कौन है – अब्दुल करीम टुंडा ..., जेल में करनाल जेल के कैदियों द्वारा पिटाई ...,
की फेस बुक व बेबस्थल की पोस्ट- एक है टुंडा..., दूसरा है राजनैतिक गुंडा... तीसरा है… देशी, विदेशी माफिया मुसटुंडा...इन तीनों से देश बर्बाद हो रहा है... देश मे, घुसपैठीया डेवलेपमेंट प्लान (G.D.P.), जो 40% से अधिक है, जो, वोट बैंक की आड़ मे आतंकी स्कूल चला रहे है, जबकि राजनैतिक आतंकवाद से भरी दोपहर मे (MID DAY MEAL से) मासूम बच्चो की हत्याए हो रही है, आज तक दोपहर के भोजन व गरीबो के मुफ्त भोजन योयनाओ मे जितने देशवासी मारे गए है, देश मे आतंकी घटनाओ मे मारे गये लोगों से कई गुना ज्यादा राजनैतिक आतंकवाद से मारे गए है॥
दुश्मन सीमा पर हावी है, और सरकार , ( विदेशी धन से, G.D.P. बढ़ाने के दाँव मे ), देश को पीछे सरका-कर डॉलर को हावी होने का रास्ता दे रही ही...
पोस्ट
१ दिसंबर २०१६.
कौन
है – अब्दुल करीम टुंडा ..., जेल में करनाल जेल क कैदियों द्वारा पिटाई ...,उत्तर
प्रदेश के गाजियाबाद के अब्दुल करीम आईएसआई द्वारा ट्रेंड था, पेन्सिल बैट्री
बनाता था नेपाल, बांग्लादेश समेत
कई देशों में वो लश्कर का नेटवर्क मजबूत करने का मुखिया था आतंकवादियों
का उस्ताद. अपने उस्तरे से देश में आतंकवादी ट्रेनिग देने की महारथ थी , जमात उल दवा दावा के हाफिज सईद को
टुंडा ने ही दाऊद इब्राहिम से मिलवाया था और अक्सर POK में हाफिज सईद में जाकर देश
की जानकारी देता व पाक आतंकवादियों की आधुनिक जानकारी देश के आतंकवादियों को देकर
प्रेरित कर बम धमाकों का मास्टर माइंड था
.., २००२ से पाकिस्तान से हिन्दुस्तान में फर्जी नोटों के कारोबारी का मुख्य माफिया
था
05 मार्च 2016 को हमारी जजसाही की स्याही के पटियाला हाउस कोर्ट ने शनिवार को अब्दुल
करीम टुंडा के मामले में सुनवाई करते उसे उन आरोपों से बरी कर दिया, जिनमें उस
पर बम धमाकों से संबंधित होने के आरोप थे.अब और ३७ आरोप जो टुंडा पर लगे हैं क्या
वह फिर से इन अपराधों से मुक्त होगा..!!
1996 से 1998 के बीच दिल्ली, पानीपत, सोनीपत, लुधियाना, कानपुर और वाराणसी में टुंडा ने कई धमाके किए. इन
धमाकों में करीब 21 लोगों की मौत हुई, जबकि 400 से
ज्यादा जख्मी हुए। अगस्त 31 1998 को दिल्ली के तुर्कमान गेट धमाके में 1 शख्स की मौत हो गई। जुलाई 14, 1997 को लाल किले के पास हुए धमाके में 18 लोगों की मौत हुई। मई 23, 1996- लाजपत नगर सेन्ट्रल मार्केट धमाके में 16 लोगों की मौत हो गई.
दोस्तों अब सवाल है कि इतने आरोपों के आरोप
पत्र तय करने के फैसले से पूर्व अब ७० वर्ष के हो चुके,टुंडा को पकड़ने के बाद ज़िंदा
रखने के लिए दिल की बीमारी के इलाज में लाखों रूपये खर्च करने के बाद.., फांसी के
फंदे में चढ़ने से पहिले वह अपनी स्वाभाविक मौत से मरकर.., क़ानूनसाही के स्याही द्वारा
लेट लतीफ़ मुकदमे के फैसले से आतंकवाद का गोरख धंधा देश में फलते फूलते रहेगा
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