का वाड्रा
दामाद राष्ट्रीय दामाद है
लालू की
लालटेन अब बनी “लाल बत्ती ट्रेन” की घोंघा चाल से घोटालों के track
से मिल रहा है सत्ता में JACK-POT.
क्या,,!!!, अब लालू LALU AND SONS /SON-IN-LAW FAMILY को सत्ता से बेदखल के इस पाप से, इस JACKAL- POT (घड़े) को फोड़ने में नीतीश + मोदी कंपनी कामयाब होगी ...
९० लाख में ५०० करोड़ की जमीन खरीदकर ९० लाख में
मिट्टी बेचकर..,
DELIGHT कंपनी से अपना वंशवाद SUPERLIGHT कर, इस
घोटाले को इनकार कर ख़ारिज ( DELETE कर, अब
) लालू बने काले देह से भ्रष्टाचार के लंगूर..,
२५ साल पुराने १ हजार करोड़ के चारा = चोरी घोटालों (आज के १ लाख करोड़ के घोटाले में ५ करोड़ का जुर्माना व ४ साल चुनाव लड़ने पर प्रतिबन्ध व जेल में रहकर हनीमून -शहदी चाँद की सजा , अंदर -बाहर आने जाने का खेल ) इसे कहते हैं मेरा संविधान महान .., यहां हर माफिया पहलवान...
मोदी की भाजपा की बिहार विधानसभा की चुनावी हार में UP का जादू क्यों नहीं चला यह दिवंगत महान व्यंगकार ने १९६० के दशक में जातिवाद के दस्तक से कारण बताएं हैं, जो आज भी सार्थक हैं ...
दिवंगत महान व्यंगकार लेखक श्री हरीशंकर परसाई के १० हजार से अधिक राजनितिक लेख आज भी जीवंत हैं. १९६० के दशक में.., उन्होंने बिहार के बारे में लिखा था, श्रीकृष्ण भगवान् मुझे मिले थे. उन्होंने, कहा मैं बिहार में चुनाव लडूंगा और लोगो को कहूँगा में श्रीकृष्ण भगवान् हूं , मैं आसानी से जीत जाऊंगा .., तब मैंने उनसे कहा आप जब तक यह नहीं कहोगे मैं श्रीकृष्ण “यादव” हूँ , तब तक आप चुनाव नहीं जीत सकोगे. भगवान् और मेरी शर्त लगी भगवान् श्री कृष्णा के विरोध में यादव नाम का उम्मीदवार खड़ा था और वह जीत गया और भगवान् श्री कृष्ण हार गए
लालू ने २०१५ के चुनाव में मुस्लिम (M) यादव (Y) दलित (D) के MY DAY से बिहार में जातिवाद से बंजर में फूल खिलाया है ...
तेजस्वी को तेज अश्व व तेज के प्रताप को शौर्य बनाकर अब बिहार की मिट्टी बेचकर,भ्रष्टाचार को शिष्टाचार से अपने कदमो को और मजबूत बनाया है ...
२५ साल पुराने १ हजार करोड़ के चारा = चोरी घोटालों (आज के १ लाख करोड़ के घोटाले में ५ करोड़ का जुर्माना व ४ साल चुनाव लड़ने पर प्रतिबन्ध व जेल में रहकर हनीमून -शहदी चाँद की सजा , अंदर -बाहर आने जाने का खेल ) इसे कहते हैं मेरा संविधान महान .., यहां हर माफिया पहलवान...
मोदी की भाजपा की बिहार विधानसभा की चुनावी हार में UP का जादू क्यों नहीं चला यह दिवंगत महान व्यंगकार ने १९६० के दशक में जातिवाद के दस्तक से कारण बताएं हैं, जो आज भी सार्थक हैं ...
दिवंगत महान व्यंगकार लेखक श्री हरीशंकर परसाई के १० हजार से अधिक राजनितिक लेख आज भी जीवंत हैं. १९६० के दशक में.., उन्होंने बिहार के बारे में लिखा था, श्रीकृष्ण भगवान् मुझे मिले थे. उन्होंने, कहा मैं बिहार में चुनाव लडूंगा और लोगो को कहूँगा में श्रीकृष्ण भगवान् हूं , मैं आसानी से जीत जाऊंगा .., तब मैंने उनसे कहा आप जब तक यह नहीं कहोगे मैं श्रीकृष्ण “यादव” हूँ , तब तक आप चुनाव नहीं जीत सकोगे. भगवान् और मेरी शर्त लगी भगवान् श्री कृष्णा के विरोध में यादव नाम का उम्मीदवार खड़ा था और वह जीत गया और भगवान् श्री कृष्ण हार गए
लालू ने २०१५ के चुनाव में मुस्लिम (M) यादव (Y) दलित (D) के MY DAY से बिहार में जातिवाद से बंजर में फूल खिलाया है ...
