नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की फाइल के दफ़न राज से...,
क्या...!!!, अब गांधी की गंदी राजनीती
व जवाहर के जहर का राज खुलेगा...
क्या युवकों में सुभाष चन्द्र बोस अंग्रेजों
के इंडियन सिविल सर्विस की में शिक्षा में ४ था स्थान पाने व धनाड्य
परिवार होने के बावजूद देश के राष्ट्रवादी विचारों से अंग्रेजों के तलवे चटाने के
बजाय, हिन्दुस्तान को गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के लिए , अपना जीवन
आज के सत्ताखोरों ने गुमनामी में इअख रख देश का असली गौरवशाली अतीत जानकार एक नए राष्ट्रवाद
का संचार होगा...
क्या आज के ज्यादातर IAS , IPS अधिकारी,
नौकरशाही .., अपने विवेक से काम न लेकर मंत्री के तलुवे चाटकर..,अब भी देश को डूबोते रहेंगें
१९३८ में कांग्रेसियों द्वारा नेताजी
सुभाष चन्द्र बोस को अध्यक्ष चुनने पर
गांधी ने कहा था यह सीतारामैय्या की हार नहीं, मेरी हार है.., और अड़ंगे डालकर उनसे
१९३९ इस्तीफा ले लिया
१. एक तो नेताजी सुभाषचंद्र बोस के
आजाद हिंद फौज से २०० किलों, सोना चोरी .., ऊपर से भारतरत्न
से अपने को महामंडित कर सीना जोरी ..., आज इतिहास में अपने अय्याशी, सत्य के प्रयोग
से आजादी की एक झूंठे महिमा से चाचा , महात्मा के कर्मों को, आज तक देश की
पीढी को बताया गया कि आजादी बिना खडग ढाल के मिली है..., एक झूठे नारे से
“राष्ट्रवाद” की खाल निकाल कर, आज तक देश को
गरीबी, भूखमरी व विदेशी
हाथों द्वारा देशवाशियों को लहूलुहान कर दिया
है..., आज
इन पुतलों की आड़ में शहर से देश लाखों संस्थान अपने नाम कर, आज तक, देशवासियों को आजादी के भ्रम में रखा
गया है... (२६ फरवरी २०१६ को ..., वीर सावरकर की पुण्य तिथी दिवस पर )
२. नेताजीसुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के लिए जो 200 किलो सोना और कैश जुटाया था, उसे उनके लापता होने के बाद लूट लिया गया था. तत्कालीन नेहरू सरकार को भी इसकी जानकारी थी. लेकिन उसका पता लगाने की कोशिश नहीं की गई. बल्कि उनके घर की जासूसी कर.., अपनी सत्ता को और मजबूत बनाया
एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इसके मुताबिक सरकार नहीं चाहती थी कि इस जांच के बहाने नेताजी और आजाद हिंद फौज की यादें ताजा हों. इसके बाद कांग्रेस फिर निशाने पर गई है.
रिपोर्ट आने के बाद नेताजी के परिवार ने मामले की जांच की मांग की है। उनका कहना है, ‘देशवासियों ने आजादी के लिए अपने जेवर और कैश दान किए थे. यह देश की संपत्ति थी और इसकी जांच होनी चाहिए कि इसे किसने लूटा।’ उधर, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘यह उस वक्त की बात है, जब विश्व युद्ध चल रहा था। ऐसे में खजाने को सुरक्षित रखना या उसके चोरी होने पर सबूत जुटाना आसान काम नहीं था।’
३. वीर सावरकर के चेले. शहीद भगतसिंग ने तो अपनी जवानी देश के लिए कुर्बान कर दी.., लेकिन क्रांती के महायोद्धा ने अपने पूरी जवानी..., भारत माता की बेड़ियां को तोड़ने में खपा दी..,
४. सत्ता परिवर्तन के बाद “वीर सावरकर’ का वर्चस्व ख़त्म करने के लिए, नाथूराम ह्त्या का आरोप लगाकर वीर सावेकर को “लाला किला में कैद” कर सावरकर को ताबूत में आख़री किल ठोकने का प्रयास किया.., उसमें भी सफलता के बजाय “जज” की लताड़ मिली.
५. नेहरु ने लियाकत समझौता का नाटक खेला , जब विभाजन के समय कांग्रेस सरकार ने बार बार आश्वासन दिया था कि वह पाकिस्तान में पीछे रह जाने वाले हिंदुओं के मानव अधिकारों के रक्षा के लिए उचित कदम उठाएगी परन्तु वह अपने इस गंभीर वचनबद्धता को नहीं निभा पाई. तानाशाह नेहरु ने पूर्वी पकिस्तान के हिंदुओं और बौद्धों का भाग्य निर्माण निर्णय अप्रैल ८ १९५० को नेहरु लियाकत समझौते के द्वारा कर दिया उसके अनुसार को बंगाली हिंदू शरणार्थी धर्मांध मुसलमानों के क्रूर अत्याचारों से बचने के लिए भारत में भाग कर आये थे, बलात वापिस पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली मुसलमान कसाई हत्यारों के पंजो में सौप दिए गए
.
