१. “मानसून...”, “राष्ट्रवादी मोदीजी..”, अपना मौन –SOON तोड़ों.., आपकी एक साल दो महीने की १८ घंटे की मेहनत से विश्व में देश के गरिमा
की उपलब्धता से देशवाशी गर्वित है.., सीमा
पर जवान स्फूर्तिक है..दुश्मन घायल होकर अपाहिज हो गया है..
२. मोदीजी
तुस्सी ग्रेट है. लेकिन आपकी चुप्पी को REGRET के साथ, दिल की बात से कहना पड़
रहा है.., शायद.., यह जनता के दिल का
दर्द भी हो सकता है .. देश के राष्ट्रवाद नीती से, कोई भी
सत्ता का चेहारा, राष्ट्र से सर्वोपरी नहीं हो सकता है....,
उखाड़ फेंकों.., ऐसे भ्रष्ट, “वजीरी व जी हजूरी” मोहरों को...
३. आपके बुलेटी ट्रेन में BULL – ATE (भ्रष्टाचार के सांडों का धन डकारने) के सवारियों को उतार कर देश को संवार कर .., एक नए स्वच्छ राजनीती के प्रवाह से.., देश के नेता माफियाओं कारवाई से, एक नए ललक/अलख से देशवासियों का सीने के साथ.., दिल भी ५६ इंच का होगा.., हर देशवासी भी स्वछन्द मन से देश.., एक नए राष्ट्रवाद के छंद से, गंगा- जमुना ही नहीं..., देश के नदी नाले भी स्वच्छ प्रवाह से बहंगे.., अब किसी भ्रष्टाचारी से देश मैला नहीं होगा.
३. आपके बुलेटी ट्रेन में BULL – ATE (भ्रष्टाचार के सांडों का धन डकारने) के सवारियों को उतार कर देश को संवार कर .., एक नए स्वच्छ राजनीती के प्रवाह से.., देश के नेता माफियाओं कारवाई से, एक नए ललक/अलख से देशवासियों का सीने के साथ.., दिल भी ५६ इंच का होगा.., हर देशवासी भी स्वछन्द मन से देश.., एक नए राष्ट्रवाद के छंद से, गंगा- जमुना ही नहीं..., देश के नदी नाले भी स्वच्छ प्रवाह से बहंगे.., अब किसी भ्रष्टाचारी से देश मैला नहीं होगा.
३. आपके १४ महीने की स्वर्णीम मेहनत को दयनीय बनाकर.., आपके के “कही” को देश के माफिया “दही” बनाकर, भ्रष्टाचार के मंथन से देश के माखन
चोर , अब देशी घी बनाकर मुस्टंडे हो रहें हैं.., आपके
चुनावी वादों व देश के चौकीदार से ११ महीने में दागी मंत्री से संतरी को विशेष
क़ानून बनाकर, सत्ता से बाहर करने का कानून बनाने का दावा किया था.., अब भी सत्ताखोर इसे अमृती दवा समझकर ऐश कर रहें हैं.
४. दिल्ली तो केजरीवाल की नौटंकी से पस्त है..,
देशवासी अच्छे दिनों के आस से महंगाई से
त्रस्त है..., अभी भी देश “भ्रष्टाचार के निर्माण” से “अच्छे दिनों” के सूखे मानसून
से देशवासी का शरीर सूखने लगा है..
५. मुंबई
में 120 गरीबों की, १० रूपये की शराब से मौत.., चिक्की के चिकनाई से पंकजा मुंडे
ने शिकंजा बनाकर, गरीब बच्चों के नर मुंड का खेल खेलने के पहिले ही पोल खुली है.., मुख्य मंत्री ने गृह मंत्रालय पद भी अपने
पास रखकर.., पुलिस –नौकरशाही के अफीमी ड्रग की “म्याऊं-म्याऊं”आवाज से सत्ता के नशेड़ी , प्रदेश
में नशेड़ियों की लत की लाशों का व्यापार
कर रहें है..,
६. देश में व्यापक तौर पर, चहक से चल रहे.., मध्य प्रदेश से.., देश के गर्भ के मध्य पनपता व्यापम
के शिक्षा घोटालों व नक़ल में अक्कल से, मीडिया-माफिया-सत्ताशाही
से देश के युवकों की प्रतिभा को माफिया कछुवे.., खरगोश की
खाल पहनकर.., आगोश से, मदहोश घोंघा चाल
से, देश को चला कर प्रतिभाओं का भक्षण कर रहें हैं..,
७. व्यापम
की व्यापकता से अब मध्यप्रदेश का “महाकाल” रौद्र रूप दिखाकर अपना शुद्धीकरण कर रहा है..., वह भी चाहता है,
इस भ्रष्टाचार से शुद्ध होकर, देश में एक नयी राष्ट्रवाद की बयार बहे...
८. आपके ६५ साल की उम्र में ५६ इंच का सेना देखकर,आपकी
६७-६८-६९ साल की उम्र से में देशवासियों
को अपना सेना ७६-८६-९६ इंच होने का अहसास
से.., देश का सुनहरे भविष्य का आभास हो रहा था ..
९. मोदीजी...!!!!,
लाल बहादुर शास्त्रीजी का कद तो “५६ इंच” भी नहीं था..??, लेकिन,
उनके “५६० इंच”,के दिल की, दरियादिली”
से दिल्ली के लूटेरे, कांग्रेस से विरोधी दल
भी हिल गए थे, व उनकी मुस्कान से देशवासियों के चेहरे को “जय-जवान, जय किसान” की स्फूती
ने गरीबी से निजाता पाने की खाना-पूर्ती से देश सम्पन्नता की राह में चल पड़ा था..
१०.
. लाल बहादुर शास्त्री ने तो “५० करोड़ देशवासियों के मुठ्ठी बल”
से “सिर्फ १८ महीनों” में
“जय जवान – जय किसान” से, पकिस्तान के पास हमारे से उन्नत हथियार होने के
बावजूद,देश को विजयी बनाकर, “उनके ही
देश में उन्हें धूल चटा दी थी...”, हमारा देश तो शक्तीशाली
यूरोपीय देशों के कतार में शामिल हो रहा था.., और विश्व गुरू बनने के
पहिले, “विदेशी हाथों” ने “देशी हाथों” से हाथ मिलाकर उनकी ह्त्या कर ..., भ्रष्टाचार
की फसल बोकर , आज देश के किसानों की फसल खा दी है
११.
देश की जय करने के लिये ,आज,
गरीब से गरीब जवान – किसान, विज्ञान से अपनी प्रतिभा दिखाने को आतुर है .., लेकिन वह,भ्रष्टाचारियों
से व्यापकता के बोझ तले दबा है..,
१२.
जनता हैरान.., परेशान है .., ‘अच्छे दिनों” की आस में अपने “१४ महीने” बर्बाद हो गए .., पार्टी के “जुमले”
अब “अच्छे दिनों” की “६० महीने” व “विश्व गुरू”
के “६०० महीनों” की बात
से, जनता भी अब अपने को उपहासी समझ , भ्रमित
है कि, क्या...???, “६० सालों की कांग्रेस नीती” के “मौन” का अध्याय की पुनराव्रिती के “मौन व्रत” से “सत्ता को धरोहर”
मानने का नया खेल शुरू हो गया है...
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