तेजस्वी को तेज अश्व व तेज के प्रताप को शौर्य बनाकर अब बिहार की मिट्टी बेचकर,भ्रष्टाचार को शिष्टाचार से अपने कदमो को और मजबूत बनाया है ...
१. जयप्रकाश
नारायण का बिहार .., अब अंध प्रकाश से जातिवाद की बहार.., नर मुंडों के
परायण से भ्रष्टाचार को ,अफीमी नारों के रावणों का नारायण...,नारायण...,और उसमे गौ मांस का तड़का..
June 20, 2014 की फेस बुक व वेबस्थल की पुरानी
पोस्ट
२. जातिवाद के नरमुंडों के समीकरण का यह खेल है.., कही दलित , मुस्लिम
व यादव के झोल से इनके वोट अपने झोले में डालने की प्रतिस्पर्धा है..
३. क्या यह चुनाव जातिवाद विरूद्ध
विकास की लड़ाई साबित होगी या बिहार का विकास के ताबूत पर जातिवाद की आखरी कील
साबूत होगी
४. जयप्रकाश नारायण की इंदिरा गांधी की
सरकार के भ्रष्टाचार से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने से इनकार करने पर अदालत
की अवमानना करने से, हुंकार के बाद.., देश
में १८ महीने आपातकाल लगाए जाने में, जेल जाने वाले नेता,
जयप्रकाश नारायण की अक्टूबर १९७९ में मृत्यू होने के बाद अपने को
क्रांती का स्वंय –भू नेता मानकर, बिहार
प्रदेश को अंध प्रकाश कर, जातिवाद के प्रकाश से चारा व अन्य
घोटालों से अपनी सत्ता चमकाते रहे ..
५. नीतीश सरकार ने बिहार में आपातकाल
के दौरान “मीसा” में जेल गए लोगों को,
१८५७ के क्रांतीकारियों से महान बताकर पेशन की घोषणा कर दी ..
६. जयप्रकाश नारायण ने तो कहा था,
देश में सबसे अधिक खनिज होने के बावजूद बिहार गरीब क्यों.???,
इस जीत का रहस्य तो..., खनिज से ज्यादा बिहार
में नेताओं के लिए जातिवाद,धर्मवाद के उत्प्रेरक खनिज से..,
बिहार भ्रष्टाचार के बहार से गाय भैसों व अन्य जानवरों के चारे से,
मुस्लिम यादव के भाई- चारे नारे के आड़ में, २५
सालों तक चारे को डकारकर , प्रदेश के गरीबों को बहाकर..,
एकछत्र राज्य करते रहे...,
७. दिवंगत महान व्यंगकार लेखक श्री
हरीशंकर परसाई के १० हजार से अधिक राजनितिक लेख आज भी जीवंत हैं. १९६० के दशक
में.., उन्होंने बिहार के बारे में लिखा था, श्रीकृष्ण भगवान् मुझे मिले थे. उन्होंने, कहा मैं
बिहार में चुनाव लडूंगा और लोगो को कहूँगा में श्रीकृष्ण भगवान् हूं , मैं आसानी से जीत जाऊंगा .., तब मैंने उनसे कहा आप
जब तक यह नहीं कहोगे मैं श्रीकृष्ण “यादव” हूँ , तब तक आप चुनाव नहीं जीत सकोगे. भगवान् और
मेरी शर्त लगी भगवान् श्री कृष्णा के विरोध में यादव नाम का उम्मीदवार खड़ा था और
वह जीत गया और भगवान् श्री कृष्ण हार गए
८. दोस्तों.., देश
का सबसे बड़ा जहर “अशिक्षा” है..,
जिसकी वजह से जनता गरीब होते जा रही है.., खोखले
वादों के अफीमी नारों का शिकार हो जाती है.., और वोट बैंक की
राजनीती करने वाले अपने को देश का मसीहा कहकर काले धन से अमीरतम बनकर अपने को
अप्रतिम कहकर सत्ता को जातिवाद, भाषावाद,धर्मवाद व घुसपैठीयों के कोड़े से जनता को पीटकर,अधमरा
कर, महंगाई बढ़ा कर कर्ज के गर्त से देश को डूबा रहें है.