६. लियाकत अली के तुष्टिकरण के विरोध कने के लिए लिए वीर सावरकर गिरफ्तार कर लिया, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को पंडित नेहरु द्वारा दिल्ली आमंत्रित किया गया तो छद्म धर्मनिरपेक्षतावादी कृतघ्न हिन्दुस्थान सरकार ने नेहरु के सिंहासन के तले ,स्वातंत्र वीर सावरकर को ४ अप्रैल १९५० के दिन सुरक्षात्मक नजरबंदी क़ानून के अन्दर गिरफ्तार कर लिया और बेलगाँव जिला कारावास में कैद कर दिया.पंडित नेहरु की जिन्होंने यह कुकृत्य लियाकत अली खान की मक्खनबाजी के लिए किया, लगभग समस्त भारतीय समाचार पत्रो ने इसकी तीव्र निंदा की. लेकिन नेहरू के कांग्रेसी अंध भक्तों ने कोई प्रतिक्रया नहीं की
७. १९५४ में “वीर सावरकर’ ने खुले आम चेतावनी दी कि चीन हमसे युद्ध करेगा.., और हमारी सेनाओ को मजबूत बनाओ.., लेकिन जवाहरलाल नेहेरू ने युद्ध कारखानों में हथियार बनाने के बजाय.., चूड़ी बनाने का उद्योग शुरू किया.., भारतमाता का अंग भंग करने से पहिले ही “आराम हराम” के सत्ता की भांग के नारे से “भारत रत्न” का स्वाधिकार प्राप्त कर लिया..
८. वीर सावरकर की भविश्यवाणी सत्य होने पर, चीन से युद्ध में मिली हार से नेहरू बौखालागाए थे और वीर सावरकर’को अपने आवास में कैद कर..., उनकी चिट्ठीयों की जांच की जाती थी कि कही एक सुराग बनाकर, इस युद्ध का दोष वीर सावरकर पर मढ़ दिया जाए...., इसमें भी नेहरू को सफलता नहीं मिली ..
१०. नेहरू ने गांधी की पाकिस्तान को ५५ करोड़ रूपये के उपहार की गंदी राजनीति से भी आगे बढ़कर , गांधी को महात्मा व बापू बनाकर , अपनी १.शांति,२ पंचशील, ३. अनाक्रमण ४. निष्पक्षता की भ्रामिक नीति...., ५. हिन्दुओ का धर्मान्तरण, ६.तुष्टीकरण ७. विदेशी भाषा के शतरंगी चाल के शतरंज को बनाया सत्ता के ढाल से हिन्दुस्थान के रंज का सप्तरंगी इन्द्रधनुष के निशाने, से देश के काश्मीर के टुकडे व चीन को दिया उपहार से हुआ, भारत रत्न का सत्कार
२. नेताजीसुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के लिए जो 200 किलो सोना और कैश जुटाया था, उसे उनके लापता होने के बाद लूट लिया गया था. तत्कालीन नेहरू सरकार को भी इसकी जानकारी थी. लेकिन उसका पता लगाने की कोशिश नहीं की गई. बल्कि उनके घर की जासूसी कर.., अपनी सत्ता को और मजबूत बनाया
एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इसके मुताबिक सरकार नहीं चाहती थी कि इस जांच के बहाने नेताजी और आजाद हिंद फौज की यादें ताजा हों. इसके बाद कांग्रेस फिर निशाने पर गई है.
रिपोर्ट आने के बाद नेताजी के परिवार ने मामले की जांच की मांग की है। उनका कहना है, ‘देशवासियों ने आजादी के लिए अपने जेवर और कैश दान किए थे. यह देश की संपत्ति थी और इसकी जांच होनी चाहिए कि इसे किसने लूटा।’ उधर, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा, ‘यह उस वक्त की बात है, जब विश्व युद्ध चल रहा था। ऐसे में खजाने को सुरक्षित रखना या उसके चोरी होने पर सबूत जुटाना आसान काम नहीं था।’
३. वीर सावरकर के चेले. शहीद भगतसिंग ने तो अपनी जवानी देश के लिए कुर्बान कर दी.., लेकिन क्रांती के महायोद्धा ने अपने पूरी जवानी..., भारत माता की बेड़ियां को तोड़ने में खपा दी..,
४. सत्ता परिवर्तन के बाद “वीर सावरकर’ का वर्चस्व ख़त्म करने के लिए, नाथूराम ह्त्या का आरोप लगाकर वीर सावेकर को “लाला किला में कैद” कर सावरकर को ताबूत में आख़री किल ठोकने का प्रयास किया.., उसमें भी सफलता के बजाय “जज” की लताड़ मिली.
