अब वीर सावरकर से प्रेरित होकर अब्दुल कलाम जैसा
विद्यार्थी पैदा नहीं होगा .., जब तक वीर सावरकर के साहित्य व हिंदुत्व के इतिहास
दर्शन से, हिन्दुस्तानी जाग्रृत नही होगा ..
आओं मनायें डॉ.
एपीजे कलाम का जन्म दिन .., एक आजाद विचारों से “वीर सावरकर” “लाल बहादुर शास्त्री” व “राजीव दीक्षित” के देशी
विचार,संस्कार संग...., भरें जीवन में
एक नया रंग.., तिरंगा न हो बदरंग
अब्दुल कलाम का ही यह जूनून था कि गरीबी से लड़ने
के लिए सवेरे अखबार बेचने से.., छोटी उम्र से ही, खुली आँखों से आसमान की गहराई को
नापने का सपना ही उन्हें “मिसाईल मैंन “ बनाकर, पूरा कर .., अखबारों की सुर्खियों
में अपने जीवन के अंत तक छा कर देश के युवकों को एक तरूणाई की छांव छोड़ गए
१. “वीर सावरकर” से अभिभूत भारत रत्न सम्मान से मंडित देश के वरिष्ठ वैज्ञानिक “डॉ. एपीजे कलाम” ने अपने उद्बोधन में बडे ही मुक्त ह्रदय से यह रहस्योद्घाटन किया था कि आपने अपनी रचना 'इंडिया 2020 ए विजन फॉर द न्यू मिलिनियम" ग्रंथ में 'स्ट्रैंग्थ रिस्पेक्ट्स स्ट्रैंग्थ" (शक्ति ही शक्ति का सम्मान करती है) यह जो दार्शनिक वाक्य प्रस्तुत किया था, वह मूलतः “वीर सावरकर “का दिया हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी तरुणाई के दिनों में “वीर सावरकर” के त्याग एवं विचारों को पढ़कर वे अभिभूत थे और उन्होंने सावरकर साहित्य को पढ़ा है
याद रहे.., पुणे के 'ऋण विमोचन ट्रस्ट" द्वारा युद्धनीति तथा रक्षा तैयारियों से संबद्ध अनुसंधान के क्षेत्र में मौलिक अनुदान देनेवाली राष्ट्रीय व्यक्ति या संस्था को दिए जानेवाले 'वीर सावरकर पुरस्कार" से वर्ष 1998 में डॉ एपीजे कलाम को सम्मानित किया गया था.
२. “वीर सावरकर” को देशद्रोही कह ललकारने वालों को राष्ट्रपति डॉ. एपीजे कलाम ने फटकार लगाई.., भले विपक्ष “वोट बैंक” के प्रतिशोध की राजनीती से संसद में गैर हाजिर था.., इसकी परवाह न करते हुए “वीर सावरकर” के तैल चित्र का अनावरण किया व भूरी-भूरी प्रशंसा की..,
याद रहें.., इससे पूर्व, के.के.नारायण जातिवाद की राजनीती से राष्ट्रपति बने थे. इसे वोट बैंक की राजनीती बरकरार रखते हुए.., उन्होंने “वीर सावरकर” के तैल चित्र लगाने का कड़ा विरोध किया, क्यों कि “वीर सावरकर” जातिवाद के महा कट्टर विरोधी थे
कलाम व वीर सावरकर में समानताएं ..
३ . दोनों, देश के पिछले बेंच (सूदूर ग्रामीण से ) के राष्ट्रवादी विद्यार्थी ..., बचपन से अलौकिक प्रतिभा.. देश व विश्व में अग्रीणतम की कतार में अव्वल.
