Saturday, 28 May 2016

“इंग्लैंड के अभी शत्रुओं में जो सर्वश्रेष्ठ है वे एक मात्र वीर सावरकर हैं .., इंग्लैंड एक भाग्यवान राष्ट्र है जिसे सावरकर जैसे चारित्र संपन्न , प्रखर राष्ट्रभक्त और कमाल का बुध्हिमान शत्रु मिला” – LORD BROCWAY – Member of Parliament England (1985 )


“इंग्लैंड के अभी शत्रुओं में जो सर्वश्रेष्ठ है वे एक मात्र वीर सावरकर हैं .., इंग्लैंड एक  भाग्यवान राष्ट्र है जिसे सावरकर जैसे   चारित्र  संपन्न , प्रखर राष्ट्रभक्त और कमाल का बुध्धिमान मान शत्रु मिला” – LORD BROCWAY – Member of Parliament England (1985 )

२८ मई -सावरकर जयन्ती पर..,

आज शनिवार है, वीर सावरकर को सत्ता परिवर्तन (१९४७) से हर सरकारों ने ७० सालों  की अपनी राजनीती में शनि ही माना है.

१९८५ में वीर स्वर सावरकर के तैल चित्र का इंग्लॅण्ड में इंडिया हाउस में लेबर पार्टी के सांसद लार्ड ब्रोकवे द्वारा अनावरण करने पर संसद में कंजर्वेटी पार्टी द्वारा विरोध करने पर  लार्ड ब्रोकवे ने लताड़ कर वीर सावरकर के  गुणों का वर्णन कर संसद को खामोश कर दिया

“इंग्लैंड के अभी शत्रुओं में जो सर्वश्रेष्ठ है वे एक मात्र वीर सावरकर हैं .., इंग्लैंड एक  भाग्यवान राष्ट्र है जिसे सावरकर जैसे   चारित्र  संपन्न , प्रखर राष्ट्रभक्त और कमाल का बुध्हिमान शत्रु मिला” – LORD BROCWAY – Member of Parliament England (1985 )

२००४ में कांग्रेस के शासन में आते ही मणिशंकर अय्यर ने बापू को महान बताने की आड़ में कालापानी जेल से  सावरकर द्वारा लिखे गए अवशेष व शिलालेखों को उखाड़ कर उन्हें इतिहास से उखाड़ने का कलुषित कार्य किया

सावरकर का प्रबल मत था कि “गुलामी”  किसी भी देश पर कलंक हैं  यदि गुलामी की बेड़ियों को सशस्त्र क्रांती से यदि कोई राष्ट्र तोड़ता है.., तो वह राष्ट्र, विदेशी आक्रान्ताओं से भविष्य में कभी गुलाम नहीं होगा..., यह मूल मंत्र ही वीर सावरकर का था , इसलिए वे मानते थे कि गांधीजी की अहिंसा से “आजादी का खेल” समय की बर्बादी है

1.   इस महान  क्रांतीकारी , वीर ही नहीं परमवीर सावरकर ने अपना तन मन धन और अपनी जिन्दगी का २४x२४ के  दिन का हर पल का  देश को संवारने में  न्योंछावर  कर दिया ..

2.वीर सावर के निम्न गुणों में महारत थी.., जो चाणक्य में भी न थी. वीर सावरकर, वे प्रकांड विद्वान, कवि, लेखक, सभी धर्मों के ज्ञाता के साथ प्रख्यात इतिहासकार थे. उन्हें मराठी साहित्य का कालिदास भी कहा जाता है..

