1.
यह ANIMATION (स्कुरण), देश के ७० वें स्वतंत्रता दिवस से
राष्ट्र को समर्पित.., यह तिरंगे का धर्म चक्र नहीं..,राष्ट्र का
कीर्ती चक्र है . जहां राज्यों की सीमा का बंधन नही, जातिवाद, धर्मवाद,आरक्षण की
गुहार नहीं..,
2.
देश का जन से गण का मन अपनी यात्रा से
बंधुत्व से अबाध गति से देश ही नहीं अपनी जीवन की यात्रा सफलता से सजीवता ,उत्साह
,उल्लास से अपने अजनबी सहपाठियों से उनके दुःख सुख व आनंद की चर्चा से स्फूर्तित
रहता है
3.
“देश में भारतीय रेल ही एकमेव
राष्ट्रीय जनसेवा है,”
जहां आरक्षण फ़ार्म पर जाति नहीं पूछी जाती है…??, तथा वरिष्ठ नागरिकों को किराए में विशेष छूट दी जाती है.
जहां आरक्षण फ़ार्म पर जाति नहीं पूछी जाती है…??, तथा वरिष्ठ नागरिकों को किराए में विशेष छूट दी जाती है.
4.
याद रहे ,सता परिवर्तन (१९४७) के बाद भी भारतीय रेल आज तक
देश के चार भागों में उत्तर, दक्षिण, पूरब,
पश्चिम में विभाजित है …इसलिए उसे अपने गंतव्य
स्थान में पहुँचने पर किसी राज्य की अनुमति नहीं लेनी पड़ती, है
5.
रेल की आरक्षित सीटों पर हर वर्ग, धर्म, जाति
व अमीर से गरीब तक एक साथ यात्रा करते है , आज के ७० वर्षों
के इतिहास में जातिवाद, धर्मवाद के नाम से किसी यात्री में
झगडा नहीं हुआ है, कोइ भी यात्री… रेल्वे
में खानपान देने वाले कर्मचारी से उसकी जाति,धर्म नहीं पूछता है .
6.
यात्रियों में भी रेल के चलने के बाद ही ,एक दूसरे से परिचय पाने की
उत्सुकता से वे उसके, गंतव्य स्थान व उसके आगे जाने की
जानकारी पूछते है, और अपने नए यात्रियों को .. जो शहर के
बारे में अनजान है… उन्हें मार्गदर्शन कर कहते है, गंतव्य स्थान पर उतरने के बाद के नजदीक का रास्ता , व
टैक्सी व आटोरिक्शा के लूटेरो से बचने के लिए उचित किराया व बस अड्डे की पैदल दूरी
की जानकारी देते है…
कोई यात्री यदि अपने घर से भोजन लाता है तो सद्भाव से अपने से सह यात्रियों से यहाँ तक पूछता है , भाई साहब.. क्या?, हमारी घर की बनाई रोटी सब्जी खाओगे… ऐसे लाखों उदाहरण है… रेल यात्रा के दौरान ही, यात्री… भविष्य के घनिष्ठ मित्र बन गयें है
७. दोस्तों….?????, यदि हम ४-४८ घंटो का सफर ७०
सालों से रेल में कर आज तक आनंदित है, तो इस तरह का जीवन में…
राष्ट्रवादी सफ़र… अपनी जिन्दगी में करें.. तो
देश हजारों गुना आगे बढ़ जाएगा … जागों…. और भारतीय रेल के आदर्शों से ही … हम सब मिलकर…
हम राष्ट्रवादी विचारधारा के जिंदादिली से सुपरफास्ट … से दुरंतो के लक्ष्य से अपने देश व जीवन को स्वर्णमय के साथ… स्वर्गमय बनाएं….
८. यह देश
की बिडंबना है की सत्ता परिवर्तन के बाद हमारे सत्ताखोरों ने देश को उत्तर , दक्षिण , पूरब,
पश्चिम के चार भागों में बांटने ने बजाय भाषावाद के नाम से १२ से
ज्यादा प्रांत बनाकर, व सेना की प्रान्त के नाम से पहचान देश
को बांटने का तड़का व जातिवाद, भाषावाद, धर्मवाद से विभिन्न अलग –अलग कानूनों से अलगाववाद के
बीज तो तभी ही बो दिए थे...
आज राजनीती की कड़ाई में घुसपैठीयों की चासनी से वोट बैक का भजिया खाकर ...भारत निर्माण भज कर .., देश के जनता को भरमा रहें है...
आज राजनीती की कड़ाई में घुसपैठीयों की चासनी से वोट बैक का भजिया खाकर ...भारत निर्माण भज कर .., देश के जनता को भरमा रहें है...
और तो और रेलवे की दलाली से देश के नेता अपने मुंह काली के जातिवाद, धर्मवाद व अलगाववाद से महाकाली के रौद्र रूप से देश का भठ्ठा बिठा रहें है...
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