Wednesday, 6 January 2016

क्या आज भी वीर सावरकर देशद्रोहियों की प्रथम कतार में हैं..., भाग ३



२६ फरवरी २०१६ को वीर, वीर ही नहीं परमवीर सावरकर का चित्र उनकी ५० वी पूण्य तिथी पर देश के नोटों पर मुद्रित कर वीर सावरकर के सहित्य व जीवन की किर्ती से देश की नई पढ़ी परिचित हो जाये तो देश में एक राष्ट्रवादी क्रांती की शुरूवात हो जायेगी..., देश में लाखों ए.पी.जे अब्दुल कलाम पैदा होंगें.- भाग ३
क्या आज भी वीर सावरकर देशद्रोहियों की प्रथम कतार में हैं...,
और सताखोर १९४७ से ही  देशप्रेमी बनकर , सत्ता में  वोट बैंक की कटार से देश के गरीबों के किसानों के हल छीनने व जवानों के जज्बों को अंग्रेजों के ज़माने के हथियारों से आतंकवादियों के  ए.के. 47 के जैसे आधुनिक हथियारों से पठानकोट हवाई अड्डे में लड़कर  बचाने , लाचार  व  मजबूर हैं..,

 देशद्रोहियों की प्रथम पंक्ति में खड़े रहने कही अच्छा है कि देशभक्तों की अंतिम पंक्ति में खड़ा होना 
जिस देश में जन्म लिया और जिसका अन्न खाया उसके ऋण से मुक्त हुए बिना स्वर्ग के द्वार कदापि नहीं खुल सकते...
वीर सावरकर के महान उदगार....
यह उदगार दर्शाने के लिए  काफी है कि वीर सावरकर, भारतमाता की गुलामी को तोड़ने के लिए कितने समर्पित थे ...
जिन्हें वीर सावरकर की माता  ने बचपन से शिवाजी व अन्य  शूरों की गाथा की कथा सुनाकर ..., जीजामाता बनकर अंग्रेजों के औरंगजेबी राज्य से लड़ने के से एक नए शिवाजी महारज महाराज का उद्भव किया ..
जिनका बचपन देश को स्वातंत्र दिलाने के जज्बे से भरा था  ,सम्पूर्ण जवानी जेल की बेड़ियों में कैद ..., कैद से मुक्त होकर, सत्ता परिवर्तन के पहिले (१९४७)..,  सरदार भगत सिंग , चन्द्रशेखर  आजाद, सुभाष चन्द्र  बोस के रगों में राष्ट्रवाद का खून भरने वाले ..., १९४७ के बाद देश खंडित होने के बाद .., अपने सिद्ध्हान्तो से अडिग होकर राजा महाराणा प्रताप की तरह घास की रोटी खाना पसंद किया लेकिन भारतमाता का वैभव धुंधला होने नहीं दिया ...

एक महायोद्धा, २६ फरवरी १९६६ में.., लाल्बह्दुर शास्त्री की ह्त्या के बाद  .., देश गर्त में जाने की भविष्य वाणी कह कर .., सत्ता के चाटुकारों द्वारा वोट बैंक से देश को लूटने के खेल से इच्छा नृत्यु से अपना सम्पूर्ण धन हिंदुओं के लिए जो दूसरे धर्म में चले गए उनके शुद्धीकरण में दान देकर चले गये...

वही सावरकर के कायल , अए .पी.जे .., अब्दुल कलाम भी गुरुदासपुर की आतंकी घटना व संसद में हुडदंड से डूबते देश की तस्वीर अपने विधार्थीयों को बताने के पहिले ही इस  हिन्दुस्तान को अलविदा कह कर चले गये...   

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