Wednesday, 7 October 2015

मैं लालबहादुर शास्त्री बोल रहा हूं .., देश काले धन के बादलों से भरा पड़ा है .., अपने चुनावी वादों से इनमे माफियाओं के आँखों में नमक के गोले दागकर.., बरसाओ परसाओं देश के गरीबों के पसीने के धन की बरसात..



MODI V/s LALBAHADUR
“शास्त्री.., मैंने देश के जवानों-किसानों  को उन्नत करने के लिए, विदेशी खून (सहायता) नहीं माँगा .., देशी माफियाओं की आड़ से विदेशी माफियाओं द्वारा ताशकंत में मेरा खून कर.., देश के जवानों व किसानो में  विदेशी  खून से आज अपाहिज कर दिया  ... देश के स्वर्णीम युग का स्वप्न छीन लिया.”

मैंने तो नेहरू के विदेशी हाथ, साथ, विचार, भाषा, संस्कार की सोच जो देश के “कर्ज का शौच” बन रही रही थी.., वह सिर्फ “१४ महीने” में साफ़ कर.., देश के जवानों व किसानों को  .., राष्ट्रवाद से.., बिना SUBSIDY की सांप  सीढ़ी से..,  एक नई पीढी को हरित व श्वेत क्रांती.. एक हरे भरे राष्ट्र का निर्माण कर चला गया था”  काश...., मुझे और १८ महीने का समय मिलता तो देश का भविष्य की मंजिले हिमालय से भी ऊंची होती.
 शेख अब्दुल्ला द्वारा द्विराष्ट्रवाद के नेहरू खेलका मुझे अच्छी तरह आभान था.., इसलिए,शेख अब्दुल्ला की शेखी मैंने उनको गद्दी से उतारकर.., कांग्रेसी SNAKE को SHAKE कर उन्हें भी अपनी हड्डियों की श्रंखला के टूटने का भीषण आभाष हो गया था .., आज जो धारा ३७० की आड़ में जो खून का तांडव खेला जा रहा है.., उसके निदान के प्रयास के पहिले ही ताशकंद में मेरी ह्त्या कर, देशी ताकतों ने विदेशी हाथों से मेरे देश के स्वर्णीम युग का स्वप्न छीन लिया.
राष्ट्रीय सुरक्षा के आपके बाहुबली बल से सीमा पर सेना के,  जवानों का सीना  फूलकर, वे फूला नहीं समा रहें थे. लेकिन जनता व किसान के “अच्छे दिनों” के ओछे होते जा रहें से.., वे निराश हैं.

 १.    चेतो..मोदी सरकार ...मैं लालबहादुर शास्त्री बोल रहा हूं .., देश काले धन के बादलों से भरा पड़ा है .., अपने चुनावी वादों से इनमे माफियाओं के आँखों में नमक के गोले दागकर.., बरसाओ परसाओं देश के गरीबों के पसीने के धन की बरसात..
२.     विदेशों में देशी माफियाओं का काला धन एक नई ऊंचान को छू ..., ३१ दिसंबर २०१४ में ही उड़न छू हो चुका है.., 30 सितम्बर का दिन गुजर चुका है.., क़ानून में छेद  देखकर, अब तक १५ लाख रूपये के हरेक के खाते का धन का दावा करने के बजाय, लूट में छूट की दावा पिलाकर...,अब देशवासियों के हाथ १५०० रूपये भी नहीं आया है
३.    देश का माफिया.., नोटों के पुलिंदों के गद्दे पर सोया है.., आप उसका नीजी धन खोजने के बजाय विश्व में ढिंढोरा पीट रहे हो 
४.     विदेशों के काले धन के बादल को तो.., देश में आने में वर्षों लग जायेंगें .., लकिन देश के माफियाओं के काले बादलों वाले के धन की मुसलाधार बरसात के कराकर , अब डॉलर भी डूब जाएगा और सत्ता परिवर्तन (१९४७) के पहिले के स्तिथी में हमारा रूपया गर्व से डॉलर की खबर लेकर अपनी ताकत डॉलर से दुगनी बनाएगा
५.     देश को. विदेशी कर्ज नहीं.., देश को काले माफियाओं के मर्ज की जरूरत है... देश विदेशी कटोरों से नहीं १२५ करोड़ देशवासियों के मुठ्ठी बल से चलेगा.., “देश आगे बढेगा..., भ्रष्टाचारियों के आसन से “देश के आस्तीन के सांप”  से.., देश का एहसान नहीं होगा.

६.     दाल २०० रूपये किलो . चावल, प्याज  व चीनी में ४०% बढ़ोतरी  के माफियाओं के डोरे से, महंगाई के डोलने से, जनता के चाव का बल कम होते जा रहा है

