Friday, 11 November 2016

चेतो मोदी सरकार .., मैं मोहनदास करम चंद गांधी, कुछ चंद शब्द बोल रहा हूँ..


चेतो मोदी सरकार .., मैं मोहनदास करम चंद गांधी, कुछ चंद शब्द  बोल रहा हूँ..

मैं महात्मा नहीं हूँ , मैं संविधान से बड़ा नहीं हूँ, मेरे चित्रों को सभी नोटों से हटाकर, देश के स्वाभिमान के अशोक स्तभ के शेरों सहित  चिन्ह को  मुख्य चित्र बनाकर देश में वर्तमान व भविष्य की पीढी एक नई ऊर्जा का संचार करो.., यह आपका कांग्रेस के  मौन मोहन सरकार का अनुसरण कर एक छिपे मौन का अनुसरण है.., इस आजादी में मेरा अकेला योगदान नहीं बल्कि अखंड भारत के ५० करोड़ हिन्दुस्तानियों का है .., जिनके  बलिदान व क्रांती की धधकती ज्वाला को बुझाकर, भुलाकर ,

मुझे चित्रों से मोहरा बनाकर, मेरे व अन्य  साथियों ने देश, शहर गली मोहल्लों का नाम रखकर.., चौराहों व  सडकों पर व  दिल्ली के राजघाट में मेरा महापुतला बनाकर इसे सत्ता से राज करने का घाट का पानी पी –पीकर देश की राजनीती को लूट नीती से ये देश के माफियाओं की कहानी है.

संविधान की धज्जिया उड़ाकर .., मुझे राष्टपिता व महात्मा की उपाधि से नवाज कर, २ अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश  से भ्रष्टाचार के विकास से  खिल्ली  उड़ाकर , सत्ता व नौकशाही के गठबंधन से अपने को देश का रक्षा बंधन के झांसे से यह गुल्ली डंडा के खेल से इसे  मेरे सत्य वचन की कसम खाकर देश में लूट की खुली छूट मचा  रखी है. 
  
यह तो मुझे सुभाषचंद्र बोस का अहसान मानना  चाहिए  कि सन् 1939 कांग्रेस के  पट्टाभि सीतारमैया के चुनाव हारने पर जब मैंने कहा कि  यह मेरी हार है.., तब उन्होंने कांग्रेस का पद छोड़ कर दुखी मन के बावजूद मुझे आदर देते हुए “महात्मा” कहा था इसी महात्मा शब्द को कांग्रेस ने पत्थर की लकीर बनाकर देश के तुकडे कर एक नये लकीर से देश का नक्शा बना दिया .

यहाँ तक की मुझे कांग्रेस ने मुझे “महान” महात्मा के शोर से अंग्रेजों की सल्तनत का महामहिम  मोहरा बनाकर मुझे  महात्मा” के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए मैं पांच बार सन् 1937, 1938, 1939, 1947 और 1948 में नामांकित होने से २ दिन पहिले नाथूराम द्वारा मेरी ह्त्या द्वारा मेरे छद्म शांती से मुझे मुक्ति दिलाकर मैंने अपने जीवन का प्रायश्चित कर लिया ..,
मैंने तो सत्ता परिवर्तन के बाद  कांग्रेस को भंग करने की वकालत की ..., लेकिन कांग्रेस के लकड़बग्घों नेताओं ने मेरी स्तुति से भ्रष्टाचार की नयी – नयी प्रस्तुति से, “मेरा तन तो ऊपर से नंगा था.., ये तो नीचे से भी नंगें होकर ..,” जनता को, वे मेरे शान्ति के सिद्धांत से देखने में शर्म होकर आँखें बंद कर, आज जनता में प्रतिरोध की क्षमता शून्य से भी नीचे गिर गई है  



मोदी बेटा.., देश के माफियाओं के चुंगल से छुड़ाने  के लिए धन्यवाद, मेरी आत्मा अब भी विदेशी बैंक में कैद है.., हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूँ, भले ही मेरा चश्मा नए नोटों में हो लकिन मेरा चित्र डालकर भविष्य में, मैं पुनः कैद नहीं होना चाहता..

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