जब तक नोटों में गांधी का चित्र रहेगा ,
माफियाओं का सूरज, चाँद की चमक व चांदनी रात से देश की अर्थव्यवस्था की समानांतर व्यवस्था से देश अस्त व्यस्त से..,
अब भविष्य में भी नए नोटों के
काले धन से भी त्रस्त रहेगा.
देश के नोटों पर गांधी के चित्रों की जगह,
१९६९ के पूर्व के नोटों से, संविधान के अशोक स्तंभ के शेरों को नोटों के चिन्ह से प्रेरित होकर नव युवकों एक नए माफियाओं के दंभ को कुचलकर देश के लिए
दहाड़ेगा. और आने वाली पीढ़ी की पीड़ा दूर होकर गौरवशाली अपराजित हिन्दुस्तान
वैभवशाली से “भारतमाता” अजर –अमर रहेगी.
बापूजी .., देश के माफियाओं का भोपू बंद हो
गया है, उनके जीवन के चमकते जीवन का सूरज व चांदनी रात अब २८-२९ -३०-३१ दिनों के महिनों
से अपने को देश की अर्थव्यस्था में अहम् से महान मानने वालों की अब हर दिन अमावस्या
से उनकी जीवन की समस्या बन गई है.
आज बैंक के कर्मचारी जिस ढंग से देश के
काले धन के लिए अति व्यस्त से काम यदि आम
दिनों में इतनी दिल्लगी बैंक व लुंज –पुंज देश के सरकारी कर्म चारी, सदाचारी से, सच्चाकारी से, मैं देश
को कितना ज्यादा श्रम बल दे सकता हूँ.., की भावना से काम करें तो देश विश्वगुरू बनकर चंद दिनों में
विश्व की १ नंबर की अर्थव्यस्था बन जायेगी.
यदि बैंक की साल की २४ छुट्टिया.., जो
केंद्र सरकार व नीजी संस्थान भी अनुसरण
करती हैं को घटाकर १० कर दी जाएँ व सिर्फ रविवार
सप्ताहिक सामूहिक अवकाश /छुट्टी घोषित हो तो
देश के एक साल का १० लाख करोड़ रूपये का बर्बाद श्रम धन के योगबल से देश की अर्थव्यस्था को राष्ट्रीय बल मिलेगा
..
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