चेतो मोदी सरकार...,
यह अच्छी बात नहीं है...,यह अटल सत्य जो बेबाक है..., मत करो अपना समय बर्बाद..
जगाओ..,जगाओ..., १००
करोड़ से अधिक गरीबों के घरों की राख की चिंगारी से देश में चरागों के उजालों से
सूरज भी शर्मायेगा..
“यह अच्छी बात नहीं है...” यह.., राजनीती
की गन्दगी से सौगात का भद्दा मजाक है.
शवों पर राजनीती कर
पुतले बना तो ठीक है . इंदिरा गांधी की तरह मेरे राख से खिलवाड़ कर , जनता को
गुमराह कर कुर्सी का धेय्य बनाना .., “यह अच्छी बात नहीं है...” – अटल बिहारी
वाजपेयी
१९४७ में देश का
लोकतंत्र के जन्म के बाद, १९५० के संविधान
में एक शैशव काल में पहुंचा.., और गांधी के छद्म चरित्र के सत्य, अहिंसा के पुतले
की छाँव में इस शैशवी लोकतंत्र ने आज तक उजाला नहीं देखा.., आज भी ७२ सालों बाद इस
लोकतंत्र ने सूरज नहीं देखा और अपनी जवानी
खो दी.., अब बुढ़ापे में खो रहा है.., वह भी इसे इंदिरा युग की समाप्ति के बाद मोदी
युग की शुरूवात को राखों के ढेर से अब उसे बरगलाया जा रहा है....,
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