१. लोकसभा
चुनाव..., मोदी लहर का असर..., लालू..., बना लूला और नितीश कुमार..., बना लंगड़ा और अब दोनों आँख में मुस्लिम(M) यादव(Y)
की पट्टी बांधकर, नितीशलाल की नीती से ,
MY बिहार से चुनाव जीतने का दोनों अंधे ख्वाब देख रहे हैं.
२. अब केजरीवाल की नौटंकी से MY लालू के नीती के लव ट्रेंगल से..., क्या अब होगी.., इन तीनों की होगी टिंगल.., पटखनी से राजनीती के चिटखनी से एक दल, दूसरे दल को कैद करने का खेल है
३. अभी इस दो-मुंहा नितीश लाल के साथ अपने को दिल्ली का सरताज कहने वाले टिंगलवाल.., लालू के मिलन समारोह में शिरकत देने उन्हें अपनी तरह इमानदार कह.., खुली हवा में नीतीश कुमार के धनुष से हवा में तीर चलाकर तारीफ़ कर दी..,
४. जातिवाद के नरमुंडों के समीकरण का यह खेल है.., कही दलित , मुस्लिम व यादव के झोल से इनके वोट अपने झोले में डालने की प्रतिस्पर्धा है..
,
५. कुर्सी के लिए राजनीति में कोई दुश्मन नहीं होता यह कहावत आज तक हर दल के नेता ने कहा हैं...
यदि राजनीतिक दुश्मन से समझौता नहीं होता तो राष्ट्रनीति से समझौता किया जाता है..,.राष्ट्रवाद को डुबो कर, वोट बैंक के सत्ता की नाव से जीवन की नैया बना कर, हर नेता, हर दिन अखबारो में सुर्खिया बना कर उन्नत होते जा रहा है.., और इस आड़ में देश की सूरत-सीरत-सेहत ६९ सालो से सूख गई है...
६. दिवंगत महान व्यंगकार लेखक श्री हरीशंकर परसाई के १० हजार से अधिक राजनितिक लेख आज भी जीवंत हैं. १९६० के दशक में.., उन्होंने बिहार के बारे में लिखा था, श्रीकृष्ण भगवान् मुझे मिले थे. उन्होंने, कहा मैं बिहार में चुनाव लडूंगा और लोगो को कहूँगा में श्रीकृष्ण भगवान् हूं , मैं आसानी से जीत जाऊंगा .., तब मैंने उनसे कहा आप जब तक यह नहीं कहोगे मैं श्रीकृष्ण “यादव” हूँ , तब तक आप चुनाव नहीं जीत सकोगे. भगवान् और मेरी शर्त लगी भगवान् श्री कृष्णा के विरोध में यादव नाम का उम्मीदवार खड़ा था और वह जीत गया और भगवान् श्री कृष्ण हार गए
७. जयप्रकाश नारायण ने तो कहा था, देश में सबसे अधिक खनिज होने के बावजूद बिहार गरीब क्यों.???, इस जीत का रहस्य तो..., खनिज से ज्यादा बिहार में नेताओं के लिए जातिवाद,धर्मवाद के उत्प्रेरक खनिज से.., बिहार भ्रष्टाचार के बहार से गाय भैसों व अन्य जानवरों के चारे से, मुस्लिम यादव के भाई- चारे नारे के आड़ में, २५ सालों तक चारे को डकारकर , प्रदेश के गरीबों को बहाकर.., एकछत्र राज्य करते रहे...,
८. दोस्तों देश का सबसे बड़ा जहर “अशिक्षा” है.., जिसकी वजह से जनता गरीब होते जा रही है.., खोखले वादों के अफीमी नारों का शिकार हो जाती है.., और वोट बैंक की राजनीती करने वाले अपने को देश का मसीहा कहकर काले धन से अमीरतम बनकर अपने को अप्रतिम कहकर सत्ता को जातिवाद, भाषावाद,धर्मवाद व घुसपैठीयों के कोड़े से जनता को पीटकर,अधमरा कर, महंगाई बढ़ा कर कर्ज के गर्त से देश को डूबा रहें है.
९. इस लोकतंत्र में आप और हम वोट बैंक के मोहरे हैं.., ५साल के रोते हुए चेहरे हैं.. राममनोहर लोहिया ने सही कहा था ..., जिंदा कौमे ५ साल का इन्तजार नहीं करती है..
