देश के २अक्टूबर के जन्मदाता, १८ महीनों के शासन में देश के सही मानों में भाग्य विधाता
की भूमिका के सफल प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के दिन को गांधी जयन्ती नहीं
देश का "शौर्य दिवस" के रूप में स्कूल में नव विद्यार्थियो को यह पढ़ाया
जाय...कि कैसे एक निम्न वर्ग के प्रधानमंत्री ने निम्न श्रेणी को अपना जीवन व
आदर्श मानकर, सभी सरकारी सुविधा का अपने परिवार के लिए त्याग
कर .., मेरे घर से मेरी देश कीतस्वीर से ही देश में
राष्ट्रवाद की लकीर खीची जा सकती है... यह सिद्ध किया
नेहरू के १८ वर्षों के अय्याशी के सोच के शौच को मात्र १८ महीने में साफ़ कर व पाकिस्तान को धूल चटाकर ...., विश्व ने प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को अब्राहम लिंकन के समक्ष खडा कर हिन्दुस्तान का लोहा माना कि देश की शक्ती "जवानों व किसानों" के बल से ही बढ़ती है ना की/कि विदेश से कर्ज लेकर ..., ब्याज देकर नेताओं की अय्याशी से जनता को ब्याज से प्याज के तरह आंसू निकाल कर, जो आज के परिपेक्ष्य में लोक तंत्र को लूट तंत्र का खेल खेला जा रहा है ..., इसे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने समाप्त कर दिया था
इसी का तोड़ ..., “जय जवान –जय किसान “के नारे से निकल कर सभी भ्रष्ट नेता मजबूर होकर मजदूर हो गए थे ....
दोस्तों एक कटु सच्चाई ...!!!!, देशी राजनैतिक कलमुहों ने विदेशी ताकतों के साथ मिलकर इस महान अद्वितीय ७० साल के सत्ता परिवर्तन के इतिहास में जो आज भी सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री हैं.., की ह्त्या कर ..., “राजनैतिक कलमुहों” ने देश का कल अन्धकारमय बना दिया.
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