Thursday, 13 September 2018

क्या आप रूपये के प्राजूद प्रारूप से सहमत हैं..,रूपया के बहुरूपिया..., जोकर (जनता से महंगाई का मजाकर ),विदूषक..., अधिकतर नौकरशाहों की मिलीभगत के भ्रष्टाचार से प्रदूषक बनाकर... एक नए अमीरी की पहचान पाई है..., जब से इस चिन्ह को मान्यता मिली है, देशी विदेशी माफिया व डॉलर से रूपये को कुचलने की खुली छूट मिली है... गरीबों का पसीना अमीरों का अन्न है..,रूपये से डॉलर अब राहू बनकर, देश का अमृत पी रहा है...क्या आप रूपये के प्राजूद प्रारूप से सहमत हैं.. आज रूपया कर लो दुनिया मुट्ठी के नारों से , मुट्ठी भर अमीरों ने गरीबों को मुट्ठी से निचोड़कर ,, आज इंडिया भ्रष्टाचार का डांडिया खेल रहा है..दोस्तों क्या आप सहमत कि रूपये के चिन्ह में अंतिम छोर पर जब तक समानता का चिन्ह न हो, तब तक देश का गरीब तबका और गरीब होते जाएगा.., और देश के अमीर.., गरीबी रेखा का मूल्य कम कर ..देश का उपहास उडातें रहेंगे.... .




डॉलर ,रूपये की कॉलर खिच कर, देश त्राहिमान, फिर भी नेता कह रहा रहें हैं “मेरा देश महान” से “अच्छे दिन” आने वाले हैं..,  “मन की बात” से रेडियो व  दूरदर्शन पर नगाड़ा बजा, रूपये का स्वरुप बिगाड़ा..,

बुलेट ट्रेन की आड़ में (Bull – ate)  देश के बड़े सांड रूपये को खाकर.., डॉलर की डकार निकाल रहें हैं .. अबकी बार नए ऊंचाई में मोदी सरकार.., मनमोहन सरकार के ७० रूपये प्रति डॉलर को पार कर ७३ रूपये के नए प्रारूप में मोदी सरकार.., क्या अब काले धन वालों अपने  हुंकार से जनता को कर रहें हैं ललकार...!!!!.

बॉम्बे आईआईटी स्नातकोत्तर डी उदय कुमार द्वारा डिजाइन किया गया नया प्रतीक जो  कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था व उदय कुमार को २.५० लाख का इनाम दिया गया - यह दर्शाता है कि भारतीय मुद्रा, जो ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था से समर्थित है, अंत में अंतरराष्ट्रीय दृश्य पर अपनी उपस्थिति में अस्थमा के मरीज की तरह हाँफते दिख रही है.., हर हफ्ते के शुरूवात में उसे कृत्रिम ऑक्सीजन देकर महसूस कराया जा रहा है.., रूपया होगा कामयाब एक दिन ..!!!, हम हममें हैं विश्वास.., हम देते रहेंगें कृत्रिम श्वास हर दिन ..., से भरमाया जा रहा है.


 July 8, 2014 · की फेसबुक  व website की पोस्ट

क्या आप रूपये के प्राजूद प्रारूप से सहमत हैं..,रूपया के बहुरूपिया..., जोकर (जनता से महंगाई का मजाकर ),विदूषक...,

अधिकतर नौकरशाहों की मिलीभगत के भ्रष्टाचार से प्रदूषक बनाकर...
एक नए अमीरी की पहचान पाई है...,

जब से इस चिन्ह को मान्यता मिली है, देशी विदेशी माफिया व डॉलर से रूपये को कुचलने की खुली छूट मिली है...

गरीबों का पसीना अमीरों का अन्न है..,रूपये से डॉलर अब राहू बनकर, देश का अमृत पी रहा है...क्या आप रूपये के प्राजूद प्रारूप से सहमत हैं..

आज रूपया कर लो दुनिया मुट्ठी के नारों से , मुट्ठी भर अमीरों ने गरीबों को मुट्ठी से निचोड़कर ,, आज इंडिया भ्रष्टाचार का डांडिया खेल रहा है...

देश का अन्नदाता किसान आत्महत्या कर रहा है..., भार-रत , भारतीय , इन भ्रष्टाचारियों माफियाओं के भार से रत होकर, पैसे कमाने का जुगाड़ में लगा है...

इंडिया, INDIA= IN-DIG-GO , आओ देश को खोदों और चले जाऊं (जो टाटा की कार का भी नाम है) ,

और देश के धरती लाल आकाश, खान खदान ,ईमान बेचकर इनाम पा रहा है...,
अब अपने मुट्ठी बल से बलवान हो कर , “भारत निर्माणके नारों में अपनी सहभागी से देश के गरीबों को भरमा रहा है... 

दोस्तों क्या आप सहमत कि रूपये के चिन्ह में अंतिम छोर पर जब तक समानता का चिन्ह न हो, तब तक देश का गरीब तबका और गरीब होते जाएगा.., और देश के अमीर.., गरीबी रेखा का मूल्य कम कर ..देश का उपहास उडातें रहेंगे.... 


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