जयप्रकाश नारायण से सम्पूर्ण
क्रांती के उद्घोष से आज ही के दिन २५ जून १९७५ को देश के संविधान को व्यवधान
मानकर आपातकाल से इंदिरा गांधी ने स्वंय विधान के दरवाजे में बंद कर दिया ..,
याद रहे.., जून 1971 में, मुजफ्फरपुर बिहार में नक्सलियों की धमकी में जयप्रकाश नारायण Top Hitlist में थे. वे जानते थे नक्सलवाद का उभार व विकास की जड़ गरीबी और बेरोजगारी के अलावा सरकार द्वारा उत्पीड़न है ,इस समस्या के निदान के लिए प्यार और सहानुभूति के साथ उनकी पीड़ा व अनुभूति से ही सशस्त्र नक्सलवाद का खात्मा किया जा सकता है , वह कई महीनों के लिए Musahari ब्लॉक में रहे थे और नक्सलियों की समस्याओं को दूर करने के लिए प्रयोग किया. इसके अलावा जयप्रकाश चंबल घाटी में डकैतों का आत्मसमर्पण प्राप्त करने में वे एक प्रमुख व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व किया था.
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जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण भारत उदय के १००० से अधिक डाकुओं के आत्म समर्पण करने के बाद .., लोकतंत्र से रखवालों के नाम से १० हजार से अधिक लोग जेल जाने की आड़ में आज एक खिचड़ी खाकर..., सत्ता को अपना अधिकार मानकर, अब लोकतंत्र को लूट तंत्र का हथियार बनाकर.., अब १९४७ के बाद की नयी पीढी के स्वतन्त्रता सेनानी की नयी पंक्ति कह सम्मान का अभिमान मान रही है.
हमारे राजनेताओं से हर समस्या
सुलझाई नही बल्कि सुलगाई गयी है .., सुकमा बीजापुर गढ़चिरोली व देश के
अन्य इलाकों में नक्सलवाद व राजनेताओं से खान –खदान – नभ जलाकाश ईमान को बेचने का एक
गठबंधन का संघठन के सुनियोजन खेल है.
जयप्रकाश नारायण व राम मनोहर
लोहिया की औलादें बनी जल्लादें .., चारा घोटालों से A-Z
घोटालों की सूची लम्बी है .., देश घोटालों से बौना होते जा रहा
है....
वेबस्थल की पुरानी WEDNESDAY, 16 SEPTEMBER 2015 की पोस्ट
वेबस्थल की पुरानी WEDNESDAY, 16 SEPTEMBER 2015 की पोस्ट
इस लोकतंत्र में आप और हम वोट
बैंक के मोहरे हैं.., ५साल के रोते हुए चेहरे हैं.. राममनोहर लोहिया ने सही कहा था ..., जिंदा कौमे ५ साल का इन्तजार नहीं
करती है.
1. बिहार में ६९ सालों से जातिवाद की बहार है.., घोटालों की बयार है.., अफीमी नारों के आस से विकास का
निकाश..,नीतीश की
जातिवाद की कोशिश से अब भी बिहार कोशों मील दूर है..,
2. लालू जैसे लाल से लाखों नेता अपने को माई का लाल कहकर, भ्रष्टाचार के कटार से वोट बैंक
के इंक (INK) से गरीबों के हाथ बदरंग है.., यही सत्ता का रंग है .., बिहार के साथ, देश में जातिवाद, भाषावाद, धर्मवाद, अलगाववाद से तिरंगा बदरंग है.
3. जहां.., बिहार में. शिक्षा से तक्षशिला की शीला से देश,विश्वगुरू कहलाता था.., आज जातिवाद की विष शीला से
बिहार..,बीमार प्रदेश
बन गया है.
4. अफीमी नारों व विदेश के कर्ज की हवा से तिरगा फड़फड़ाकर “विकास” के नाम से जनता को भरमाया जा रहा
है..
5. अब मोदी के “अच्छे दिनों” के द्वन्द का एक नए रंग से..,आपस में सीटों की लड़ाई है.., राजनीती दबंगता से जनता दबते जा
रही है ...,
6. अब यह चुनावी तलवार से सत्ता के म्यानों की लड़ाई है..
7. महंगाई के भार से, जवानों के जवानी के कंधे थकते जा
रहें हैं .., माफिया, इस गोरखधंधे से चंगे होते जा रहें है.., इनकी ५ साल के बच्चे राणा सांगा
की औलादे लगती है .., और गरीब का पांच साल का बच्चा ५० साल का लगता है...
8. दिवंगत महान व्यंगकार लेखक श्री हरीशंकर परसाई के १० हजार से अधिक
राजनितिक लेख आज भी जीवंत हैं. १९६० के दशक में.., उन्होंने बिहार के बारे में लिखा
था, श्रीकृष्ण भगवान् मुझे मिले थे. उन्होंने, कहा मैं बिहार में चुनाव लडूंगा
और लोगो को कहूँगा में श्रीकृष्ण भगवान् हूं , मैं आसानी से जीत जाऊंगा .., तब मैंने उनसे कहा आप जब तक यह
नहीं कहोगे मैं श्रीकृष्ण “यादव” हूँ , तब तक आप चुनाव नहीं जीत सकोगे.
