आरक्षण की आग., देश रहा है.., हांफ...,
महंगाई निकाल रही है जनता का भाप.., आरक्षण के
मसीहा, इस दंश के पाप से, अपने को कह
रहें हैं, देश का बाप.., आप ..बाप..,
पाप..खाप .., पार्टियों के श्राप से देश
लहुलूहान.., फिर भी सत्ताखोरों के अपने “अच्छे दिनों” के झांसे से “मेरा
देश महान”..., प्रतिभाओं के कच्छे पहिनने के दिन आ रहें
हैं.., देश कर्ज के गर्त से.., डॉलर
मार रहा है ६७ हथौड़े रूपये पर...,
दोस्तों.., सीमा पार दुश्मनों की ललकार, देश में आरक्षण की तलवार, से अब सेना, सीमा से हटकर, देश के भीतरी दुश्मनों से लड़ने को मजबूर है.., अब लोक सभा बनी हुडदंगी लोगों की भ्रष्टाचार की गंगा , जातिवाद भाषावाद, व अफीमी नारों से बेहोश हिन्दुस्तानी, अभी भी भूखा नंगा ..
आरक्षण को जड़ से उठा के फेक देना चाहिये मेरे हिन्द देश से..,”आरक्षण हटाओं , डूबते देश को बचाओं..,”
१. छुवा-छुत/आरक्षण को कछुवा बनाकर संविधान की आड़ से हमारे सत्ताखोरों ने १० सालों के 22.५% प्रायोगिक तौर के ”पर” प्रयोजन से , इन कछुओं की मोटी खालों को अपना ढाल बनाकर सुरक्षता पूवर्क वोट बैंक से खरगोशी प्रतिभाओं की खाल निकालकर लहूलुहान कर संविधान का गुण गान कर, पंगु बनाकर, देश को विदेशी हाथ –विदेशी साथ – विदेशी विचार – विदेशी संस्कार से देश को कछुआ चाल से चलाकर, विदेशी कर्ज को मर्ज मानकर , देश को गर्त में डालकर, अब भी गर्वित हैं.
२. अब आरक्षण की तलवार से प्रतिभा के भक्षण की , एक नई धार से, नेताओं के वोट बैंक की दांत की चमक के पैने पन की तस्वीर से, आज देश ऊंचाई को छूने की बजाय “बौना” होते जा रहा है..,
३. अब पटेल आरक्षण की आग पुरे देश में पेटने की तैयारी .., क्या..??, सरकार घुटने टेक देगी.., या देश गुर्जर आन्दोलन की तरह सुलगते, गुजरे जमाने में रहेगा.., सत्ताखोरों की रोटी सेकते रहेगा.., देशवासी अब सकते में है..!!!
४. दोस्तों सत्ता परिवर्तन को आजादी कह.., देश को अशिक्षा से अंधापन कर .., अंग्रेजों के संविधान का अनुसरण कर ०.१% अंग्रेजी बाबुओं की औलादें जो विलायती शिक्षा से अंग्रेजों के संविधान में आस्था की प्रतिज्ञा से खाओ अंग्रेजी , पियों अंग्रेजी सोओ अंग्रेजी , जागो अंग्रेजी, थोपो अंग्रेजी ने विदेशी भाषा से गोरे अंग्रेजों के काले बादल की गुलामी को प्रतीक बनाकर, इस बादल से काले धन की बरसात से मालामाल हो गयें और आम हिन्दुस्तानी अवसाद से बेहाल हो गया है.
५. राख तले चिंगारी के प्रतिभा में पानी फेर कर शिक्षा को कीचड़ बनाकर, देश बदबूदार हो गया है
.
६. सत्ता का एक फंडा है, देश में सत्ताखोरों का एक गोरख़ धंधा है ..,५०% आरक्षण से देश की आधी प्रतिभा गायब, और व्यापम के इस नए प्रकार के तड़के से इस आग में हजारों प्रकार के घोटालों के उत्प्रेरकों देश के ऊतक 30-४०% शिक्षा, अकर्मण्य छात्रों को पिछले दरवाजे से प्रवेश.., जो बचे शेष १०-२०% प्रतिभावान छात्र वे देश के इस मकड़जाल से, अपने अगली पीढी का भविष्य संवारने विदेशों में पलायन कर, अपनी प्रतिभा से विश्व को गौरान्वीत कर रहें हैं
.
७. १९४७ में विश्व के 100 से अधिक देश हमसे पिछड़े थे..,लेकिन अपनी मजबूत इच्छा बल से बिना आरक्षण के, घोंघा चाल से एक दृण मंजिल पाने से, उन्नत देशों की कतार में शामिल हो गयें है..