कैलाश तिवारी, कृपया मेरा देश डूबा डॉट com के सितम्बर से आज तक के वेबसाइट के ४७५ पोस्टों की यात्रा करें...सिर्फ meradeshdoooba गूगल सर्च पर टाइप करें
मेरे फेस बुक व वेबस्थल का स्लोगन है Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold.
२. अब केजरीवाल की नौटंकी से MY लालू के नीती के लव ट्रेंगल से..., क्या अब होगी.., इन तीनों की होगी टिंगल.., पटखनी से राजनीती के चिटखनी से एक दल, दूसरे दल को कैद करने का खेल है
३. अभी इस दो-मुंहा नितीश लाल के साथ अपने को दिल्ली का सरताज कहने वाले टिंगलवाल.., लालू के मिलन समारोह में शिरकत देने उन्हें अपनी तरह इमानदार कह.., खुली हवा में नीतीश कुमार के धनुष से हवा में तीर चलाकर तारीफ़ कर दी..,
४. जातिवाद के नरमुंडों के समीकरण का यह खेल है.., कही दलित , मुस्लिम व यादव के झोल से इनके वोट अपने झोले में डालने की प्रतिस्पर्धा है..
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५. कुर्सी के लिए राजनीति में कोई दुश्मन नहीं होता यह कहावत आज तक हर दल के नेता ने कहा हैं...
यदि राजनीतिक दुश्मन से समझौता नहीं होता तो राष्ट्रनीति से समझौता किया जाता है..,.राष्ट्रवाद को डुबो कर, वोट बैंक के सत्ता की नाव से जीवन की नैया बना कर, हर नेता, हर दिन अखबारो में सुर्खिया बना कर उन्नत होते जा रहा है.., और इस आड़ में देश की सूरत-सीरत-सेहत ६९ सालो से सूख गई है...
६. दिवंगत महान व्यंगकार लेखक श्री हरीशंकर परसाई के १० हजार से अधिक राजनितिक लेख आज भी जीवंत हैं. १९६० के दशक में.., उन्होंने बिहार के बारे में लिखा था, श्रीकृष्ण भगवान् मुझे मिले थे. उन्होंने, कहा मैं बिहार में चुनाव लडूंगा और लोगो को कहूँगा में श्रीकृष्ण भगवान् हूं , मैं आसानी से जीत जाऊंगा .., तब मैंने उनसे कहा आप जब तक यह नहीं कहोगे मैं श्रीकृष्ण “यादव” हूँ , तब तक आप चुनाव नहीं जीत सकोगे. भगवान् और मेरी शर्त लगी भगवान् श्री कृष्णा के विरोध में यादव नाम का उम्मीदवार खड़ा था और वह जीत गया और भगवान् श्री कृष्ण हार गए
७. जयप्रकाश नारायण ने तो कहा था, देश में सबसे अधिक खनिज होने के बावजूद बिहार गरीब क्यों.???, इस जीत का रहस्य तो..., खनिज से ज्यादा बिहार में नेताओं के लिए जातिवाद,धर्मवाद के उत्प्रेरक खनिज से.., बिहार भ्रष्टाचार के बहार से गाय भैसों व अन्य जानवरों के चारे से, मुस्लिम यादव के भाई- चारे नारे के आड़ में, २५ सालों तक चारे को डकारकर , प्रदेश के गरीबों को बहाकर.., एकछत्र राज्य करते रहे...,
८. दोस्तों देश का सबसे बड़ा जहर “अशिक्षा” है.., जिसकी वजह से जनता गरीब होते जा रही है.., खोखले वादों के अफीमी नारों का शिकार हो जाती है.., और वोट बैंक की राजनीती करने वाले अपने को देश का मसीहा कहकर काले धन से अमीरतम बनकर अपने को अप्रतिम कहकर सत्ता को जातिवाद, भाषावाद,धर्मवाद व घुसपैठीयों के कोड़े से जनता को पीटकर,अधमरा कर, महंगाई बढ़ा कर कर्ज के गर्त से देश को डूबा रहें है.
९. इस लोकतंत्र में आप और हम वोट बैंक के मोहरे हैं.., ५साल के रोते हुए चेहरे हैं.. राममनोहर लोहिया ने सही कहा था ..., जिंदा कौमे ५ साल का इन्तजार नहीं करती है..
कैलाश तिवारी, कृपया मेरा देश डूबा डॉट com के सितम्बर से आज तक के वेबसाइट के ४७५ पोस्टों की यात्रा करें...सिर्फ meradeshdoooba गूगल सर्च पर टाइप करें
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