Tuesday, 1 May 2018

गांधी की गंदी राजनीती , जवाहर के जहर व जिन्ना के जिन से खंडित व खूनी ह्त्या इस तिकड़ी जोड़ी से जनता के घावों से हमें घायल देश मिला...

PL.Must Read; AMU के छात्र संघ भवन में जिन्ना का चित्र


जवाहर के जहर, जीना जिन्हा जिन्ना के जिन व गांधी की गंदी राजनीती व तुष्टी की नीती से ही देश के तुकडे हुए ..
१. सूअर का गोश्त व सुरा का सेवन करने वाला जिन्ना को , इस्लाम का पाक मसीहा मानकर, इस बंटवारे को पाक कहकर पाकिस्तान राष्ट्र का कायदे आजम बना ...
२. गाय के गोश्त का भक्षण करने वाले व सुर सुरा-सुन्दरी
के कायल नेहरू को पंडितकह, हिन्दुस्तान की कमान से, खंडित भारत के हार से, अंग भंग से आज भी इंडियन इतिहास में भारत रत्न के सम्मान व गली मुहल्लों के नाम व पुतलों से मान दिया है .
३. ब्रह्मचर्य के प्रयोग से राष्ट्र को शर्मिन्दगी व
अहिसां व तुष्टीकरण की आड़ में एक खूनी कटारसे देश को खंडित कर, सत्ता परिवर्तन से आजादी का ढोल पीट कर इसे बिना खडग - बिना ढालकहकर , संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए राष्ट्रपिता उर्फ़ बापूकी उपाधी दे दी.
४. अखंड भारत के प्रधानमंत्री के प्रबल दांवेदार सरदार पटेल को रेस से बाहर कर जिन्ना व नेहरू इस दौड़ में थे , व गांधी अंग्रेजों के मकड़जाल की एक मकड़ी बन अधिकृत एक रेफरी / निर्देशी पंच बने थे.
५. जिन्ना की धरती पकड़ जिद्द से अखंड भारत की अकड़
से प्रधानमंत्री बनने की महत्वकांक्षा को मनाने के लिए गांधी ने मुंबई के मालाबार हिल के बंगले जिन्ना हाउसके १९ फेरे लगाए थे , हर बार गांधी को जलील होना पड़ा था

६. गांधी की गंदी राजनीती , जवाहर के जहर व जिन्ना के जिन से खंडित व खूनी ह्त्या इस तिकड़ी जोड़ी से जनता के घावों से हमें घायल देश मिला...

७. दोस्तों...!!!, सत्ता परिवर्तन के बाद विदेशी हाथ, विदेशी साथ, विदेशी विचार विदेशी संस्कार से जातिवाद भाषावाद,अलगाव वाद के मलहम से व आरक्षण के धागों से वोट बैंक पट्टी से यह घाव ७० सालों बाद भी भरा नहीं है ...,
विश्वगुरू व वेदों के सानी , ज्ञानी और देश की वैभवता के लोप से आज भी देशवासी एक अंधेरी सुरंग में हिचकोले खाते चल रहा है.

काश हमने वीर परमवीर सावरकर की ४० से अधिक सार्थक भविष्यवानियों की ओर ध्यान दिया होता ..., अब भी समय है यदि हम जागें व जंग जीतें ..,
एक कविता बलवीर सिंह रंग की है जो इसराइल की विचारधारा है
ओ विप्लव के थके साथियों विजय मिली विश्राम न समझो..,
उदित प्रभात हुआ फिर भी छाई चारों ओर उदासी
ऊपर मेघ भरे बैठे हैं किंतु धरा प्यासी की प्यासी
जब तक सुख के स्वप्न अधूरे
पूरा अपना काम न समझो
विजय मिली विश्राम न समझो
पद-लोलुपता और त्याग का एकाकार नहीं होने का
दो नावों पर पग धरने से सागर पार नहीं होने का
युगारंभ के प्रथम चरण की
गतिविधि को परिणाम न समझो
विजय मिली विश्राम न समझो
तुमने वज्र प्रहार किया था पराधीनता की छाती पर
देखो आँच न आने पाए जन जन की सौंपी थाती पर
समर शेष है सजग देश है
सचमुच युद्ध विराम न समझो
विजय मिली विश्राम न समझो

इस्लाम को सलाम , हिन्दुओं को गुलाम के तत्व से गौ ह्त्या का विरोध व अपने को हिन्दू धर्म में पैदा होने व खानपान में मुस्लिम व संस्कृति से इसाई के स्वांग से अपने को शान्ति दूत कह...!!!,

१९४७ में सत्ता परिवर्तन में एडविना बेंटन के साथ जिन्ना व नेहरू के समान शारीरिक संबध से.., प्यार के नशे के फोटो को एडविना बेंटन ने जनता में सार्वजनिक करने के धौस से .., नेहरू व जिन्ना के राजनैतिक जीवन की ह्त्या होने के भय से .., देश के बंटवारे के धार से देश के बंटवारे की तलवार से केक (cake) की तरह काट कर सत्ता परिवर्तन को आजादी शब्द से भरमाकर, हिन्दू बहुल क्षेत्र पाकिस्तान को सौंप कर..., नेहरू ने १४ नवम्बर, एडविना बेंटन ने २८ नवम्बर व जिन्ना के जन्म दिन २५ दिसम्बर के क्रिसमस को अपना नया राजनैतिक जन्म दिन १५ अगस्त को ही मना लिया था ...,
गांधी के सत्य व ब्रह्मचर्य के खेल के राज से सेक्स के खेल की चाबी भी एडविना बेंटन के पास थी.., यूं कहें आजादी का झांसा एक BLACK-MAIL EXPRESS से ७० सालों से आज तक एक काला दिवस ही साबित हो रहा है..., देश कर्ज के गर्त में आज भी डूब रहा है
१९४७ में भारतमाता के अंग भंग से लहू लूहान से घायल हिन्दुस्तान के पांवों में अंगरेजी संस्कृति की पायल डाल कर विदेशी हाथ , साथ , विचार , संस्कार से अपने को स्वंय भू , देश का चाचा घोषित कर बाल दिवसव भारत रत्न से नवाजा...,
इस खेल का पर्दाफ़ाश.., जब चीन ने नेहरू को यों कहे देशवासियों को थप्पड़ मारकर देश के टुकड़े कर , हड़प कर, नेहरू की छद्म भूमिका /स्वांग की पोल खोल कर रख दी ..
दोस्तों बड़े दुःख के साथ लिखना पड़ रहा है की एक अय्याश ..., व्यभिचारी के जन्म को बाल दिवस के रूप में आज भी मनाया जाता है..., इतिहास को घोर अँधेरे में रख कर
...

यदि हिन्दू कैलेंडर के नव वर्ष के प्रथम दिवस को बाल दिवस के रूप मनाया जाय तो देश की तस्वीर, प्रगति शील पथ से एक नए सूरज की किरण से अलग ही होगी
..
इस वेबस्थल का मुख्य उद्धेश्य है...,
Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold.....www.meradeshdoooba.com (a mirror of india) स्थापना २६ दिसम्बर २०११ कृपया वेबसाइट की ६८३ प्रवाष्ठियों की यात्रा करें व E MAIL द्वारा नई पोस्ट के लिए SUBSCRIBE करें - भ्रष्टाचारीयों के महाकुंभ की महान-डायरी

No comments:

Post a Comment