५. नेहरु ने लियाकत समझौता का नाटक खेला , जब विभाजन के समय कांग्रेस सरकार ने बार बार आश्वासन दिया था कि वह पाकिस्तान में पीछे रह जाने वाले हिंदुओं के मानव अधिकारों के रक्षा के लिए उचित कदम उठाएगी परन्तु वह अपने इस गंभीर वचनबद्धता को नहीं निभा पाई. तानाशाह नेहरु ने पूर्वी पकिस्तान के हिंदुओं और बौद्धों का भाग्य निर्माण निर्णय अप्रैल ८ १९५० को नेहरु लियाकत समझौते के द्वारा कर दिया उसके अनुसार को बंगाली हिंदू शरणार्थी धर्मांध मुसलमानों के क्रूर अत्याचारों से बचने के लिए भारत में भाग कर आये थे, बलात वापिस पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली मुसलमान कसाई हत्यारों के पंजो में सौप दिए गए
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६. लियाकत अली के तुष्टिकरण के विरोध कने के लिए लिए वीर सावरकर गिरफ्तार कर लिया, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को पंडित नेहरु द्वारा दिल्ली आमंत्रित किया गया तो छद्म धर्मनिरपेक्षतावादी कृतघ्न हिन्दुस्थान सरकार ने नेहरु के सिंहासन के तले ,स्वातंत्र वीर सावरकर को ४ अप्रैल १९५० के दिन सुरक्षात्मक नजरबंदी क़ानून के अन्दर गिरफ्तार कर लिया और बेलगाँव जिला कारावास में कैद कर दिया.पंडित नेहरु की जिन्होंने यह कुकृत्य लियाकत अली खान की मक्खनबाजी के लिए किया, लगभग समस्त भारतीय समाचार पत्रो ने इसकी तीव्र निंदा की. लेकिन नेहरू के कांग्रेसी अंध भक्तों ने कोई प्रतिक्रया नहीं की
७. १९५४ में “वीर सावरकर’ ने खुले आम चेतावनी दी कि चीन हमसे युद्ध करेगा.., और हमारी सेनाओ को मजबूत बनाओ.., लेकिन जवाहरलाल नेहेरू ने युद्ध कारखानों में हथियार बनाने के बजाय.., चूड़ी बनाने का उद्योग शुरू किया.., भारतमाता का अंग भंग करने से पहिले ही “आराम हराम” के सत्ता की भांग के नारे से “भारत रत्न” का स्वाधिकार प्राप्त कर लिया..
८. वीर सावरकर की भविश्यवाणी सत्य होने पर, चीन से युद्ध में मिली हार से नेहरू बौखालागाए थे और वीर सावरकर’को अपने आवास में कैद कर..., उनकी चिट्ठीयों की जांच की जाती थी कि कही एक सुराग बनाकर, इस युद्ध का दोष वीर सावरकर पर मढ़ दिया जाए...., इसमें भी नेहरू को सफलता नहीं मिली ..
१०. नेहरू ने गांधी की पाकिस्तान को ५५ करोड़ रूपये के उपहार की गंदी राजनीति से भी आगे बढ़कर , गांधी को महात्मा व बापू बनाकर , अपनी १.शांति,२ पंचशील, ३. अनाक्रमण ४. निष्पक्षता की भ्रामिक नीति...., ५. हिन्दुओ का धर्मान्तरण, ६.तुष्टीकरण ७. विदेशी भाषा के शतरंगी चाल के शतरंज को बनाया सत्ता के ढाल से हिन्दुस्थान के रंज का सप्तरंगी इन्द्रधनुष के निशाने, से देश के काश्मीर के टुकडे व चीन को दिया उपहार से हुआ, भारत रत्न का सत्कार
११. एक विडबन्ना , जो बांग्लादेश के ‘तीन-बीघा’ समर्पण कर दिया, जब
१९५८ के नेहरु-नून पैक्ट (समझौते) के अनुसार अंगारपोटा और दाहग्राम क्षेत्र का १७ वर्ग मिल क्षेत्रफल जो चारो ओर से भारत से घिरा था ,हिन्दुस्थान को दिया जाने वाला था .हिन्दुस्थान की कांग्रेसी सरकार ने उस समय क्षेत्र की मांग करने के स्थान पर १९५२ में अंगारपोटा तथा दाहग्राम के शासन प्रबंध और नियंत्रण के लिए बांग्लादेश को ३ बीघा क्षेत्र ९९९ वर्ष के पट्टे पर दे दिया.
१२. लेकिन, अब तो वोट बैंक के तुष्टीकरण की भी कांग्रेस ने सभी हदें पार कर दी , जब केरल में लघु पाकिस्तान, मुस्लिम लीग की मांग पर केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने तीन जिलो, त्रिचूर पालघाट और कालीकट को कांट छांट कर एक नया मुस्लिम बहुल जिला मालापुरम बना दिया .इस प्रकार केरल में एक लघु पाकिस्तान बन गया. केंद्रीय सरकार ने केरल सरकार के विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाया..
दोस्तों..., अब अपनी राय बताए..., क्या देश का असली देशद्रोही कौन था...क्रांतीकारी या सत्ता के अय्यासकार.., जिन्होंने देश के शिल्पकार कह.., देश की नीव व शिल्प को तोड़ने का कार्य किया है..
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