Sunday, 19 July 2015

पार्टी में भ्रष्टाचार के व्यापक बीज बो चुके हैं.., कहीं ये विशाल वृक्ष बनकर, इनकी जड़ें, देश की धरती को न उखाड़ दे..,


नरेन्द्र मोदीजी , आपका निशाना इन्द्र की तरह अचूक है ..,विश्व कायल है, दुश्मन इसे देखकर घायल है.., दुश्मनों के तो बुरे  दिन आ गएँ हैं..,
देशवासी तो.., अब भी  “अच्छे दिनों” का “मुंहताज” है.., आपके मुंह को टुकुर-टुकुर कर ताक रहा है.., आपके “फ़ौज की मौज” की  अटपटे बयानों के ६० महीने से, ६०० महीनों के “अच्छे दिनों” व विश्व गुरू के बयानों से अपने “कच्छे पहिनने” के दिनों का अहसास कर रही है..
कांग्रेस के कौरवी घोटालों की बयार से देश व अपने को बह जाने के डर से आपको “एक चौकीदार” के रूप में “एक छत्र” सत्ता सौपी है.., ताकि भ्रष्टाचारियों का सूपड़ा साफ़ हो.., लेकिन उनके पाप का घडा फूटने के बजाय..,  घड़ा फूलते जा रहा है.., वे तो आपकी सरकार से “फूले नहीं समा रहें हैं”.., जनता को FOOL समझ रहें है
आपकी पांडवी सेना के अर्जुन.., अपनी आय बढ़ाने के के श्रोत पर निशाना लगा कर अपनी “तीर की धार” को और नुकीली बनाकर, अब ५६० इंच की छाती ठोककर  कह  रहें हैं.., अभी भी हमारी धार कांग्रेस की तुलना में नगण्य है..
पार्टी में भ्रष्टाचार के व्यापक बीज बो चुके हैं.., कहीं ये विशाल वृक्ष बनकर, इनकी जड़ें, देश की धरती को न उखाड़ दे..,
१.   चेतो मोदी सरकार.., जनता करें ललकार.., आपमें एक आस है.., आपके साँस से देश में स्फूती का आभाष है, देश की सेनायें गर्वीत है,.., सभी पार्टी के सेनाओं से, भष्टाचार से, देशवासी द्रवित हैं.., अब महिला सेनानी भारतमाता कह, भ्रष्टाचार से, देश के काले धन की देवियाँ.., अब अपने को देश के बेटोंका सास कह.., देश का बंटाधार कर, कहकहे लगाकर, अपनी जनाधार का, दावा के दवा से देश के गरीबी निर्मूलनका ईलाज से.., जनता को निर्बल बना रही है.
२.  मोदीजी तुस्सी ग्रेट है. लेकिन आपकी चुप्पी को REGRET के साथ, दिल की बात से कहना पड़ रहा है.., शायद.., यह जनता के दिल का दर्द भी हो सकता है .. देश के राष्ट्रवाद नीती से, कोई भी सत्ता का चेहारा, राष्ट्र से सर्वोपरी नहीं हो सकता है...., उखाड़ फेंकों.., ऐसे भ्रष्ट, “वजीरी व जी हजूरीमोहरों को.
३.  आपके बुलेटी ट्रेन में BULL – ATE (भ्रष्टाचार का धन डकारने) के सवारियों को उतार कर देश को संवार कर .., एक नए स्वच्छ राजनीती के प्रवाह से.., देश के नेता माफियाओं कारवाई से, एक नए ललक/अलख से देशवासियों का सीने के साथ.., दिल भी ५६ इंच का होगा.., हर देशवासी भी स्वछन्द मन से देश.., एक नए राष्ट्रवाद के छंद से, गंगा- जमुना ही नहीं..., देश के नदी नाले भी स्वच्छ प्रवाह से बहंगे.., अब किसी भ्रष्टाचारी से देश मैला नहीं होगा. 
४. याद रहे.., सत्ताखोरों ने भी १९४७ से ही, इस देश की हरियाली व सप्तरंगी खुशहाली व देश को, काटकर..., बंजर व रेतीला बना दिया .., जनता,तब से ही मृग बनकर, तृष्णा से मिर्गमाचिका की तरह दौड़ कर..., कि देश का नए जलवायु से एक नए जल व वायु से से जिन्दगी., और संवर जायेगी.., लेकिन सत्ताखोरों ने इस जमीन में भाषावाद,जातिवाद,धर्मवाद,अलगाववाद व घुसपैठीयों का रेत गारा डालकर..., इस देश को काले धन से अपना चारा बनाया है .. और तो विदेशी हाथ, साथ के साथ.., इसमें विदेशी विचार व संस्कार का पानी डालकर.., अब भी कह रहें है कि विदेशी कम्पनीयों के भोजन व पोशाक पहनें.., उनसे ही हमारा पोषण होगा.
५.  देश में व्यापक तौर पर, चहक से चल रहे.., मध्य प्रदेश से.., देश के गर्भ के मध्य पनपता व्यापम के शिक्षा घोटालों व नक़ल में अक्कल से, मीडिया-माफिया-सत्ताशाही से देश के युवकों की प्रतिभा को माफिया कछुवे.., खरगोश की खाल पहनकर.., आगोश से, मदहोश घोंघा चाल से, देश को चला कर प्रतिभाओं का भक्षण कर रहें हैं.., 
