ए.के. हंगल (अवतार
किशन हंगल)....मृत्यू
के बाद कह रहें हैं ..???...
अरे भाईयो...?????, इस .., देश मे सन्नाटा
क्यों है ....???, मेरे अर्थी मे
तो कुल मिलाकर ४० से
भी कम लोग थे...??? (तीसरी पुण्य
तिथी २६ अगस्त – जन्म १९१७ से २०१२ के ९५
वर्ष का जिन्दगी का सफ़र )
मैंने
फिल्मों में चाचा,पिता दादा, दोस्त की साधारण रोल से ख्याती पायी और अंत समय तक इसी
किरदार से अपनी असली जिन्दगी जी .
मैंने
हमेशा २५० फिल्मों में अभिनय करने के बावजूद नाटकों को महत्व दिया.
जिन्दगी
का मतलब सिर्फ अपने बारे में सोचना नहीं
.., मैं हमेशा कहता था चाहे कुछ भी हो जाए मैं एहसान – फरामोश और मतलबी नहीं बन सकता और न
ही बना.
मैं
तो आजादी की लड़ाई लड़ते हुए 1930-47 के बीच स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रह
दो बार जेल गया मैं तीन साल पाकिस्तान में जेल में रहे स्वतंत्रता
संग्राम के दौरान पेशावर में काबुली गेट के पास एक बहुत बड़ा प्रदर्शन हुआ था, जिसमें मैं भी उपस्थित था
लेकिन आजादी के ७० सालों बाद भी देश की, गरीब, मासूम प्रतिभाए को निखरने से पहले ही राजनैतिक आतंकवाद से जहरीला खाना खिला कर हत्या से ....देशवासियो मे... अब भी सन्नाटा क्यो छाया है...? क्या इन राजनैतिक आतंकवादियो के सन्नाटे से देशवासियो अब भी घबराए हुए है....?? , ऐसा खौफ क्यों है..????
मेरे मौत पर सन्नाटे का, मुझे गम नही है...??, मै अपनी प्रतिभा दिखाकर... बूढा हो कर ९५ साल मे मरा...?? मुझे, मेरे सन्नाटे से अवसरवादी मित्रो व प्रशंसको का आभाष हुआ है....??? मुझे इसका गम नही है...
क्या आप ऐसे सन्नाटे से डर कर, डूबती प्रतिभाओ व देश को, नही बचाओगे, जागो... देशवासियो.. नारा दो.... सिहासन खाली करो ... जनता आती है....???? ..
साभार
www.meradeshdoooba.com (a mirror of india) स्थापना २६ दिसम्बर २०११ कृपया वेबसाइट की ५६७ प्रवाष्ठियों की यात्रा करें व E MAIL द्वारा नई पोस्ट के लिए SUBSCRIBE करें - भ्रष्टाचारीयों के महाकुंभ की महान डायरी
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