देख रहा हूं ..., सेना की जमीन भी हड़प कर, सत्ता की बंदरबांट से आदर्श महलों व घोटालों के मकडजाल से जनता इसमें फंस कर ७२ सालों से उसका खून चूसा जा रहा है.., हमारी गांधी के स्वराज के पुतले की “स्वराज” का ढिंढोरा पीटकर, विदेशी हाथ, विदेशी, विदेशी साथ विदेशी संस्कार से देश में बेतहासा लूट पर छूट मिल रही है..




पंडित चंद्रशेखर तिवारीउर्फ़ आजाद बचपन से वादों और इरादों के धनी.., के जन्म दिन २३ जुलाई (१९०६) पर विशेष...
वीर सावरकर से प्रेरणा लेकर , इन क्रांतिकारियों ने देश की अस्मिता से समझौता करने के बजाय २७ फ़रवरी १९३१ अलफ्रेड पार्क की जहां शहीद हुए चंद्रशेखर आजाद देश के क्रांतीकारियों में ALL FRIEND बनकर इस चुनौती को स्वीकार कर भारतमाता की गोद में सो कर गुलाम हिन्दुस्थानियों का दिल जीत लिया था
कहानी अलफ्रेड पार्क की जहां शहीद हुए चंद्रशेखर आजाद व ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले ९ अगस्त १९२५ को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये। इसके पश्चात् सन् १९२७ में 'बिस्मिल' के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स का हत्या करके लिया एवं दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया।

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(बापू के तीन बंदर, अब बन गये है मस्त कलन्दरhttp://meradeshdoooba.com/)
बोलू: अरे देखू.., आज, तू क्या देख रहा है,,
देखू : आज देश के अलफ्रेड पार्क की जहां शहीद हुए चंद्रशेखर आजाद हुतात्मा बने थे उनका जन्म दिन है...,
सूनू: इस नेता के बारे में आज एक खानापूर्ति की रश्म की हल्की सी आहट से मैं आहत हूँ ...

देखू : आज देश के नेता तीन शहीदों का बलिदान दिवस... ८७  सालों के बाद जोर शोर से मना रहें है,
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बोलू: लेकिन इन्हें तो आज तक देश के क्रान्तीकरियों को शहीद का दर्जा नहीं मिला.., इनके घर तो जर्जर अवस्था में हैं..और आज के सत्ताखोरों के स्वतंत्रता सेनानी के तमगे से इन क्रांतीकारियों की जमीनें हड़प कर उनका अस्तित्व समाप्त कर रहें हैं..

सूनू: हाँ आज की वर्तमान सरकारें भी इनकी ह्त्या के रहस्य की फाईलों को गुप्त रख, कह रहीं है..जनता को राज बताने पर विदेशी ताकतों से हमारे सम्बन्ध खराब होने से विदेशी सहायता न मिलने से देश की अर्थ व्यवस्था.., चौपट हो जायेगी
बोलू: हाँ..., यही ७२  सालों से सभी सरकारों की व्यथा है..
देखू: हाँ, मैं देख रहा हूँ, जहां खुदीराम बोस का मुजफ्‌फरपुर के बर्निंगघाट पर अंतिम संस्कार किया गया था लेकिन उस स्थल पर शौचालय बना दिया गया है. इसी तरह किंग्सफोर्ड को जिस स्थल पर बम मारा गया था उस स्थल पर मुर्गा काटने और बेचने का धंधा हो रहा है.

बोलू :यह शहीदों के प्रति घोर अपमान और अपराध है? देश के स्वाभिमान का घोर अपमान है...
अगर सरदार भगत सिह को तुम कब्र से उठाओं तो तुम उसे दुखी पाओगे, क्योंकि जिस आजादी के लिए बेचारे ने जान गवाई , वह आजादी दो कौड़ी की साबित हुई , तुम शहीदों को उठाओं कब्रों से और पूछों”. क्या इसी आजादी के लिए तुम मरे थे , इतने प्रसन्न हुए थे ...??, इन राजनीतिज्ञों के हाथ में ताकत देने के लिए तुमने कुरबानी दी थी ..?????, तो भगत सिह छाती पीट-पीट कर रोयेगा कि हमें क्या पता था , जिंदगी का..., गांधी तो ज़िंदा थे आजादी आई और आजादी आने के बाद गांधी छाती पीटने लगे थे , गांधी बार-बार कहते थे मेरी कोई सुनता नहीं , मैं खोटा सिक्का हो गया हूँ , मेरा कोई चलन नही है गांधी दुखी है, गांधी सोचते थे : एक सौ पच्चीस साल जीऊंगा , लेकिन आजादी के नौ महीने बाद उन्होंने कहा अब मेरी एक सौ पच्चीस साल जीने की कोइ इच्छा नहीं है , यह बड़ी हैरानी की बात है , शहीदों की चिताओं पर भले मेले भर रहे हों , लेकिन शहीदों के चिताओं के भीतर आंसू बह रहें हैं
सूनू: बात तूने पते की कही है,,,, जनता भी यही कह रही है...
बोलू: देश के शहीदो के अपमान से बने , गाँधी के नाम से, नेता, अपनी नंगई से बनें बेईमान, सत्ता को सट्टा के नाम से देश को भ्रष्टाचार से खोखला कर दिया, आज भी हमारे क्रंतिकारी शहीद भगतसिग, सुभाषचन्द्र बोस , चन्द्रशेखर से वीर सावरकर को भी देश्द्रोहीयों की काली सूची मे है...आज शहीदो के चिताओ पर राजनेता अपनी भ्रष्टाचार की, रोटी सेंककर, अपने को शहीदों से महान बनाने की हौड मे है.. देश का शहद चाटकर , आज देश के गली , मुहल्ले ,नगर , शहर, शिक्षा व अन्य संस्थानों पर ऐसे करोड़ों नाम हैं...,जिसे अपने नाम कर लिए है...??

