क्या..!!, २६ फरवरी २०१६ को वीर
सावरकर की ५० वी पूण्य तिथी को राष्ट्रीय जाग्रति दिवस का पर्व मनाना चाहिए...
वीर सावरकर ::::
देशद्रोहियों की प्रथम पंक्ति में खड़े रहने कही अच्छा है कि देशभक्तों की अंतिम पंक्ति में खड़ा होना…
जिस देश में जन्म लिया और जिसका अन्न खाया उसके ऋण से मुक्त हुए बिना स्वर्ग के द्वार कदापि नहीं खुल सकते...
यह उदगार एक महान वीर सावरकर ::: एक महान विद्वान ,राजनयिक, , स्टेट्समैन राजनेता, तत्वचिंतक , क्रांतीकारक लेखक, नाटककार, महाकवि, सर्वोत्तम वक्ता, पत्रकार, धर्मशील, नीतीमान, पंडित, मुनि, इतिहास संशोधक, इतिहास निर्माता, राष्ट्रीत्व के दर्शनकार, प्रवचनकार, अस्पर्शयता निवारक, शुद्धी कार्य के प्रणेता, समाज सुधारक, विज्ञान निष्ठा सिखाने वाले , भाषा शुद्धी करने वाले, लिपि सुधारक, संस्कृत भाषा पर प्रभुत्व, बहुभाषिक हिंदुत्व संगठक, राष्ट्रीय कालदर्शन के प्रणेता, कथाकार, आचार्य, तत्व ज्ञानी, महाजन, स्तिथप्रज्ञ, इतिहास समीक्षक, धर्म सुधारक विवेकशील नेता व हुतात्मा थे.
१. वीर सावर के उपरोक्त गुणों में महारत थी.., जो चाणक्य में भी न थी. वीर सावरकर, वे प्रकांड विद्वान, कवि, लेखक, सभी धर्मों के ज्ञाता के साथ प्रख्यात इतिहासकार थे. उन्हें मराठी साहित्य का कालिदास भी कहा जाता है.. आज स्वामी विवेकानंद के विचार “धर्म परिवर्तन’ अर्थात “राष्ट्र परिवर्तन” का सन्देश देकर, वे युवकों में प्रसिद्द हो गए.., वीर सावरकर ने भी यही कहा और प्रत्यक्ष रूप से “रण” में ऊतर कर, अन्य धर्मों में गए हिंदुओं का शूद्धीकरण से उन्हें सम्मानित किया
२. इनकी प्रकाशित इन दस ग्रन्थ , देश के इतिहास व राष्ट्रवाद की गीता है.., यदि देश के किसी भी धर्म का नागरिक पढेगा तो वह राष्ट्रवाद के लय में तल्लीन होकर ..., देश ५ सालों में ही विश्व गुरू बन जाएगा ...
वीर.., वीर.., ही नहीं परमवीर सावरकर आज भी देश के महान देशद्रोहियों की सूची में है.., उनकी किर्तियाँ नदारद हैं जिन्हें हाल ही में भविष्य में पकाशित होने वाले २५ डाक टिकटों में भी स्थान नहीं मिला है ....!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!.
१. क्या अब मोदी सरकार द्वारा.., अब..., देश का सही इतिहास पढा कर.., इस क्रांतिवीर की कीर्ती को सम्मान दिया जायगा ...
२. क्या आज की तरह, इस महान क्रांतीकारी “वीर सावरकर” के जन्म दिवस पर,
TWITTER पर दो लाइनें लिख कर.., सत्ता के एक साल से अपने
कार्यकर्ताओं के ढोल से.., २ हजार सभाओं के बखान से, सत्ता के मोह में लीन हो जायेंगे
या वीर सावरकर के राष्ट्रवादी इतिहास से देश को जिन्दादिली से राष्ट्रवादी बिगुल
फूकेंगे.
३. आज तक हमें पढ़ाया जा रहा था कि हम बुजदिल कौम थे.., और हम हजार सालों से गुलाम थे.., और सत्य के प्रयोग व ब्रह्मचर्य
के प्रयोग से “अहिंसा” के मंत्र से, “बिना खड़ग , बिना ढाल” से, एक को महात्मा व दूसरे को चचा
बनाकर, इतिहास में उनके छद्म खेल को.., उन्हें पुजारी की तरह उनके नामों
का गाँव.शहर.नगर में लाखों जगह पर अलंकरण कर, आज भी उन्हें पुतला बना के ताली
से, भ्रष्टाचार की थाली बनाकर पूजा जा रहा है.
४. वीर सावरकरजी का जन्म तो भारतमाता को बेड़ियों से मुक्त करने के
ध्येय से, अग्निपथ पर चलने के लिए ही हुआ था.., देश के लिये लड़ने पर वे कई बार
काल के मुख में जाने के बाद भी, उनके चेहरे में शिकन तक नहीं थी.
५. . उनकी इतनी अग्निपरीक्षा हुई, यदि लोहे की होती तो, पिघल जाता, मृत्यु पर्यंत उनकी चेहरे पर
भारतमाता की सेवा करने व उनके नासिक के घर को जब्त करने, व सत्ता परिवर्तन (१९४७) के बाद , नेहरू द्वारा घर पर नजरबन्द रखने
के बावजूद कोई अफ़सोस नहीं किया ========================
१. यह कहा जाए कि आधुनिक भारतीय इतिहास में जिस महापुरुष के साथ
सबसे अधिक अन्याय हुआ, वह सावरकर ही हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.
५. एकमेव वीर सावरकर, भारतमाता के परमवीर पुत्र
जिन्होंने अपना 100% सम्पूर्ण जीवन, अपने ज्ञान व शक्ती के अपने “राष्ट्रवादी” विचारों से, सत्ता के मोह को त्यागकर भारतमाता
को समर्पित कर दिया
६. एकमेव वीर सावरकर जिन्होंने अपनी पूरी संपत्ती राष्ट्र को
समर्पीत कर दी, मौत के पहिले उन्होंने कहा “जो मरे पास नकद ५ हजार रूपये
हैं.., वे अन्य धर्मों से हिंदु धर्म में आये हिन्दुओ के शुद्धीकरण में
खर्च करना”
७. इतना ही नही इस देश के अतुल्य क्रांतीकारी का पूरा परिवार
भारतमाता की बेड़ियां तोड़ने में अपने को झोंक दिया था.., उनके बड़े भाई पंजाब के जेल व छोटे
भाई अंडमान जेल में बंद थे
८. सावरकर की किर्ती का कितना भी बखान किया जाय कम है.., वे तो गुणों के खान थे ..., आधुनिक इतिहासकारों ने देश के गांधीवादी
नेताओं के लुंज-पूंज जुगनूओं के चमक को, सूर्य की तरह महामंडित किया है...
९. देश के महान नोबल पुरूस्कार भारतीय वैज्ञानिक नोबल पुरूस्कार व भारत रत्न से सम्मानित चंद्रशेखर वेंकट रमण ने तो वीर सावरकर को कहा था..” आपकी राष्ट्रवाद की चमक से कोहिनूर हीरा भी फीका है ..,” और तो और भारत रत्न से सम्मानित पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी कायल थे.., और उन्होंने सांसद के प्रांगण में वीर सावरकर के चित्र लगाने के परखा प्रखर समर्थन व अनावरण किया था.
९. जबकि सावरकर को दिन का जूगनू कह कर.. , अन्धेरा इतिहास लिखा है.., याद रहे इस (वीर सावरकर) जूगनू ने
अंग्रेजों के न डूबने वाले सूरज के पसीने छूड़ा दिये थे
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