APRIL 7, 2014 के फेसबुक की सार्थक फेस बुक पोस्ट
लालू..., बना
लूला और नितीश कुमार..., बना लंगड़ा ..,
बिहार में जातिवाद,भाषावाद,अलगाववाद के झुण्ड बढ़ते गए..,सिर्फ नेताओं के मुंड बदलते रहे..,
अब तो इस राजनीती के मकड़जाल में , विलय से, नए विलेन बन, एक नई वायलिन के धुन की हुंकार है,
जनता भी इस लचर खेल को देखकर लाचार है, अब यह
चारा घोटालों की बिहार में बहार की बयार का खेल है...
लालू..., बना
लूला और नितीश कुमार..., बना लंगड़ा और अब दोनों आँख में
मुस्लिम(M) यादव(Y) की पट्टी बांधकर,
सत्ता के नाव में, बड़ी मुश्किल से, मांझी के नाव से, भंवर के चुंगल से निकल कर...,
अब नितीश्लाल (नीतीश +लालू) की नीती से भाजपा के खून से अलग होकर,
अब महादलित के खून से अपनी फजियत बचाने के लिए, क्या...???, बेचारा नीतीश कुमार अब बेनकाब होकर,
लालू के खून का चारा से.., बिहार की सत्ता की
आस से प्यास मिटाने का खवाब पूरा करने के मंसूबों में सफल होंगें...
AUGUST 15, 2014 के फेसबुक की सार्थक
फेस बुक पोस्ट
-मोदी लहर का असर..., लालू..., बना लूला और नितीश कुमार..., बना लंगड़ा और अब दोनों आँख में मुस्लिम(M) यादव(Y)
की पट्टी बांधकर, नितीश्लाल की नीती से ,
MY बिहार से चुनाव जीतने का दोनों अंधे ख्वाब देख रहे हैं.
१. कुर्सी के लिए राजनीति में कोई
दुश्मन नहीं होता यह कहावत आज तक हर दल के नेता ने कहा हैं
यदि राजनीतिक में अपने दुश्मन से
समझौता नहीं होता है, तो राष्ट्रनीति से समझौता किया जाता
है..,.राष्ट्रवाद को डुबो कर, वोट बैंक
को सत्ता की नाव से जीवन की नैया बना कर, हर नेता, हर दिन अखबारो में सुर्खिया बना कर उन्नत होते जा रहा है.., और इस आड़ में देश की सूरत-सीरत-सेहत ६७ सालो से सूख गई है...
२. अभी इस दो-मुंहा नितीश्लाल के मिलन
समारोह में २ दिन पहले भारी भीड़ जमाने के जुगाड़ का दावा करने के लिए मीडिया को
बुलाया गया..., सिर्फ १५०० लोगों की भीड़ ने नितीश्लाल के
चेहरे की हवाई उड़ा दी.., और भीड़ के बीच नीतीश कुमार को भावी
मुख्यमंत्री घोषित करने पर अभी से सर फुटव्वल शुरू हो गयी है...
३. जयप्रकाश नारायण ने तो कहा था,
देश में सबसे अधिक खनिज होने के बावजूद बिहार गरीब क्यों.???,
इस जीत का रहस्य तो..., खनिज से ज्यादा बिहार
में नेताओं के लिए जातिवाद,धर्मवाद के उत्प्रेरक खनिज से..,
बिहार भ्रष्टाचार के बहार से गाय भैसों व अन्य जानवरों के चारे से,
मुस्लिम यादव के भाई चारे नारे के आड़ २५ सालों तक चारे को डकारकर ,
प्रदेश के गरीबों को बहाकर.., एकछत्र राज्य
करते रहे...,
४. दिवंगत महान व्यंगकार लेखक श्री
हरीशंकर परसाई के १० हजार से अधिक राजनितिक लेख आज भी जीवंत हैं. १९६० के दशक
में.., उन्होंने बिहार के बारे में लिखा था, श्रीकृष्ण भगवान् मुझे मिले थे. उन्होंने, कहा मैं
बिहार में चुनाव लडूंगा और लोगो को कहूँगा में श्रीकृष्ण भगवान् हूं , मैं आसानी से जीत जाऊंगा .., तब मैंने उनसे कहा आप
जब तक यह नहीं कहोगे मैं श्रीकृष्ण “यादव” हूँ , तब तक आप चुनाव नहीं जीत सकोगे. भगवान् और
मेरी शर्त लगी भगवान् श्री कृष्णा के विरोध में यादव नाम का उम्मीदवार खड़ा था और
वह जीत गया और भगवान् श्री कृष्ण हार गए.
