विश्व नशा दिवस पर .. सुर –सुरा –सत्ता के नशे से देश डूबा .., आज नशे का कारोबार हमारी GDP का दीमक बन कर देश को खाकर डुबो रहा है .
“सत्ता एक मेवा है , उसकी जय है और सत्य आत्महत्या कर
रहा है “ और “मेरा संविधान महान,
यहाँ हर माफिया पहलवान “ खादी की आड़ में
गरीबों को. अफीमी नारों के खंजर से मारा जा रहा है...
बापू
को आधार बना कर आम जनता (देखू) उससे सवाल पर सवाल किये जा रही है , देश की बदहाल स्थिती पर उसे रोना आ रहा है, पर क्या
करे वह मजबूर है।
बापू
के तीन बंदर भी मस्ती मे चूर है वे भी बदले हालातो का पूरा आनन्द उठा रहे है। सौ
मे नब्बे बैइमान फिर भी मेरा भारत महान के कहावत लोगो की रग रग मे ऐसे बस गइ है कि
बापू के तीन बंदर बुरा मत देखो, बुरा मत
कहो, बुर मत सुनो कि मुख्य भूमिका मे आ गये है, बेचारे बन्दर करे तो क्या करे उन्हे बापू ने ही तो आदेश दिया था इसलिये वे
बापू के कहे अनुसार चल रहे है, बापू के तीन बंदरो ने उनके
आदेशों को सुना तभी तो देश की हालत इतनी बिगड गइ है।
बापू
के तीन बंदर अब मस्त कलंदर बन गये है, उनके बीच
देश के बदहाल के बारे मे चर्चाए तो होती है पर व इच्छा होने के बावजूद देश के
परिस्थिती बदल नही सकते , देश की इस बदली हालत पर एक
संवादात्मक रिपोर्ट ... ।
इस
संवादात्मक कथानक के माध्यम से यहाँ उन कारणो का भी उल्लेख किया गया है, जिसमे कभी सोने की चिडिया कहा जाने वाला देश आज आज भ्रष्टाचारियों के हाथ
की कठपुतली बंनकर रह गया है। वैसे यह देश का दुर्भाग्य ही रहा है जिसे राष्ट्रपिता
पिता की झूठी उपाधि से नवाजते रहे है, उसने अहिसा के नाम पर
देश के साथ छल किया, महात्मा गाधी ने अहिसा शब्द भ्रामक अर्थ
कर... देश्वासियोको गुमराह किया। उन्होने शांति को हिंसा का पर्याय मानकर देशभक्त
युवावो को कुंठित कर दिया । हत्यारो के समक्ष आत्मसमर्पण को उन्होने अहिसा के रूप
मे महिमा-मंडित कर अपने नाम के आगे महात्मा शब्द लिखवा लिया , पर हकीकत यह है कि महात्मा गाधी ने भारत को एक “बुझदिल“
लोगो का देश बनाने का काम किया और यही उसी का नतीजा है आज देश मे
भ्रष्टाचार, आतकवाद सिर चढ कर बोल रहा है.. और इसी देश का
श्लोग्न बन गया है “मेरा संविधान महान, यहाँ हर माफिया पहलवान “ और सत्यमेव जयते की आड़ में ,
सत्ताखोर , चुनाव में धर्मवाद, अलगाववाद,जातिवाद, व
घुसपैठीयों के आड़ में सट्टा लगाकर चूनाव जीतने पर... भ्रष्टाचार से चूना लगाकर
दूसरा श्लोगन बन गया है ... “सत्ता एक मेवा है , उसकी जय है और सत्य आत्महत्या कर रहा है
दूसरा श्लोगन बन गया है ... “सत्ता एक मेवा है , उसकी जय है और सत्य आत्महत्या कर रहा है
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September 9, 2013 •
सुर –सुरा –सत्ता के नशे से देश डूबा
देश्वसियो बापू के बन्दर तो जाग कर देश के हालात पर आपसे कह रहे... कुछ तो सोचो हमारे देश के बारे मे
इन बन्दरों के कहने का सार यही है........????