देखू: हाँ..,  ३३  साल बाद, नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इस स्वाभिमान को जगाने, उनके स्मारक में जाकर जोशीला भाषण मैंने सूना..
देखू: हाँ , सवेरे से प्रधानमंत्री की दौड़ में होड़ लगाने के लिए, सभी पार्टियों के छुटभैये नेता श्रेय ले रहे थे..., जैसे हममें ही.. सरदार भगत सिंग का ही खून दौड़ रहा है..., और तो और श्रदांजली देते समय अन्ना हजारे के आंसू छलक गए थे..
बोलू: लेकिन अन्ना हजारे तो गांधी वादी नेता है...., और गांधी ने तो अहिसा के भ्रामक प्रचार से देश के लोगों को गुलाम मानकर, जलियांवाला बाग़ के भीषण हत्याकांड निर्दोष लोगों की ह्त्या के प्रतिकार न करने से ही, जबकि लाला लाजपत राय की इस प्रतिरोध में मौत होने से..., क्रांतीकारियों में इस शासन को उखाड़ फेंकने का जूनून पैदा हो गया
सूनू: हाँ गांधीजी को तो अंग्रेजों से जलपान मिल रहा था.., इसलिए जलियांवाला बाग़ के भीषण हत्याकांड का विरोध नहीं किया था.., उन्होंने तो इन क्रांतीकारियों के कार्य की निंदा कर, अंग्रेजों को एक नया शक्तिबल देकर देशवासियों का दमन करने का पुख्ता इंतजाम कर दिया था
बोलू: हां.., वे तो.., अंग्रेजों के सेफ्टी वाल के लिए अंग्रेजों के सुरक्षा कवच बने.., जब भी क्रांतीकारियों का आन्दोलन, ज्वलंत होने लगता था.., तब गांधीजी से अहिंसा की बारिश करवाकर.., उनके मंसूबों पर पानी फेर देते थे
देखू: हाँ.., अब तो मैं देख रहा हूं ..., सेना की जमीन भी हड़प कर, सत्ता की बंदरबांट से आदर्श महलों व घोटालों के मकडजाल से जनता इसमें फंस कर ७२  सालों से उसका खून चूसा जा रहा है.., हमारी गांधी के स्वराज के पुतले की स्वराजका ढिंढोरा पीटकर, विदेशी हाथ, विदेशी, विदेशी साथ विदेशी संस्कार से देश में बेतहासा लूट पर छूट मिल रही है..
बोलू: देश के क्रांतीकारी तो खाते पीते घर के थे, उन्हें सत्ता का लोभ नहीं.., भारतमाता की गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराना था.., और इसे राष्ट्रीय धर्म मानकर देश के लिए कुर्बानी से देश के उज्जवल भविष्य की कामना की अपेक्षाओं को, ७२  सालों से सत्ताखोरों ने देश को विदेशी कर्ज से देश को डुबो दिया है...
सूनू: अभी नेता तो भगत सिंग व अन्य क्रांतीकारियों से अपनी सत्ता की पुरी तल कर, जनता में जोश भरने का खेल, खेल रहे हैं..
देखू : देश की हालत देखकर मैं तो गंभीर हो गया हूँ, मेरे रोये खड़े हो गए हैं.., अब देश का क्या होगा
बोलू: देश गर्त में जाएगा, जब तक देशवासी में.., यह सोच रहेगी कि.., भगत सिंग मेरे पडोस में पैदा हो..., यदि देशवासी.., “सोच बदले तो देश बदलेगा...,” “राष्ट्रवाद.., राष्ट्रवाद..., राष्ट्रवाद..,” सावरकर, सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद व अनन्य क्रांतीकारी जैसों से ...

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