५. फ़कीर प्रधानमंत्री लालबहादुर
शास्त्री को छोड़कर, जिन्होने “जय जवान
जय किसान” की लकीर से देश की एक नई राष्ट्रवादी तकदरी लिखी
थी , उनकी ह्त्या कर, देश की
राष्ट्रवाद की लकीर/ राष्ट्र-धन को वोट बैंक में परिवर्तित कर इसे गरीबी हटाओ के
इमारत से “मेरा भारत महान” से “भारत निर्माण” के महलों में रहकर एक छत्र राज
किया...,
६. नेहरू के एक मुंहा वंशवाद ने वोट
बैंक की राजनीती से इस देश में गरीबी को बढाकर विदेशी हाथों के कर्ज से मर्ज का
अधिकार देकर डॉलर ने रूपये को सठीया दिया, मेरा भारत महान से,
माफियाओं की नयी पीढी के पौधों का निर्माण को “भारत निर्माण” का नारा दे दिया, बीच-बीच में विरोधी दलों को जो सत्ता प्राप्त हुई, तो
बहुमुखा सत्ताखोरों ने अपनी वंश के साम्राज्य को जमाने के राज के ख्वाब से देश को
लूटा...
७. “आराम हराम”
के नारे की आड़ में नेहरू ने धर्मवाद,जातिवाद,
भाषावाद के गद्दे से ऐय्याशी का जीवन जीया. गरीबी हटाओ के आड़ में इंदिरा
गाँधी ने आपातकाल लगाकर, बनाया संविधान हटाओ और राज करो.
अगले चुनाव में “न
जात पर न पात पर इंदिराजी की बात पर मुहर लगाओ हाथ पर...,” जनता
ने तो इस राष्ट्रवादी नारा समझकर..., इंदिरा गांधी को जीता
तो दिया लेकिन जात पात की राजनीति से.., सत्ता की इस मधुमख्खी
ने हर फूलो (गरीबो) को डंक मारकर, सत्ता का शहद पी लिया तो -
सत्ता जाने के डर से इंदिरा गाँधी ने आतंकवादियों के हाथ में मुहर मारकर , हाथ से हाथ मिला दिया ताकि वह बाहुबल से सत्ता पर मजबूती से काबिज हो.
८. इंदिरा गाँधी के शासन में गृहमंत्री
रहे, ज्ञानी जैलसिंह ने इंदिरा के आदेश पर खालिस्तान (खाली
स्थान) के आतंकवादियों से कहा तुम अपनी सेना बनाओ..., इस
आवाज़ के टेप आज भी हमारे ख़ुफ़िया विभाग (“रॉ – RAW”) के पास जीवंत हैं.., .देश की बिंडवना थी कि ज्ञानी
जैलसिंह सर्वोच्च पद्द के महामहीम बने जो आतंकवाद के महामुहीम के नेता .., राष्ट्रपति बन बैठे और इंदिरा गाँधी के इस अंधसमर्थक ने, राजीव गाँधी जिन्हें देश का ज्ञान तक नहीं था को प्रधानमन्त्री बना दिया.
९. राजीव गाँधी ने देश को बीसवी सदी
में ले जाने के झांसे से “मेरा भारत महान” के नारे को “मेरा देश का माफिया महान” के कर्मो को सार्थक कर दिया. बोफोर्स घोटाले के श्रेय लेने से पहले वी पी
सिंह ने इंदिरा की अग्नि चिता में जब इंदिरा समर्थक नारे लगा रहे थे..., “जब तक सूरज चाँद रहेगा.., इंदिरा तेरा नाम रहेगा..”
तब शमशान भूमि में इस राजीव के चाटुकार ने, झांसे
में यह कहा कि है मैं नया नारा देता हूँ “जब तक इंदिरा तेरा
नाम रहेगा.. सूरज चाँद रहेगा..” और वे राजीव गाँधी के दुसरे
श्रेणी के नेताओं में सर्वोच्च रहे.
१०. राजीव गांधी के राजनीति में पकड़
कमजोर ख़तम होने पर वी पी सिंह ने अपने को मिस्टर क्लीन बनाकर बोफोर्स घोटाले को
उजागर करने के अपने ईमानदार छवि से अपने को राजीव गाँधी से ज्यादा क्लीन दिखा कर
भा जा पा के सहयोग से प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने अपनी सत्ता २५ सालो तक सुरक्षित
रखने के लिए दलित कार्ड खेला और बोफोर्स घोटाला कूड़े में दान कर मसीहा बनने के
चक्कर में प्रधानमंत्री पद से हाथ धो बैठे....
दोस्तों लिखने को तो १०० से अधिक पेज
हैं लेकिन फेसबुक पर,लम्बा लेख पढने वाले और लाईक करने वाले
बहुत कम हैं
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