सेना के स्वैच्छिक/ सेवा निवृत्ति जवान व अधिकारी OROP
(One Rank One Pension) V/S एक
साधारण सिपाही अन्ना हजारे का ORP ( oxidation / reduction potential) .., से भ्रष्टाचारियों का वाष्पिकरण से उनकी
क्षमता कर दी कम .., और अपनी पेंशन गाँव को दान दे कर ..,
डॉक्टर अब्दुल कलाम व अन्ना हजारे ने
एक मिशाल देकर , देश में एक विशाल मशाल जलाई है.
सेना के स्वैच्छिक/ सेवा निवृत्ति के जवान व अधिकारी, यदि अन्ना हजारे के ५% के कार्यबल के
बराबर भी देश को शारीरिक अनुदान या जो स्वंय
निर्भर व सम्पन्नता में हैं, वे अपने पेंशन देश को पूरा नहीं तो कुछ अंश भी देश को दान दें व अपने सेवा निवृत्ति जीवन का शारीरिक श्रम से अपने शहर के राजनैतिक माफियाओं की खबर ले या
प्रतिरोध में अनशन करें तो “राष्ट्रवाद” की महक की एक नए खुशबू से नव युवकों में
एक प्रेरक हिन्दुस्थान से देश विश्वगुरू बन जायेगा.
एक आदर्श गाँव – रालेगाँव सिद्धि, ROYAL के
रिद्धी से यहाँ आन्न हजारे ने अपनी
PENSION त्याग कर देश के PAIN SON बनकर,जब अपना गाँव नशे में डूबा व साहूकारों का चूसक था
.., सूखे से ग्रस्त गाँव के किसान अपने पशु बल की अकाल मौत आने से पहिले..,
साहूकारों को कौड़ियों के दाम बेचकर , गाँववाशी हताश थे .. और गाँववासी अपना तन मन
धन सब गंवा रहे थे
१९७५ में जम्मू में तैनाती के दौरान अन्ना
हजारे ने सेना में सेवा के १५ वर्ष पूरे होने पर उन्होंने ३८ साल में स्वैच्छिक
सेवा निवृत्ति ले ली
अपने इस लुंज पुंज गाँव में १९७८
में रालेगन आकर उन्होंने अपना सामाजिक कार्य
प्रारंभ कर दिया। इस गांव में बिजली और पानी की ज़बरदस्त कमी थी। अन्ना ने गांव
वालों को नहर बनाने और गड्ढे खोदकर बारिश का पानी इकट्ठा करने के लिए प्रेरित किया
और स्वयं भी इसमें योगदान दिया। अन्ना के कहने पर गांव में जगह-जगह पेड़ लगाए गए।
गांव में सौर ऊर्जा और गोबर गैस के जरिए बिजली की सप्लाई की गई. उन्होंने अपनी ज़मीन बच्चों
के हॉस्टल के लिए दान कर दी और अपनी पेंशन का सारा पैसा गांव के विकास के लिए
समर्पित कर दिया। वे गांव के मंदिर में रहते हैं और हॉस्टल में रहने वाले बच्चों
के लिए बनने वाला खाना ही खाते हैं। आज गांव का हर शख्स आत्मनिर्भर है. आस-पड़ोस
के गांवों के लिए भी यहां से चारा, दूध आदि
जाता है. यह गांव आज शांति, सौहार्द्र एवं भाईचारे की मिसाल
है.
आज अन्ना को देशवासियों का अहसान मानना ची चाहिए की अकेले के दम पर
उन्होंने महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं का नाडा खोलकर महाराष्ट्र के भ्रष्टाचारी नेताओं
का नगाड़ा बजाया. और इस नगाड़े की आवाज देश के संसद में पहुंचाकर.. इसी आंदोलन ने राष्ट्रीय आंदोलन का
रूप ले लिया. इसके परिणामस्वरूप १२ अक्टूबर २००५ को भारतीय संसद ने भी सूचना का
अधिकार (RTI) अधिनियम पारित किया
दोस्तों बड़े दुःख के साथ लिखना पद रहा है कि मात्र ६ साल में सेना से
सेवा निवृत्ति होने वाले राम किशन द्वारा आत्महत्या को एक वोट बैंक की नीती से वर्तमान सेना के
जवानों में एक गलत सन्देश देकर , विरोधी दल सरकार को दूषित छवी से POLITICAL
SCRIPT से इसे महामुद्धा बनाया जा रहा है...
एक प्रश्नवाची है यदि सेना के जवान को
४-८-१० शराब की बोतल प्रतिमाह मिलती है तो बाद में सेना की विधवा का शराब का कोटा
२-४-५ बोतल क्यों दिया जाता है .., दूसरा देश का दर्द है कि कुछ जवान इसे खुले
बाजार में बेच कर अतिरिक्त आय दर्ज करतें हैं .
जागो मित्रों.., अब यह राष्ट्रवाद की लहर.., कहीं वोट बैंक
की कहर के बलि न चढ़ जायें..
एक प्रतिज्ञा लें
आओं, पार्टी नहीं देश का पार्ट बने, “मैं देश के लिए बना हूँ””, देश की माटी बिकने नहीं दूंगा , “राष्ट्रवाद की खाद” से भारतमाता के वैभव से, हम देश को गौरव से भव्यशाली बनाएं
Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold.
इ - भ्रष्टाचारीयों के महाकुंभ की महान-डायरी
No comments:
Post a Comment