फेस बुक व वेबस्थल की February 4, 2018
४ फरवरी ...कैंसर दिवस आता है...., इसे तो हमारे देश में कैंसल दिवस कहा जाता है... मरीज तड़फ-तड़फ कर इस धरती पर नारकीय जीवन बीताकर ऊपर वाले से अपनी विदाई की विनंती कर चले जाता है..... ,हमारे देश में इस सच्चाई की आड़ में भ्रष्टाचार के खेल से आज यह सत्ताखोरों के लिए संजीवनी बूटी के खेल में माफियाओं, तो..., धन के डांडिया से महोत्सव मनाते है... यह दिवस उनके लिए आशीर्वाद का अपार / अकूत दौलत दिवस मनाने का जलसा दिवस है..!!!!!!!!!!!!!,
यह तो मुंबई में , टाटा की पिछली पीढीयों का अहसान मानना चाहिए कि ..., जिन्होनें कैंसर से लड़ने के लिए बम्बई (मुंबई) में टाटा अस्पताल का निर्माण किया और अब तक लाखों लोगों का प्राथमिक अवस्था के दौरान ईलाज कर उन्होंने मरीजों को इस बीमारी से मुक्त कर एक नयी जिन्दगी का निर्माण किया , अभी ६ साल पहले टाटा अस्पताल के कर्मचारियों को भी भ्रष्टाचार के कैसर से ट्रस्ट को त्रस्त कर, मृत मरीजों के ईलाज के नाम से खर्च दिखाकर ९० करोड़ रूपये डकार लिये (आज के ५०० करोड़ से ज्यादा का कोढ़) लगाकर , उसके पश्चात ..., २६/११ का अजमल कसाब के मंडली से ताज होटल पर हमला कर, आज जम्शेद टाटा की आत्मा आहत हो गई है
जानिए कैंसर के खेल में सरकार के खेल की भूमिका : नकली /मिलावटी/फास्ट फ़ूड के भोजन की माफियाओं की खेप:
१. कहते है.. जो व्यक्ती ज्यादा शराब पीता है, सिगरेट पीता है ...!!!! उसे लीवर व फेफड़े का कैंसर होता है... टाटा अस्पताल में ऐसे मरीजों का तांता लगा रहता है, जिन्होनें शराब व सिगग्रेट तक अपनी जिन्दगी में छुई तक नहीं है
२. मान लिया जाए जो व्यक्ती शराब पीता है, सिगरेट पीता है.. यदि, उसे उसे लीवर व फेफड़े का कैंसर हो गया ... इसके पीछे सरकार का एक शोषणकरण के साथ जनता के शरीरी करण का खेल है ,
३. सरकार १ रूपये व २ रूपये की शराब व सिगरेट की कीमत आठ से दस गुना टैक्स के बतौर वसूल कर राज्य व राष्ट्र की अर्थव्यस्था नियंत्रित कर भपूर मुनाफ़ा वसूल कर संपन्न होती है यदि एक व्यक्ती जो शराब पीता है, सिगरेट पीता है..... यदि उसे ५-१५ साल के बाद... वह शराब व सिगरेट के सेवन रूप से टैक्स देता है , यदि वह कैंसर की गंभीर बीमारी से त्रस्त होता है तो सरकार अपना पल्ला झाड़ कर पीड़ित को अपनी बीमारी का गुन्हागार मानकर उसे अपने घर बार बेचकर इलाज करने को मजबूर कर देती है .
दोस्तों विश्व के विकसित देश,,,, जो टैक्स तो वसूल करते है... वे आजीवन अपने देश के नागरिकों का ईलाज कर .. व सेवा निर्विती के बाद , पेंशन से अपने नागरिकों का जीवन सुरक्षित रखतें हैं.... यह इस देश में भी संभव है, यदि जनता में राष्ट्रवाद की भावना से वे सत्ताखोरों को लगाम डाल सकते हैं... आज हमारी देश की जनता जातिवाद,धर्मवाद के जाल में फंसकर सत्ताखोर इसका वोट बैंक का लाभ लेकर , काले धन के पर्वत का निर्माण कर जनता के हौसले पस्त कर नारकीय जीवन कर... देश के तुकडे करने के फिराख में जनता के हौसले को राख बना रहें हैं
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