सुर –सुरा –सत्ता के नशे से देश डूबा
देश्वसियो बापू के बन्दर तो जाग कर देश के हालात पर आपसे कह रहे... कुछ तो सोचो हमारे देश के बारे मे
इन बन्दरों के कहने का सार यही है........????
चाहे
जो हो धर्म तुम्हारा चाहे जो वादी हो ।
नहीं
जी रहे अगर देश के लिए तो अपराधी हो ।
जिसके
अन्न और पानी का इस काया पर ऋण है
जिस
समीर का अतिथि बना यह आवारा जीवन है
जिसकी
माटी में खेले, तन दर्पण-सा झलका है
उसी
देश के लिए तुम्हारा रक्त नहीं छलका है
तवारीख
के न्यायालय में तो तुम प्रतिवादी हो ।
नहीं
जी रहे अगर देश के लिए तो अपराधी हो ।
क्या
आप अब भी इन बन्दरो को देखकर मूक दर्शक बनकर डूबते हुए देश को अब भी देखते
रहोगे.... विस्तार से पढे...
बोलू
: अरे देखू ,तु क्या देख रहा है ?
देखू
: तुझे मालुम नही है, ये देश डूब रहा है,
देश मे गोल माल हो रहा है
बोलू
: देश डूब रहा है, अरे ये तु क्या कह रहा है?
देखू
: हा, भ्रष्टाचार की भयकर बाढ आई है , सुनामी भी इसके सामने कुछ नहीं है,
सीमाओ
पर दुश्मनो की लाल बत्ती लगी हुई है, और देश के
सत्ताधारी लाल बत्ती गाडी के लिये आपस मे लड रहे है.
बोलू
: और आगे , तू क्या देख रहा है?
देखू
: देश भूखमरी के मार से मर रहा है महगाई से आम जनता त्राहि- त्राहि मचा रही है
बोलू
:और क्या क्या देख रहा है?
देखू
: इस जनता के त्राहि- त्राहि के पीछे, दूर एक
राष्ट्रवाद का लंगूर दिख रहा है
बोलू :तो हम तीनो को देश छोड कर भागना पडेगा, तुझे तो मालुम है जब संसद भवन परिसर मे हमारे वंशज बन्दर, संसद की लूट मारी देखने के लिये जमा होती है तो हमारे सत्ताधारी, भ्रष्टाचारवाद का लंगूर किराये पर लेकर,हमारे बन्दरो को भगातें है.
देखू
,अब मुझे डर लगता है कही वह राष्ट्रवाद का लंगूर न आ
जाये?
देखू
: नही बोलू , वह राष्ट्रवाद का लंगूर है और बेहद भुखा है,
उसका शरीर अस्ति-पिजर का ढाचा है , उसे 65
साल से उसे खाना नही मिला है. वह मरणासन्न स्थिती मे है, यदि देश की जनता उसका सम्मान करे तो वह लंगूर हमे नही भगायेगा ,वह लंगूर बेहद इमानदार है, वह लंगूर “बहुजन हिताय - बहुजन सुखाय” के सिद्धांत का पालक है,
उसके आने से देश मे खुशहाली आ जायेगी, यही नही
संसद व देश के लूटेरे भी उसको देखते ही भाग जायेगे
बोलू
: तो उस लंगूर को हमारे देशवाशी ठीक क्यो नही हो रहा है?
देखू
: बोलू तुझे पता नही इसके पीछे बडा केमिकल लोचा है, इसमे हमारे बापू के नाम को घसीट कर, इस लंगूर को और
कमजोर बनाया जा रहा है..
बोलू
: अरे...??? वह कैसे ...?? कैसे ....,.???
देखू
: हमारे भ्रष्टाचारी नेता जनता को अलगाववाद जातीवाद, भषावाद ,धर्मवाद की शराब पीलाकर, जनता से कहते है कि तुम्हारे पालनहार केवल हम और हम ही है, और उपर से अपने को गाधी के अहिंसा के सिद्दांत की औलाद कहते है
बोलू : भ्रष्टाचार.... ??? तो क्या यह राष्ट्रवाद का लंगूर मर जायेगा ?
बोलू : भ्रष्टाचार.... ??? तो क्या यह राष्ट्रवाद का लंगूर मर जायेगा ?