भगवान् और मेरी शर्त लगी भगवान् श्री कृष्णा के विरोध में यादव नाम का उम्मीदवार
खड़ा था और वह जीत गया और भगवान् श्री कृष्ण हार गए
9. जयप्रकाश नारायण ने तो कहा था, देश में सबसे अधिक खनिज होने के
बावजूद बिहार गरीब क्यों.???, इस जीत का रहस्य तो..., खनिज से ज्यादा बिहार में नेताओं
के लिए जातिवाद,धर्मवाद के
उत्प्रेरक खनिज से.., बिहार भ्रष्टाचार के बहार से गाय भैसों व अन्य जानवरों के चारे से, मुस्लिम यादव के भाई- चारे नारे
के आड़ में, २५ सालों तक चारे को डकारकर, प्रदेश के गरीबों को बहाकर.., एकछत्र राज्य करते रहे...,
10. दोस्तों.., देश का सबसे बड़ा जहर “अशिक्षा” है.., जिसकी वजह से जनता गरीब होते जा
रही है.., खोखले वादों के अफीमी नारों का शिकार हो जाती है.., और वोट बैंक की राजनीती करने वाले
अपने को देश का मसीहा कहकर काले धन से अमीरतम बनकर अपने को अप्रतिम कहकर सत्ता को
जातिवाद, भाषावाद,धर्मवाद व घुसपैठीयों के कोड़े से जनता को पीटकर,अधमरा कर, महंगाई बढ़ा कर कर्ज के गर्त से
देश को डूबा रहें है.
11. इस लोकतंत्र में आप और हम वोट बैंक के मोहरे हैं.., ५साल के रोते हुए चेहरे हैं..
राममनोहर लोहिया ने सही कहा था ...,जिंदा कौमे ५ साल का इन्तजार नहीं
करती है.
पिछली सरकार तो, ऐसी ख़बरों के सम्मान से सत्ता का
अभिमान की से माल-माल होकर, खुले आम संविधान को चुनौती देकर
लताड़ लगा रहें थी , हम संविधान के ५ साल के रक्षक है..., जनता ने हमें चुना है.., ऐसा कहकर देश को चुना लगा रहें
थे.., अब यह रणनीती हमें ले डूबेगी..,
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री व शरद पवार के भतीजे ने एक लाख करोड़ का सिचाई घोटाला कर..., ताल ठोककर, महाराष्ट्र की जनता का उपहास कर कहा.., इस सूखे छेत्र में मेरे पेशाब करने से यदि बाढ़ आती है, तो..., मैं पेशाब करता हूँ .., खाद्यान घोटाले से १० लाख से अधिक से किसान आत्महत्या व इस योजना से धन डकारने की योजना को मीडिया से शरद पवार भी एक सामान्य घटना मान रही है...
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री व शरद पवार के भतीजे ने एक लाख करोड़ का सिचाई घोटाला कर..., ताल ठोककर, महाराष्ट्र की जनता का उपहास कर कहा.., इस सूखे छेत्र में मेरे पेशाब करने से यदि बाढ़ आती है, तो..., मैं पेशाब करता हूँ .., खाद्यान घोटाले से १० लाख से अधिक से किसान आत्महत्या व इस योजना से धन डकारने की योजना को मीडिया से शरद पवार भी एक सामान्य घटना मान रही है...
पिछले महाराष्ट्र के विधानसभा
चुनाव में , राज ठाकरे के भाषावाद के युध्ह में मराठी माणूस (आदमी) अपनी ही
कुलहाड़ी से अपाहिज हो गया है, इस भाषावाद के जहर से.., कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस
पार्टी केसत्ता पर काब्ज होने के बाद..., सुपर पावर के शरद पवार के नेतृत्व
में महाराष्ट्र से देश तक में घोटाले की बौछार हो गयी.., मोहल्ले के नेता तो इस फव्वारे के
पानी पीने से मला-माल हो गए. बाल ठाकरे भी बार-बार पुकार कर रहें थे बेटा आ अब लौट
आओ , मेरी बोतल में शराब डालकर, सत्ता का नशा मत करों, नशा उतरने के बाद तुमको अपनी
अवकाद मालूम पड़ेगी.., क्योंकि ४० साल पहले मैंने भी यह शराब पी थी, और ३० साल तक मेरी अवकाद
नगरपालिका चुनाव जीतने तक ही थी ..., और भतीजे के इस रवैये से मरते समय
तक उनकी आत्मा तड़फती रही .., और लोकसभा चुनाव में राज ठाकरे को
जनता ने इतने जोर से पटका कि अब आनेवाले विधानसभा चुनाव से हाय-तौबा कर ली है...
हे, हुडदंग., हुडदंग.., हुडदंग..., से धर्मवाद के जंग से वोट बैंक के सौदागर दंग और हडकंप ,
पिछले चुनाव में भाषावाद के जंग
से सत्ता का रंग.., महाराष्ट्र में मोदी के विरोधी नेताओं को, लोकसभा चुनाव में, मोदी के चोट से जो घाव हो गए
है..., अब इस घाव में असदुद्दीन ओवैसी की हरी मिर्च लगने के हडकंप से
सतारूढ़ पार्टी को रोड में आने का खौफ सता रहा है..
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