{भले आज भी देश में .., जातिवाद,भाषावाद, भ्रष्टाचार से जनता से नेता तक में.., नशे की आड़ में आतंकवाद से हो रही सर फुटव्वल की जंग में, लोक तंत्र में लूट तंत्र का भर रहें रंग.., बदरंगों सियारों की बहार से, एक नयी बयार है.., अफीमी नारों की बोली की आड़ में, छद्म राष्ट्रवाद के . बोली की होली है..., भक्त प्रहलाद मारा जा रहा है.., होलिका WHOLE देश में HOLE कर रही है. }
४ . एक ने देश की गुलामी को विश्व पटल में लाकर क्रांतीकारियों” को सन्देश दिया कि “गुलामी” देश
व जनता का कलंक” है, इसी मंत्र से
विश्व के क्रांतीकारियों को संगठीत किया .., वहीं “डॉ. एपीजे कलाम” ने दुनिया को सन्देश दिया कि हमारा
ज्ञान विज्ञान का कोई सानी नहीं है...
५ . दोनों का सन्देश , “राष्ट्रवाद” के विचारों से ही हम सार्थक होंगें..., न कि सत्ताखोरों की बंदर बाट योजनाओं से..
६ . दोनों ने अपने जीवन का 100% समय राष्ट्र को समर्पित किया ,कोई व्यक्तिगत सम्पती नहीं बनाई.., दोनों ने राष्ट्र की सेवा करते हुए अपनी सम्पूर्ण सम्पती जन सेवा में दान देकर , देश की एक नयी लकीर की छप छोड़ गए
७ . शास्त्री को रूस न जाने की चेतावनी की भविष्यवाणी से ह्त्या का समाचार सुन, वीर सावरकर ने इच्छा मृत्यु से भारतमाता को अपनी अंतिम सांस समर्पीत की वही लोकतंत्र को तडफा-तड़फा कर घुटन से मारने के सांसदों के खेल व आतंकवाद से देश को रंगने के खेल से चिंता में डॉ. एपीजे कलाम अपनी अंतिम सांस ली
८ . दोनों सपूतों की मृत्यू ८३ साल की आयु में
देश का दुर्भाग्य...!!!!, आज सत्ता परिवर्तन के ६९ सालों बाद भी देश की जनता जातिवाद, भाषावाद,धर्मवाद व वोट बैंक से घुसपैठीयों की नीती से विदेशी आतंकवाद व देश में अलगाव वाद से भयभीत है
९. अंग्रेजों ने सत्तापरिवर्तन के समय जिन्ना,नेहरू व गांधी की तिकड़ी को सौगात दे दी थी ..., अखंड भारत की धरा- धारा से “जनमत” के बावजूद देशवासियों को बड़ा धोखा मिला.., कांग्रेसियों ने जवाहरलाल नेहरू को नकार कर , सरदार पटेल को प्रधानमंत्री के रूप में चुनने के बावजूद , गांधी ने नेहरू को प्रधानमंत्री पद “उपहार” में दे दिया
१०. देश को “छद्म अहिसा” से १९४७ की खूनी होली से १० लाख हिन्दुस्तानियों की ह्त्या से, देश तो खंडित हो गया.., इसके बावजूद हमने “वीर सावरकर” की ४० से अधिक भविष्य वाणियों की ओर ध्यान दिया होता तो आज देश ६८ साल पहिले ही “विश्व गुरू” बन जाता.
११. आज का इजराईल “वीर सावरकर” की विचारधारा को सिरोधार्य कर देश का सैन्यीकरण कर विज्ञान के संग “राष्ट्रवादी” विचारों से देश के उन्नत व सुरक्षित देशों में शुमार है.., जबकि हम आतंक वाद में चूहा मार से भी भीरू हैं
१२. कही एक आतकवाद का चूहा पकड़ भी लिया तो देश का मानवाधिकार सजा देने में, देश को धिक्कारता है.., इसकी आड़ में मीडिया –माफिया-सत्ताखोरों की टोली के जबानी बोली से वे T.R.P.से और मालामाल हो रहें हैं,,,
क्या..??, “छद्म, गांधीवादी अहिंसा” से “देश” ६९ सालों से, “भीरू” रहेगा ...!!!