७.    आपके सत्ता के लंगूर.., आज भी सत्ता के अंगूरी बनकर.., जनता को “चुनावी जूमला” कहकर बदजुबानी बयानों से आपका  बखान कर रहें हैं  
८.     देशवासी तो.., अब भी अच्छे दिनोंका मुंहताजहै.., आपके मुंह को टुकुर-टुकुर कर ताक रहा है.., आपके फ़ौज की मौजकी अटपटे बयानों के ६० महीने से, ६०० महीनों के अच्छे दिनोंव विश्व गुरू के बयानों से अपने कच्छे पहिननेके दिनों का अहसास कर रही है..
कांग्रेस के कौरवी घोटालों की बयार से देश व अपने को बह जाने के डर से आपको एक चौकीदारके रूप में एक छत्रसत्ता सौपी है.., ताकि भ्रष्टाचारियों का सूपड़ा साफ़ हो.., लेकिन उनके पाप का घडा फूटने के बजाय.., घड़ा फूलते जा रहा है.., वे तो आपकी सरकार से फूले नहीं समा रहें हैं”.., जनता को FOOL समझ रहें है 
आपकी पांडवी सेना के अर्जुन.., अपनी आय बढ़ाने के के श्रोत पर निशाना लगा कर अपनी तीर की धारको और नुकीली बनाकर, अब ५६० इंच की छाती ठोककर कह रहें हैं.., अभी भी हमारी धार कांग्रेस की तुलना में नगण्य है..
पार्टी में भ्रष्टाचार के व्यापक बीज बो चुके हैं.., कहीं ये विशाल वृक्ष बनकर, इनकी जड़ें, देश की धरती को न उखाड़ दे..,
९.    सत्ताखोरों ने भी १९४७ से ही, इस देश की हरियाली व सप्तरंगी खुशहाली व देश को, काटकर..., बंजर व रेतीला बना दिया .., जनता,तब से ही मृग बनकर, तृष्णा से मिर्गमाचिका की तरह दौड़ कर..., कि देश का नए जलवायु से एक नए जल व वायु से से जिन्दगी., और संवर जायेगी.., लेकिन सत्ताखोरों ने इस जमीन में भाषावाद,जातिवाद,धर्मवाद,अलगाववाद व घुसपैठीयों का रेत गारा डालकर..., इस देश को काले धन से अपना चारा बनाया है .. और तो विदेशी हाथ, साथ के साथ.., इसमें विदेशी विचार व संस्कार का पानी डालकर.., अब भी कह रहें है कि विदेशी कम्पनीयों के भोजन व पोशाक पहनें.., उनसे ही हमारा पोषण होगा.
१०.                  देश के महान वैज्ञनिक व नोबल पुरूस्कार व भारत रत्न से सम्मानित चंद्रशेखर वेंकट रमण ने कहा था कि  “विदेशी वस्तुएं खरीदना अर्थात  अपनी मूर्खता खरीदना..,” खरीदना है तो तकनीकी खरीदों.., उसमें अपने देशी मस्तिष्क से, इतना उन्नत बनाओं कि तकनीकी बेचने वाला दांतों तले ऊंगली दबा ले, तकनीकी बेचने वाले की ऊंगलियों में दर्द होने लगे आज यही मंत्र चीन द्वारा अपना कर, विदेशी हथियार खरीद कर , बिना तकनीकी खरीदे अपने चीनी भाषा के स्वदेशी विचार के मस्तिष्क से  सुपर पावर की राह पर चल  पड़ा है ..
११.                  आपका, विदेशी हथियार के साथ विदेशी तकनीकी से “MAKE IN INDIA” का विचार तो उत्तम है.., लेकिन देश में गरीबों का खून पर्याप्त होने के बावजूद देश के काले माफियाओं व विदेशी कटोरों के धन के खून से.., “MAKE IN INDIA” के शेर का शरीर जर्जर ही बना रहेगा
१२.                   मैंने कभी भी विदेशी खून का सहारा नहीं लिया मैंने तो अय्याश नेहरू की मौत के बाद.., उनके चाटुकारी नेताओं में उनका खून बहने वालों की नसबंदी कर, मजबूर के मजदूर बनाकर जनता का संतरी बना दिया था

१३.                  मेरा कद तो ५० इंच ही था.., लेकिन मैं देशवासियों का देश के लिए दिल ६५ इंच से भी बड़ा देखता था
१४.                  माफियाओं की दूकान बंद हो गई  थी..., मैंने कभी नेहरू के, गांधी - नेहरू द्वारा समृद्ध टाटा बिड़ला बजाज के मिजाज को देखकर उनके तलुवे नहीं चाटे, मुझे तो ५० करोड़ गरीबों के तलुओ की मजबूती का इतना अभिमान व विश्वास था कि देश की कटींली राह में, चलकर भी उनके तलुओं को काँटों की चुभन नहीं होगी..., मुझे कांग्रेस से भारी उद्योग न लगाने का भारी विरोध करने पर कहना पड़ा, जैसे नेहरू को गांधी के विचार पसंद नहीं थे उसी तरह, मुझे गांधी के स्वदेशी विचारसे लघु व ग्रामीण उद्योग से गरीबों को अमीरी रेखा तक पहुँचाना है.., देश का तन-मन धन गरीबों के उत्थान से ही, मजबूत भारत का निर्माण होगा
१५.                   भ्रष्टाचार में लिप्त पाने में, मैंने  अपने ही केन्द्रीय मंत्री
 कृष्णामचारीका इस्तीफा रूस जाने के, अपनी ह्त्या होने के पहिले
 लेकर, “जय जवान - जय किसानमें स्फूर्थीफूख दी व पार्टी में 
सनसनी से मातम फ़ैल गया था .., नेताओं को मजबूर कर मजदूत
 बनाकर देश को इतना मजबूत कर दिया कि वह विश्व गुरू की
 दहलीज में पहुँच गया था

१६.                  क्या आप भी पिछली सरकारों की तरह इन्हें भी FAVOURITE बनाकर , WRITE कर, इनके REPO – रेट को बढ़ाने से सत्ता का REPUTAION-RATE से, FAVORATE –RATE से.., FAVICOL के मुहर से चिपकाकर .., जनता का निवाला हर कर, जनता की चीत्कार बढ़ाने के, अपने विश्वास से देशवासियों की चैन की सांस खीचने वालों का दुस्साहस तोड़ें .

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