Tuesday, 3 November 2015

जातिवाद धर्मवाद अलगाववाद की खेती से जनता को “हल” से जोत कर , वोट बैंक के तंत्र से.., बिहार में भ्रष्टाचार की बयार में गौ मांस को खाद बनाकर .., लहलहराती फसल के ख्वाब से सत्ता को श्वाब का जज्बाती खेल है ..


बिहार.., वोट बैंक की बहार..,
जातिवाद धर्मवाद अलगाववाद  की खेती से जनता को “हल” से जोत कर , वोट बैंक के  तंत्र से.., बिहार में भ्रष्टाचार की बयार में गौ मांस को खाद बनाकर .., लहलहराती फसल के  ख्वाब से सत्ता को श्वाब का जज्बाती खेल है ..

इस खेल में पुरूस्कारों को लौटाने में “होड़ की दौड़” से, अपने साहित्य से.  सत्ता पर हावी  में लगाम लगने के बुरे दिन के अहसास से, स्वहितकार से.., अपनी मनमानी से  साहित्यकारों का सत्ता पर अधिकार से अधिपत्य ख़त्म होने से खलबली.., अब कलम को “छल-बल” का हथियार से देश का पतवार बनने के 70 सालों का खेल समाप्त देख.. बैचेनी से सत्ता की चासनी के  वर्चस्व की लड़ाई में “द्रोह” से.., अब  मीडिया की TRP की बंदरबाट भी समाप्त होने से, एक घुटन से, अपनी बची सांसों से चिल्ला-चिल्ला कर एक नई चिलम के धुंए से..., देश की तस्वीर धुंधली कर.., देश ही नहीं विश्व में “हिन्दुस्तान” की छवि को खराब कह.., अब, अपने रूबाबी दिनों का अंत देख रहें हैं..  
बुद्धीजीवी तो, गौ मांस की पार्टी को, देश का जलवा कहकर.., खुले आम  देशवासियों को जलाने का खेल से अपने को मीडिया की TRP बढ़ाकर गर्वीत कह रही है ...

वेबस्थल व फेस बुक की सितम्बर १६ , २०१५ की पुरानी post
1. बिहार में ६९ सालों से जातिवाद की बहार है.., घोटालों की बयार है.., अफीमी नारों के आस से विकास का निकाश.., नीतीश की जातिवाद की कोशिश से अब भी बिहार कोशों मील दूर है..,
2. लालू जैसे लाल से लाखों नेता अपने को माई का लाल कहकर, भ्रष्टाचार के कटार से वोट बैंक के इंक (INK) से गरीबों के हाथ बदरंग है.., यही सत्ता का रंग है .., बिहार के साथ, देश में जातिवाद, भाषावाद, धर्मवाद, अलगाववाद से तिरंगा बदरंग है.
3. जहां.., बिहार में. शिक्षा से तक्षशिला की शीला से देश, विश्वगुरू कहलाता था.., आज जातिवाद की विष शीला से बिहार..,बीमार प्रदेश बन गया है.
4. अफीमी नारों व विदेश के कर्ज की हवा से तिरगा फड़फड़ाकर विकासके नाम से जनता को भरमाया जा रहा है..
5. अब मोदी के अच्छे दिनोंके द्वन्द का एक नए रंग से.., आपस में सीटों की लड़ाई है.., राजनीती दबंगता से जनता दबते जा रही है ...,
6. अब यह चुनावी तलवार से सत्ता के म्यानों की लड़ाई है..
7. महंगाई के भार से, जवानों के जवानी के कंधे थकते जा रहें हैं .., माफिया, इस गोरखधंधे से चंगे होते जा रहें है.., इनकी ५ साल के बच्चे राणा सांगा की औलादे लगती है .., और गरीब का पांच साल का बच्चा ५० साल का लगता है...
8. दिवंगत महान व्यंगकार लेखक श्री हरीशंकर परसाई के १० हजार से अधिक राजनितिक लेख आज भी जीवंत हैं. १९६० के दशक में.., उन्होंने बिहार के बारे में लिखा था, श्रीकृष्ण भगवान् मुझे मिले थे. उन्होंने, कहा मैं बिहार में चुनाव लडूंगा और लोगो को कहूँगा में श्रीकृष्ण भगवान् हूं , मैं आसानी से जीत जाऊंगा .., तब मैंने उनसे कहा आप जब तक यह नहीं कहोगे मैं श्रीकृष्ण यादवहूँ , तब तक आप चुनाव नहीं जीत सकोगे. भगवान् और मेरी शर्त लगी भगवान् श्री कृष्णा के विरोध में यादव नाम का उम्मीदवार खड़ा था और वह जीत गया और भगवान् श्री कृष्ण हार गए
9. जयप्रकाश नारायण ने तो कहा था, देश में सबसे अधिक खनिज होने के बावजूद बिहार गरीब क्यों.???, इस जीत का रहस्य तो..., खनिज से ज्यादा बिहार में नेताओं के लिए जातिवाद,धर्मवाद के उत्प्रेरक खनिज से.., बिहार भ्रष्टाचार के बहार से गाय भैसों व अन्य जानवरों के चारे से, मुस्लिम यादव के भाई- चारे नारे के आड़ में, २५ सालों तक चारे को डकारकर , प्रदेश के गरीबों को बहाकर.., एकछत्र राज्य करते रहे...,
10. दोस्तों.., देश का सबसे बड़ा जहर अशिक्षाहै.., जिसकी वजह से जनता गरीब होते जा रही है.., खोखले वादों के अफीमी नारों का शिकार हो जाती है.., और वोट बैंक की राजनीती करने वाले अपने को देश का मसीहा कहकर काले धन से अमीरतम बनकर अपने को अप्रतिम कहकर सत्ता को जातिवाद, भाषावाद,धर्मवाद व घुसपैठीयों के कोड़े से जनता को पीटकर,अधमरा कर, महंगाई बढ़ा कर कर्ज के गर्त से देश को डूबा रहें है.

11. इस लोकतंत्र में आप और हम वोट बैंक के मोहरे हैं.., ५साल के रोते हुए चेहरे हैं.. राममनोहर लोहिया ने सही कहा था ..., जिंदा कौमे ५ साल का इन्तजार नहीं करती है.

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