६.  देश के ५० से अधिक ‘व्यापम के  दलाल...’, दल के लाल बनने के आरोप में हलाक हो चुके हैं.., हालात गंभीर हैं..,शिक्षा वृती के इस वेश्या वृती के मोहरों का राजनैतिक मुखौटा खोलों.., शिक्षा क्रांती के उद्घोष से ही, इस दोष को जड़ से मिटाया जा सकता है...
७.  मोदीजी..., A – Z जी के घोटालेबांजो को, जो अपने को सत्ता व रिमोट कंट्रोल से देश को चलाने में जाबांज कह रहें हैं .., खोलों उनके द्वार, करों देश का उद्धार.., खत्म करो विश्व बैंक का उधार.. , इस सुरंग में .., देश का ७२ लाख करोड़ से कही ज्यादा के काले धन की तिजोरी की.., “यह चाबी है..”, इसमें. देश के धन की चब-चब कर, राशी कैद है.
८.  बापूको पैरों तले, रौंद कर”.., अब, माफियाओं की फ़ौज १००० नम्बरीसे, देश के बापबनें हैं .., माफियाओं के अकड़न के दंड से.., देश का बापू विदेशी बैंकों में कैद से, रो रहा है.., नकली बापू के नोटों के प्रसार से माफिया खुशहाल है .., जनता बेहाल है.
९. याद रहे.., क्रिकेट के राष्ट्रीय धर्म के आगे, क्रिकेट के भगवान के महानभक्त श्री... श्री... श्री... 1008 के महान संत के आगे न्याय का भगवान भी झुक गया है..??? मकोका..??? के मौके से आज फ़िल्मी हीरों बना है 
१०. अब.., ललित – GATE भी, अपने बाहर देश के GATE से.., इस मकोका को मौक़ा समझकर .., अपने कुबेरी हिरों से, अब हीरो से, “राजनेताओं का भगवान् बन कर १०००००८से ज्यादाओं का संत बनकर.., अनंत धन से.., अब अपने रंग से, राजनीती के आकाओं के पाप धूलवा रहा है.उनके भक्तों के मोह-भंग से, अब खुमारी की बीमारी का निदान का दावा कर रहा है 
११. मोदीजी..., देश.., विदेशी कटोरों से नहीं, १२५ करोड़ देशवासियों के मुठ्ठी बल से चलेगा.., “जय जवान- जय किसानसे देश १९ महिनों में ही संवर गया था , इस बल से ही.., विज्ञान को जोड़कर ही , देश आगे बढेगा..., भ्रष्टाचारियों के आसन से आसीन से.., देश का एहसान नहीं होगा.., 
१२. लाल बहादुर शास्त्री ने तो देशी हाथ देशी साथ, देशी विचार. देशी संस्कारों के राष्ट्रवादी अस्त्रों से अपनी सरकारों की सांसे अटकाकर.., उन्हें देश के नेताओं को जनता का मजदूर, बनाकर मजबूर से बड़ी मजबूती से देश ही नहीं विश्व को संकेत देकर कहा मेरा देशवासी सक्षम है.., नेहरू के कांग्रेस ने, जनता को न्यूनतम मानकर विदेशी शिक्षा से, “देशी न्यूटनोंको मार दिया था.., देश को गरीबतम होने के बावजूद मैं विदेशी कर्ज से देश नहीं चलाऊंगा..,देश को पुन: विदेशी हाथों में जकड़ने नहीं दूंगा ”. हम देश के २५० सालों की गुलामी के चंगुल से बड़ी मुश्किल से आजाद हुए हैं ... 
१३. लाल बहादुर शास्त्रीजी का कद तो ५६ इंचभी नहीं था..??, लेकिन.., उनके ““५६० इंच”, दिल की, दरियादिलीसे दिल्ली के लूटेरे, कांग्रेस से विरोधी दल भी हिल गए थे, व उनकी मुस्कान से देशवासियों के चेहरे को जय-जवान, जय किसानकी स्फूती ने गरीबी से निजाता पाने की खाना-पूर्ती से देश सम्पन्नता की राह में चल पड़ा था 
१४. फैलाओं राष्ट्रवाद का सैलाब.., जनता रहे सुख-शांती से आबाद .. 
Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold. के संकल्प से गरीबी हटकर, भारत निर्माण से, इंडिया शायनिंग से, हमारे LONG – INNING से, “FEEL GOOD FACTOR” से  देश के अच्छे दिन आयेंगें.., 
दोस्तों “ कागज के फूल” फिल्म  का यह गीत आज की  राजनीती में  सार्थक है...
उड़ जा उड़ जा प्यासे भँवरें, रस ना मिलेगा खारों में
काग़ज़ के फूल जहाँ खिलते हैं, बैठ ना उन गुलजारों में
नादान तमन्ना रेती में, उम्मीद की कश्ती कहती हैं
इक हाथ से देती हैं दुनियाँ, सौ हाथों से ले लेती हैं
ये खेल है कब से जारी, बिछड़े सभी बारी बारी

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