गणपति बप्पा
मोरिया.., हर माफिया, किसानों को निचोड़ रिया .., आपकी हुंकार.., महाराष्ट्र में
बरसात की फुकार.., किसानों के बाहुबली से हल की पुकार.., गणपति बप्पा
मोरिया.., हर माफिया, किसानों को निचोड़ रिया .., आपकी हुंकार.., महाराष्ट्र में
बरसात की फुकार.., किसानों के बाहुबली से हल की पुकार.., अब नहीं होगा सिचाई घोटालों से किसानों के जीवन पर अत्याचार.
बाहुबली
किसान.., हल थी, जिसकी शान...,बैल थे, अन्नदाता की जान .., देश का उन्नत विज्ञान
,गौ-माता का सम्मान .., हिन्दुस्थान था सोने की खान से विश्वगुरू का मान
जुलाई 24 को मोदी सरकार के कृषी मंत्री राधा मोहन का बयान.., “किसानों की आत्महत्या का कारण प्रेम प्रसंग और
नपुंसकता” और इसके बाद...., प्रधानमंत्री मोदी की भी मूक सहमती.
पिछली सरकार में.., अप्रैल २०१३ में, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने 70 हजार करोड़ सिंचाई घोटाला कर,
सूखे को लेकर महाराष्ट्र के इंदापुर में
दिए गए इस बयान में अजीत ने कह डाला कि बांधों में पानी नहीं है तो क्या मैं पेशाब
करूं तो बाढ़ आयेगी ..
१. किसान तो रूपये में कमाता है
...माफिया डॉलर में बेचता है.., १० रूपये का प्याज .., किसानों के पसीने को ब्याज
सहित वसूल कर.., सूखे की योजना में सत्ताखोरों-माफिया
के गठबंधन से राहत के नाम से किसानों को १०० रूपये में १० रूपये भी नहीं मिलते हैं..,
२. सूखा हो या बरसात .., माफियाओं की सौगात..., अकाल में तो,माफियाओं के
गाल,लाल हो जाते हैं .., किसानों के मवेशी कौड़ियों के दाम खरीद कर.., भूमि अधिग्रहण
कर देश में ग्रहण लग रहा है.. और बाढ़ की आड़ में धन का झाड लग जाता है..,
३. आश्चर्य है कि आज देश में किसानों की औसत आय २३०० रूपये मासिक है..,
जबकि चपरासी के शुरू का वेतन १६००० रूपये मासिक .., अभी हाल ही में ३५० पदों की
भर्ती में साढ़े तीन लाख से अधिक साक्षरतम लोगों की इस पद को पाने की हौड़ में दौड़
रहें हैं
४. दोस्तों किसान तो माटी को माँ
मानकर प्रेम करता, माँ के आँचल (माटी) को सूंघकर अगली फसल का भान लगा लेता है ..,
इनके पुरूषार्थ को.., नपुंशक नेताओं में सत्ता की खुमारी की बीमारी से ही भारतमाता
घायल है
५. सत्ता परिवर्तन को आजादी का झांसा
देकर.., हमारी कृषी व्यवस्था को विदेशी
भाषा,हाथ,साथ विचार से किसानों के बैलों
में विदेशी खून डालकर, किसानों की श्रमिक
शक्ती का गला घोंट दिया .., आराम हराम के नारों से सत्ताखोरों ने किसान व जवान का
जीवन हराम कर दिया था..
६. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर
शास्त्री ने मात्र १८ महीनों में जवान –किसान को उन्नत कर, एक जज्बा फूका था..,
उनकी ह्त्या से देश के राष्ट्रवाद की ह्त्या हो गई...
७. काश
१९४७ में सत्ताखोरों ने देश की नदियों को जोड़ने की महान इंजीनियर डॉ. के.एल.राव की
यह योजना मान ली होती.., उन्होंने
तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरु के सामने गंगा-कावेरी को आपस में जोड़ने की योजना का
प्रारूप पेश किया था. और नेहरू को समझाया था देश में नए राष्ट्रवादी खून का संचार
है .., नहरो के लिए हर किसान अपनी भूमिदान के साथ श्रमदान भी देगा.., नेहरूं ने इस
योजना में धन न होने के बहाने से इसे खारिज कर दिया और देश की झूठी शान दर्शाने के
लिए दिल्ली में “५ सितारा अशोका होटल” का निर्माण में धन खर्च किया
८. डॉ. राव ने इस परियोजना के विभिन्न पक्षों पर
विस्तृत रूप से एक संवाददाता सम्मलेन दिल्ली में बुलाया था. तब इस देश में
कांग्रेस का एक छत्र राज था. इस परियोजना का विरोध विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों
ने किया. संभवतः इसका कारण था कि वे बाढ़
एवं अकाल सहायता योजनाओं से होने वाली अवैध मोती कमाई से हाथ धोना नहीं चाहते
थे.नेहरू भी उनकी बैटन में आ गए और उन्होंने इस योजना को अव्यावहारिक बताकर इसे
खटाई में डाल दिया. डॉ. राव इससे अत्यंत व्यथित हुए एवं एक संवाददाता सम्मलेन में
तो वे वास्तव में रो पड़े.
९. गत ६९ वर्षों से भी अधिक अवधि से इस राष्ट्रहित की
योजना को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल रखा था. संभवतः इसका कारण यह था कि देश में
हर वर्ष बाढ़ एवं सूखे की राहत के नाम पर जो दस हज़ार करोड़ से भी अधिक धनराशि बांटी जाती है
उसमें से ८० प्रतिशत भ्रष्ट नेता और अधिकारी पचा जाते हैं. इसलिए वे भला क्यों
चाहेंगे कि देश की नदियों को जोड़ने की योजना को कार्यान्वित किया जाये क्योंकि
यदि ऐसा होता है अकाल और बाढ़ का भारत से सदा के लिए नामोंनिशान मिट जायेगा. इससे
उनकी खरबों रुपये की अवैध कमाई बंद हो जाएगी. इसके साथ ही यह उल्लेख करना भी
आवश्यक है कि यदि राष्ट्रहित की यह योजना पूर्ण हो जाती है तो भारत विश्व की सबसे समृद्ध
शक्ति के रूप में उभरेगा.
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