चाणक्य संस्कृति
तक हमारा हर दिन बड़ा था,हर दिन त्यौहारों से लबालब से, देश के विश्व गुरूत्व से,
देश के गूरूतत्वाकर्षण की धुरी से दुनिया ने लोहा माना.
मुग़ल साम्राज्य के बाद हर दिन मध्यम था लेकिन अंगरेजी
संस्कृति ने तो देश को डूबों दिया है..,
निज भाषा को नजर अंदाज, अनपढ़ लोगों को अंगरेजी अपनी माँ कहकर देश विदेशी
हाथ ,साथ विचार संस्कार से देश की पूंजी पर ७० सालों में ७० गुना हावी हो गई है...
देश के मूलधन को
विदेशी धन खा रहा है.. , मोदी सरकार द्वारा देश के काले धन से देशवासियों को
बांधने बंधने वाले बाँध को तोड़ने का एक साहसिक कदम के बावजूद से ...
अब, देश की नौकरशाही – माफियाओं के जाल को तोड़ने की बजाय
, माफिया मकड़ियों का साथ देकर .., देश के खून चूसने के खेल का खुला सच जनता के
सामने आ गया है...
जनता कतार में.., नौकरशाही – माफिया अब एक नए अवतार से...,
लूट का खेल अबाध गति से चल रही है ..
जब तक काले धन को राष्ट्रीय सम्पत्ती घोषित हो
कर, इसे राष्ट्रीय सुरक्षा (रासुका) का क़ानून न लाया जाय
.., भविष्य में काले धन की वापसी जनता के साथ एक उपहास ही साबित होगी
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