प्रधानमंत्री को खुला पत्र – देश के अशोक स्तम्भ
के शेरों को लूला लंगडा बनाकर, एक क़ानून का वकील/नोटरी नोट की गठरी बनकर भेडिया की
आवाज में मुझे रोजगार देने की धमकी दे रहा है .
मेरे देश में ऐसे लाखों लोग है जो ऐसे ही
घटनाओं को देश के दर्द का मर्ज दूर करने
के बजाय इसे अपना दर्द बनाकर पसीज कर तीखा घुट पी जातें हैं. बजाय क़ानून तंत्र के
तांत्रिकों से लड़ने के ..,क्योंकि इनमें इतनी ताकत है क़ानून की तांत्रिक विद्या से
जनता कब “बलि का बकरा” बन जाये .
आज की ताजा घटना व १७ जून का दम घुटने का
संस्मरण. व घुटने न टेकने का संकल्प :
आज संध्या के चार बजे मुंबई की भारी बरसात
में सड़को की छोटी – छोटी छूती नदियों को चीरते मुम्बई, मैं कुर्ला के अपराधिक
कोर्ट में १०० रूपये के गुणाकों के ५००रूपये के स्टाम्प पेपरों को कानूनी रूप देने के लिए “नोटरी V.K.SINGH” से मिला. स्टाम्प पेपर पर ठप्पा मारने के बाद मैंने पूंछा कितने पैसे लगेंगे.., जब उसने कहा ५००
रूपये तो मैंने दंग होकर कहा “इसके पहिले भी मैं यहां आया हूँ आपके बगल मे बैठा
नोटरी ८० रूपये लेता वह व्यस्त है इसलिए मैंने आपको पेपर दिया ..,
“ फिर उसने मुझसे पूछा तुम क्या करते हो.., मैंने कहा, बेरोजगार हूँ.., और ठप्पा मारने के बाद १०० रूपये का नोट मेज पर
रखा तो V.K.SINGH ने सही करने से मना कर धमकी दी कि इस स्टाम्प पेपर का नोटरी
कैंसल करता हूँ .., तब मैंने भी उसे चुनौती दे डाली.., कैंसिल करो..,
तब उसने वह पेपर
गीली जमीन में फेक कर धमकी दी “अब ज्यादा कुछ बोला तो तुम्हें रोजगार दिलाऊंगा.., मैंने
भी भारी आवाज में चुनौती दी व नोटरी कक्ष के अन्य लोगों ने मामला शांत कराने के बाद
मैंने बगल के नोटरी से कहा आप इसे ८०
रूपये में कर दो.., तब जवाब में उसने कहा तुम पहिले मेरे पास आते तो यह काम मैं कर
देता , अब मैं भी इसके ५००रूपये लूंगा...
तब खिन्नता से इसकी
चर्चा मैं “बार रूम” में बैठी वकीलों की फ़ौज से की. सभी ने कहा “हमारे बार कौंसिल के मुखिया उस्मानी
से मिलकर शिकायत करों..,” मुखिया ने मेरी शिकायत सुनकर कहा मैं कुछ नहीं कर सकता यह उनका नीजी अधिकार है ..,
मैंने कहा मैं हाईकोर्ट में याचिका दायर करूंगा तब उन्होंने
कहा, तुम्हे वकील रखना पडेगा .., मैंने कहा, मैं आम नागरिक की हैसियत से स्वंय
लडूंगा .., तब उनका जवाब सुनकर मैं दंग रह
गया कि “संविधान को हाथ में लोगो तो जेल में सड़ जाओगे.”
अब सवाल यह है कि
“इसके काले कोट से , जनता की जेब साफ़ कर,
धुलाई का कितना धन जमा है..!!!. क्या काले
कोट की जेबें और भी लंबी होते जायेंगी “
२. दूसरी घटना- १७ जून को मुम्बई, कुर्ला के ही अपराधिक कोर्ट
में ५०० रूपये के स्टाम्प पेपर लेने गया .., १० लोगों की भीड़ में मुझे स्टाम्प पेपर लेने में
३ घंटे लग गए.., हाल यह था कि खिड़की के बाहर खड़े लोगों को छोड़कर, स्टाम्प पेपर के
कमरे में वकीलों की फ़ौज के एक –एक वकील दस
से अधिक पेपर लेकर “क़ानून के अन्दर की बात” से कतार में खड़े, खिड़की के बाहर लोगों को परेशान कर रहे थे, अंतिम स्थान में खड़े रहने
पर मैंने खिड़की पर जाकर कहा कि “बाहर खड़े लोगों के समय की कीमत नहीं है, क्यों ..,
1
घंटे से कतार नहीं हिल रही है..,” तब उस क्लर्क ने जवाब दिया कि यहां ,कोर्ट के
वकीलों को स्टाम्प पेपर देने का पहिला अधिकार है .., तब मैंने प्रतियूत्तर में जवाब
दिया कि आप वकीलों के बार रूम में एक नया विक्रय फलक क्यों नहीं खोलते हो.., तब उस
क्लर्क ने कहा यह बात, आप कोर्ट में जाकर कहो.., तब मैंने गुस्से में आकर कहा, आप वापस कहें
“मैं तुम्हारी विडियो रिकार्डिंग करता हूँ.., “तब उसने मुस्कराते हुए निर्लज्जता
से कहा.., करो.., करों .., मीडिया में मैं भी प्रसिद्धी पा लूंगा .. ,
कमरे के सभी वकील, मुझसे दो-दो हाथ करने
के मूड में अपनी कमर में हाथ रखकर, मुझे
घुर-घुर कर देख रहें थे .., इसका फल इतना जरूर निकला, चुप भीड़ बुदबुदाते मुझे सराह रही थी कि अब उस
क्लर्क ने खिड़की के बाहर एक व्यक्ती व एक
वकील को स्टाम्प पेपर देकर..., मैं तो भीड़
से निपट गया. लेकिन मेरे पीछे लगी अपार भीड़ को देख कर मन ही मन सोचता रहा यह भारत
नहीं जनता के लिए भार – रत देश है...,
जीने से मरने तक कतार, जीवन के एक समय का प्रमुख
अंग है
“UNSIGNED” नोटरी के “नोट की गठरी” का खेल..
“UNSUNG STORY OF JURIDIC”
अब अशोक
स्तम्भ के इन शेरों को भ्रष्टाचार के दूषित
गंगा में क़ानून की भैस का भेष बनाकर बहा दिया है
दोस्तों आवाज उठाओं.., देश भ्रष्टाचार के दस्त से बीमार है.., देश तो इस दंश के काले नाग.. , देश के जातिवाद, भाषावाद,
धर्मवाद, अलगाववाद के वोट बैंक से जकड़ी, बिखरी जनता को बिफर विफर कर..., चुन-चुन कर मारेगी.., अकेला मैं क्या कर सकता
हूँ .., देश के लिए यह भावना निकाल दो...
PMO व मोदीजी को इस सन्देश को भेजकर , जवाब का इन्तजार है...,
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