२ अक्टूबर ...!!!!, बापू
की जातिवाद के सिद्धांत को कायम कर , साम्प्रयवाद की छांव में, देश के तुकडे कर, १०
लाख से अधिक हिन्दुस्तानियों की ह्त्या करवाकर, अहिंसावाद के छद्म बटवृक्ष में वह
तो चन्दन की पेड़ में सांप की तरह लिपटा एक विषैला जहर समाज में फैला कर, वह बापू जिसकी
नाथूराम गोडसे ने भले ह्त्या कर देश को
मुक्ती दिला दी थी.
लेकिन आज भी ७२
सालों बाद सत्ता परिवर्तन को आजादी कह, देश जातिवाद के कुरूप रूप से वोट बैंक में
परिवर्तित.., व आरक्षण के ताले से देश की तरक्की
बंद हो चुकी है.., देश की प्रतिभा विदेशों में पलायन कर रही है...
स्वच्छ भारत स्वचालित
का नारा तब तक बेईमानी साबित होगी जब तक
हिन्दुस्तान से जातिवाद साम्प्रयवाद का सूपड़ा साफ़ नहीं होगा.., बापू के चाल व
चरित्र के चित्र के ढाल से देश का राजनैतिक चरित्र गर्त में जा रहा है..
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