तमिलनाडु केरल को बाढ़ का दोषी मान रहा है.., तमिलनाडु व कर्नाटका में आपस
में पानी के तोल की लड़ाई हो रही है..., हरियाणा दिल्ली को पानी देने में ना –
नुकुर कर रहा है.., आसाम, बिहार के सूखे
इलाके मानसून में बाढ़ ग्रस्त हो जाते हैं..,
गजराज इंद्र कह रहें है की मैं
सनातन हिन्दुस्तान की संतानों को आदि काल से ही तृप्त कर जल वर्षा करता था .., और
इस जन वर्षा को माती के माटी के मिश्रण से अन्न से देश में धन वर्षा से यह देश सोने
की चिड़िया कहलाता था ...
देश को सत्ता परिवर्तन की आड़ में आजादी कह वोट बैंक की राजनीती से देश को
भाषावाद से आशावाद दिखाकर , देश को आरक्षण व जातिवाद से घुसपैठ मीठी चासनी में जलेबी
की तरह डूबोकर इसका शुरूवात व अंत की खोज
कोई नहीं कर सकता है की देश इस तरह खंडित
होकर डूब कैसे रहा है...
मित्रों लिखने को बहुत है... लेकिन इस समुंद्री नाग का मंथन कर इसमें से जहर को कैसे साफ़ किया जाय..
,इसका पर्याय के बारे में कोई नहीं सोचता है...!!!!!! इसके मंथन से ही देश को
निजात (कोई जाति नहीं के सिद्धान्त ) मिलेगी... !!!!
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