आज
वीर सावरकर की नीव के पत्थर से उपजे सुभाष चन्द्र बोस, सरदार भगत सिंग, चंद्रशेखर आजाद व
लाखों क्रांतीकारियों को आज तक देशद्रोहियों की सूची में रखकर..,
भारत के सत्ता परिवर्तन (१९४७) को आजादी के नाम से
भरमाकर.., १० लाख हिन्दुस्तानियों की खून से सनी मिट्टी में “अहिंसा” “आराम हराम
है” गरीबी हटाओं” मेरा भारत महान” को भारत रत्न के मसीहा बनाकर, देश के लाखों रोड, गलियारों, भवनों, योजनाओं व संस्थान का अलंकरण अपने नाम कर देश वासियों को
भरमाया गया कि “आजादी का रण” इन्ही आत्माओं ने जीता है.
वीर
परमवीर सावरकर की २६ फरवरी २०१६ के ५० वीं पुण्य व
२८ मई २०१६ में १३३ वी जन्म तिथी में
बुद्धीजीवियों के अखबार में कोई स्थान नहीं था ताकि वीर सावरकर विचारधारा से देश जागृत होकर..,राष्ट्रवाद
की धारा से मीडिया व प्रिंट मीडिया की दूकानें बन न हो जाए...
भले
ही..,वोट बैंक की आड़ में प्रधानमंत्री ने इस साल आंबेडकर की १२५ वीं जयन्ती का
पखवाड़ा मना कर अपनी जय-जय कार कर ली लेकिन विगत २ सालों से “वीर सावरकर” के नाम से ट्विटर पर २ लाईना लिखकर
व अत्यंत छोटे से कार्यक्रम से खाना पूर्ती की रश्म ही निभाई गई है..,
आज मोदी
सरकार, देश की सुरक्षा में जो मुस्तैदी से काम कर रही है.., वह वीर सावरकर का ही
अनुसरण कर रही है...
इजराइल देश को मान्यता दने की वकालत वीर सावरकर
ने ही की थी और आज तक इजराइल को ‘मुस्लिम
वोट बैंक” के खेल से भारत द्वारा मान्यता नहीं मिली है.
आज इजराइल,
सैन्य से सुरक्षा की वीर सावरकर नीति का
अनुसरण कर उन्नत देशों में शुमार है..., अब मोदीजी भी देश के सुरक्षा उपकरणों की
खरीद व अन्य मसलों के लिए इजराइल दौरे पर जाने वाले प्रथम प्रधानमंत्री होंगें..
सावरकर
विचारधारा के कायल पिछले बेंच के विद्यार्थी डॉक्टर अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिकों का पुनर्जन्म
करना हो तो देश को वीर सावरकर की विचारधारा अपनाने से ही देश विश्व गुरू बनेगा.
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