देखू
: नही बोलू यह जनता पर निर्भर करता है, यदि जनता
दो-तीन् सालो मे इस की सेहत ठीक नही करती है तो देश या तो टूट सकता है या देश की
जनता, एक मुसीबत मोल ले सकती है या एक नई गुलामी के बन्धन मे
, नई गुलामी के जंजीर मे फँस सकती है.
बोलू
:ठीक है जब तक राष्ट्रवाद का लंगूर नही जागता है, तब तक, तु मुझे देश का हाल दिखा?
भाग
-2
बोलू
:अब तू क्या देख रहा है ?
देखू
: सींघम अभी-सेक्स कर रहा है.
बोलू
:अरे, तूने तो दिल्ली की तरफ दूर्बीन लगा रखी है वहाँ सिंघम
कैसे सेक्स कर सकता है? वहा कोइ जंगल भी नही है?
देखू
: हाँ, सिघम कोर्ट रूम मे सेक्स कर रहा है.
बोलू
: सिघम और सेक्स???? कोर्ट रूम,,??? लेकिन
कोर्ट रूम मे सिहनी कैसे पहुची..!!!
देखू
: अरे बोलू तुझे पता नही है , देश के
जंगलो से ज्यादा जंगल राज तो दिल्ली मे है
और वह जज बनने के चक्कर मे फंस गई है.
बोलू
: तो इसका मतलब यही है क्या? सभी देश की
महिला जज अपने प्रदेशो के सिंघम का शिकार हुई है.
देखू
: देश की महिला जज की सच्चाइ मेरे दूर्बीन से तो पता नही चलेगी? हाँ, डी.एन.ए
टेस्ट सच्चाइ जरूर उगलेगा,
टेस्ट सच्चाइ जरूर उगलेगा,
बोलू
: लेकिन दिल्ली के सिंघम ने देश के संविधान की धज्जिया उडा दी है क्या संविधान उसे
दंड देगा ?
देखू
:इस देश मे जो संविधान का रक्षक होता है वह दंड का अधिकारी नही बल्कि वह संविधान
का संरक्षित सदस्य होता है.
बोलू
: हाँ, अब मुझे समझ मे आया, एक
नारायण जिसकी नारी रामायण बहुत मशहूर है वह भी हैदराबाद के जंगल में सेक्स करते
पकडा गया , सबसे बडा ताजुब्ब है कि, उसे
दिल्ली के जंगल से, हैदराबाद के जंगल मे, संविधान की रक्षा के लिये भेजा गया था. और संविधान ने उसके इस कृत्य के
लिये दंडित करने की तो बात छोडो, उसके सेक्स सीडी पर रोक
लगाकर सम्मानित किया गया
देखू
: अभी नारी नारायण समाचार वाहिनी मे मै साक्षात्का र दे रहा है । संवाददाता पूछ
रहा था की क्याग यह सही है?, नारी
नारायण समाचार वाहिनी मे बेधडक कह रहा है, आपने जो मेरे चल
चित्र देखे है ,मै अपने चाल - चरित्र मे उससे भी कही बहुत
आगे हू., पूछो ? आगे और क्या पूछना है ?।
बोलू
: उसके कहने का मतलब यही है. कि इस क्रिया के लिए मुझे बापू द्वारा प्रेरणा मिलकर, प्रेरित हुआ हूँ । मतलब वह अपने चाल - चरित्र मे बापू का चाल – चरित्र जोड रहा है?.
बोलू
:अरे सुनू,..... तू क्या क्या सुन रहा है?
सुनू
: देश से इतने काँल आते है, कि एक काँल
सुनता हू तो चार-पाँच आनेवाली काँले इंतजार मे रहती है
बोलू
: अभी तू क्या सून रहा है यह तो बता ?
सुनू
: एक जायसवाल नाम का कोइ मंत्री है, उसके मुँह
मे कोयले की कालिख लगी है और वह कह रहा है , मुझे तो नई शादी
व नई बीबी मे जो जोश आता है , उससे कोइ बडा सुख नही है
बोलू : यह तो नारी नारायण का भी बाप निकला है
कैलाश तिवारी posted on 28 oct 2012
कैलाश तिवारी posted on 28 oct 2012
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