अखबारों के लेखों को झुठलाकर चुनौती देते हुए .., इंग्लैंड में “१८५७.., एक स्वतन्त्रता संग्राम” को सच बतलाकर, ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती देकर, ५०वी जयंती का जज्बे पूर्वक आयोजन करने वाले एकमात्र वीर सावरकर .
इंग्लैंड में हिन्दुस्तान के सभी धर्मों (हिंदु,मुस्लिम,सिख,ईसाई) को एकजुट कर दशहरा समारोह करने पर, गांधी द्वारा आश्चर्य व्यक्त कर , इस कार्य का अभिनन्दन करने वाले मोहनदास करम चंद गांधी द्वारा सराहना
वीर सावरकर ने विश्व के क्रांतीकारियों को सन्देश दिया की गुलामी देश ही नहीं मानव जाती पर कलंक है. इसका निदान किये बिना मानव अंधा से उसका जीवन अन्धकारमय है .
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