राष्टवाद का सार..., देशी विचार..,
Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold. के संकल्प से गरीबी हटकर, भारत निर्माण से, इंडिया शायनिंग से, हमारे LONG – INNING से, “FEEL GOOD FACTOR” से देश के अच्छे दिन आयेंगें..
५ . दोनों का सन्देश , “राष्ट्रवाद” के विचारों से ही हम सार्थक होंगें..., न कि सत्ताखोरों की बंदर बाट योजनाओं से..
६ . दोनों ने अपने जीवन का 100% समय राष्ट्र को समर्पित किया ,कोई व्यक्तिगत सम्पती नहीं बनाई.., दोनों ने राष्ट्र की सेवा करते हुए अपनी सम्पूर्ण सम्पती जन सेवा में दान देकर , देश की एक नयी लकीर की छप छोड़ गए
७ . शास्त्री को रूस न जाने की चेतावनी की भविष्यवाणी से ह्त्या का समाचार सुन, वीर सावरकर ने इच्छा मृत्यु से भारतमाता को अपनी अंतिम सांस समर्पीत की वही लोकतंत्र को तडफा-तड़फा कर घुटन से मारने के सांसदों के खेल व आतंकवाद से देश को रंगने के खेल से चिंता में डॉ. एपीजे कलाम अपनी अंतिम सांस ली
८ . दोनों सपूतों की मृत्यू ८३ साल की आयु में
देश का दुर्भाग्य...!!!!, आज सत्ता परिवर्तन के ६९ सालों बाद भी देश की जनता जातिवाद, भाषावाद,धर्मवाद व वोट बैंक से घुसपैठीयों की नीती से विदेशी आतंकवाद व देश में अलगाव वाद से भयभीत है
९. अंग्रेजों ने सत्तापरिवर्तन के समय जिन्ना,नेहरू व गांधी की तिकड़ी को सौगात दे दी थी ..., अखंड भारत की धरा- धारा से “जनमत” के बावजूद देशवासियों को बड़ा धोखा मिला.., कांग्रेसियों ने जवाहरलाल नेहरू को नकार कर , सरदार पटेल को प्रधानमंत्री के रूप में चुनने के बावजूद , गांधी ने नेहरू को प्रधानमंत्री पद “उपहार” में दे दिया
१०. देश को “छद्म अहिसा” से १९४७ की खूनी होली से १० लाख हिन्दुस्तानियों की ह्त्या से, देश तो खंडित हो गया.., इसके बावजूद हमने “वीर सावरकर” की ४० से अधिक भविष्य वाणियों की ओर ध्यान दिया होता तो आज देश ६८ साल पहिले ही “विश्व गुरू” बन जाता.
११. आज का इजराईल “वीर सावरकर” की विचारधारा को सिरोधार्य कर देश का सैन्यीकरण कर विज्ञान के संग “राष्ट्रवादी” विचारों से देश के उन्नत व सुरक्षित देशों में शुमार है.., जबकि हम आतंक वाद में चूहा मार से भी भीरू हैं
१२. कही एक आतकवाद का चूहा पकड़ भी लिया तो देश का मानवाधिकार सजा देने में, देश को धिक्कारता है.., इसकी आड़ में मीडिया –माफिया-सत्ताखोरों की टोली के जबानी बोली से वे T.R.P.से और मालामाल हो रहें हैं,,,
क्या..??, “छद्म, गांधीवादी अहिंसा” से “देश” ६९ सालों से, “भीरू” रहेगा ...!!!
राष्टवाद का सार..., देशी विचार..,
Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold. के संकल्प से गरीबी हटकर, भारत निर्माण से, इंडिया शायनिंग से, हमारे LONG – INNING से, “FEEL GOOD FACTOR” से देश के अच्छे दिन आयेंगें..
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