८. देश के खरगोश आज आरक्षण के जहर से, बेहोश होकर मर रहें हैं., देश का मर्ज, आरक्षण व कर्ज से नहीं, देश के १२५ करोड़ जनता को सम्मान व प्रतिभा के आंकलन से, आगे बढ़ने से ही.., देश आगे बढेगा
९. Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold.
दोस्तों.., सीमा पार दुश्मनों की ललकार, देश में आरक्षण की तलवार, से अब सेना, सीमा से हटकर, देश के भीतरी दुश्मनों से लड़ने को मजबूर है.., अब लोक सभा बनी हुडदंगी लोगों की भ्रष्टाचार की गंगा , जातिवाद भाषावाद, व अफीमी नारों से बेहोश हिन्दुस्तानी, अभी भी भूखा नंगा ..
आरक्षण को जड़ से उठा के फेक देना चाहिये मेरे हिन्द देश से..,”आरक्षण हटाओं , डूबते देश को बचाओं..,”
१. छुवा-छुत/आरक्षण को कछुवा बनाकर संविधान की आड़ से हमारे सत्ताखोरों ने १० सालों के 22.५% प्रायोगिक तौर के ”पर” प्रयोजन से , इन कछुओं की मोटी खालों को अपना ढाल बनाकर सुरक्षता पूवर्क वोट बैंक से खरगोशी प्रतिभाओं की खाल निकालकर लहूलुहान कर संविधान का गुण गान कर, पंगु बनाकर, देश को विदेशी हाथ –विदेशी साथ – विदेशी विचार – विदेशी संस्कार से देश को कछुआ चाल से चलाकर, विदेशी कर्ज को मर्ज मानकर , देश को गर्त में डालकर, अब भी गर्वित हैं.
२. अब आरक्षण की तलवार से प्रतिभा के भक्षण की , एक नई धार से, नेताओं के वोट बैंक की दांत की चमक के पैने पन की तस्वीर से, आज देश ऊंचाई को छूने की बजाय “बौना” होते जा रहा है..,
३. अब पटेल आरक्षण की आग पुरे देश में पेटने की तैयारी .., क्या..??, सरकार घुटने टेक देगी.., या देश गुर्जर आन्दोलन की तरह सुलगते, गुजरे जमाने में रहेगा.., सत्ताखोरों की रोटी सेकते रहेगा.., देशवासी अब सकते में है..!!!
४. दोस्तों सत्ता परिवर्तन को आजादी कह.., देश को अशिक्षा से अंधापन कर .., अंग्रेजों के संविधान का अनुसरण कर ०.१% अंग्रेजी बाबुओं की औलादें जो विलायती शिक्षा से अंग्रेजों के संविधान में आस्था की प्रतिज्ञा से खाओ अंग्रेजी , पियों अंग्रेजी सोओ अंग्रेजी , जागो अंग्रेजी, थोपो अंग्रेजी ने विदेशी भाषा से गोरे अंग्रेजों के काले बादल की गुलामी को प्रतीक बनाकर, इस बादल से काले धन की बरसात से मालामाल हो गयें और आम हिन्दुस्तानी अवसाद से बेहाल हो गया है.
५. राख तले चिंगारी के प्रतिभा में पानी फेर कर शिक्षा को कीचड़ बनाकर, देश बदबूदार हो गया है
.
६. सत्ता का एक फंडा है, देश में सत्ताखोरों का एक गोरख़ धंधा है ..,५०% आरक्षण से देश की आधी प्रतिभा गायब, और व्यापम के इस नए प्रकार के तड़के से इस आग में हजारों प्रकार के घोटालों के उत्प्रेरकों देश के ऊतक 30-४०% शिक्षा, अकर्मण्य छात्रों को पिछले दरवाजे से प्रवेश.., जो बचे शेष १०-२०% प्रतिभावान छात्र वे देश के इस मकड़जाल से, अपने अगली पीढी का भविष्य संवारने विदेशों में पलायन कर, अपनी प्रतिभा से विश्व को गौरान्वीत कर रहें हैं
.
७. १९४७ में विश्व के 100 से अधिक देश हमसे पिछड़े थे..,लेकिन अपनी मजबूत इच्छा बल से बिना आरक्षण के, घोंघा चाल से एक दृण मंजिल पाने से, उन्नत देशों की कतार में शामिल हो गयें है..
८. देश के खरगोश आज आरक्षण के जहर से, बेहोश होकर मर रहें हैं., देश का मर्ज, आरक्षण व कर्ज से नहीं, देश के १२५ करोड़ जनता को सम्मान व प्रतिभा के आंकलन से, आगे बढ़ने से ही.., देश आगे बढेगा
९. Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold.
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