3.वीर सावरकर ::: एक महान विद्वान ,राजनयिक, , स्टेट्समैन राजनेता, तत्वचिंतक , क्रांतीकारक लेखक, नाटककार, महाकवि, सर्वोत्तम वक्ता, पत्रकार, धर्मशील, नीतीमान, पंडित, मुनि, इतिहास संशोधक, इतिहास निर्माता, राष्ट्रीत्व के दर्शनकार, प्रवचनकार, अस्पर्शयता निवारक, शुद्धी कार्य के प्रणेता, समाज सुधारक, विज्ञान निष्ठा सिखाने वाले , भाषा शुद्धी करने वाले, लिपि सुधारक, संस्कृत भाषा पर प्रभुत्व, बहुभाषिक हिंदुत्व संगठक, राष्ट्रीय कालदर्शन के प्रणेता, कथाकार, आचार्य, तत्व ज्ञानी, महाजन, स्तिथप्रज्ञ, इतिहास समीक्षक, धर्म सुधारक विवेकशील नेता व हुतात्मा थे.

4. ..., आधुनिक इतिहासकारों ने देश के गांधीवादी नेताओं के लुंज-पूंज जुगनूओं के चमक को, सूर्य की तरह महामंडित किया है...
जबकि सावरकर को दिन का जूगनू कह कर , अन्धेरा इतिहास लिखा है.., याद रहे इस (वीर सावरकर) जूगनू ने अंग्रेजों के न डूबने वाले सूरज के पसीने छूड़ा दिये थे

5.अखंड भारत के प्रेरक को हासिये पर रख कर, कांग्रेस ने देश की अखंडता से देश आजाद करने के जनमत से १९४६ में चुनाव जीता और परदे के  पीछे गांधी- जिन्ना- नेहरू की तिकड़मबाजी से, सत्ता को  सुन्दरी मानकर, सत्य व ब्रहमचर्य के प्रयोग के खडग व ढाल से  भारत माता के अंग भंग कर, दस लाख से अधिक हिन्दुस्तानियों के खून खराब़े को सुन्दरता से बखान  करवाया कि “दे दी आजादी बिना खडग बिना ढाल..., साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल ..”

6.आज तक हमें पढ़ाया जा रहा था कि हम बुजदिल कौम थे.., और हम हजार सालों से गुलाम थे.., और सत्य के प्रयोग व ब्रह्मचर्य के प्रयोग से अहिंसाके मंत्र से, “बिना खड़ग , बिना ढालसे, एक को महात्मा व दूसरे को चचा बनाकर, इतिहास में उनके छद्म खेल को.., उन्हें पुजारी की तरह उनके नामों का गाँव.शहर.नगर में लाखों जगह पर अलंकरण कर, आज भी उन्हें पुतला बना के ताली से, भ्रष्टाचार की थाली बनाकर पूजा जा रहा है

7.वीर सावरकरजी का जन्म तो भारतमाता को बेड़ियों से मुक्त करने के ध्येय से, अग्निपथ पर चलने के लिए ही हुआ था.., देश के लिये लड़ने पर वे कई बार काल के मुख में जाने के बाद भी, उनके चेहरे में शिकन तक नहीं थी 

8.उनकी इतनी अग्निपरीक्षा हुई, यदि लोहे की होती तो, पिघल जाता, मृत्यु पर्यंत उनकी चेहरे पर भारतमाता की सेवा करने व उनके नासिक के घर को जब्त करने, व सत्ता परिवर्तन (१९४७) के बाद , नेहरू द्वारा घर पर नजरबन्द रखने के बावजूद कोई अफ़सोस नहीं किया

9.याद रहे १९७७ में बनी पहली गैर कांग्रेसी सरकार, जनता पार्टी के शासन काल में शिक्षा मंत्री रहे, मुहम्मद करीम छागला जो कभी मोहम्मद अली जिन्ना का दांया हाथ हुआ करते थे , जब जिन्ना ने कांग्रेस द्वारा मुस्लिमों के लिए अनिकूल माहौल बनता देखकर अलग “पाकिस्तान”  की मांग करने पर, मुहम्मद करीम छागला ने अपने को जिन्ना से अलग करते हुए कहा कि यह “हिन्दुस्तान के लिए आत्मघाती कदम होगा”

विशुद्ध रूप से वीर सावरकर की प्रवाष्ठियों का फेस बुक पेज
https://www.facebook.com/Veer-Paramveer-Savarkar-Shining-S…/ 

भ्रष्टाचारीयों के महाकुंभ की महान-डायरी

No comments:

Post a Comment